Israel Iran War: इजरायल-ईरान के बीच जारी जंग में कई भारतीय छात्र भी फंस गए हैं और उनको सुरक्षित बाहर निकालने की तैयारी भी शुरू हो गयी है. भारत सरकार ने सोमवार तड़के एक बयान में कहा कि ईरान में मौजूद कुछ भारतीय छात्रों को ईरान के भीतर ही "सुरक्षित स्थानों" पर भेजा जा रहा है. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि "अन्य संभावित विकल्पों" की भी जांच की जा रही है. वहीं ईरान की सरकार ने भारत से कहा है कि भले जंंग के बीच सभी एयरपोर्ट बंद हैं लेकिन छात्रों को जमीनी बॉर्डर से निकालना संभव है क्योंकि वे खुले हुए हैं. ईरान ने सुरक्षित निकास के लिए ईरान में मौजूद सभी भारतीयों के डिटेल्स मांगे हैं.
यह डेवलपमेंट तब सामने आया है जब इजराइल और ईरान के बीच जंग जारी है और दोनों तरफ से मिसाइलों से वार किया जा रहा है, किसी भी पक्ष ने पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिखाया है. भारतीय और अर्मेनियाई राजदूत (तेहरान में) अपने-अपने छात्रों के बाहर निकलने के लिए कॉर्डिनेट कर रहे हैं. छात्रों को ईरान के क़ोम शहर लाया जा रहा है.
भारतीय छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा
ईरान के तेहरान में मौजूद भारतीय दूतावास ने वहां फंसे भारतीय छात्रों को ट्रांसफर करने के लिए बसों की व्यवस्था की है. दूतावास की ओर से कहा गया है कि सभी भारतीय छात्रों से अनुरोध है कि वे सुबह 9:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) तक वेलेंजैक यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 2 पर रिपोर्ट करें. बसें सुबह 10:00 बजे क्यूम शहर के लिए निकलेंगी. यह आदेश शाहिद बेहिश्ती यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के सभी भारतीय छात्रों पर लागू होता है, जिनमें छात्रावास और निजी अपार्टमेंट में रहने वाले छात्र भी शामिल हैं. किसी भी भारतीय छात्र को लड़कों या लड़कियों के छात्रावास या निजी अपार्टमेंट में नहीं रुकना है. उन्हें यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि यह मैसेज व्यापक रूप से प्रसारित हो और बिना किसी अपवाद के इसका पालन किया जाए.
“हम शुक्रवार से सोए नहीं हैं”
इजरायल और ईरान के बीच हमलों की लहरों के बीच, ईरान में फंसे सैकड़ों भारतीय छात्र सरकार से उन्हें तुरंत निकालने का आग्रह कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के कई छात्र ईरान की अलग-अलग यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं, जिनमें शाहिद बेहिश्ती यूनिवर्सिटी और ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस शामिल हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई से इम्तिसल मोहिदीन ने कहा, "शुक्रवार को तड़के 2:30 बजे जोरदार धमाकों की आवाज सुनकर मेरी नींद खुल गई और मैं बेसमेंट की ओर भागा. तब से हम सोए नहीं हैं." हॉस्टल और अपार्टमेंटों से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर विस्फोटों की सूचना मिली और तब से भारतीय छात्रों का डर बढ़ गया है और इसलिए उन्होंने भारत सरकार से अपील कि है कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए हमें निकाल लें.
मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा के रहने वाले इम्तिसल कहते हैं कि बमबारी के कारण यूनिवर्सिटी ने क्लास सस्पेंड कर दी हैं और छात्र बाहर आने-जाने से बच रहे हैं. शाहिद बेहिश्ती यूनिवर्सिटी अपने किफायती और फेमस MBBS प्रोग्राम के लिए भारतीय छात्रों को आकर्षित करता है.
गौरतलब है कि ईरान में इजरायली हमले में मारे गए तीन ईरानी परमाणु वैज्ञानिक शाहिद बेहिश्ती यूनिवर्सिटी में ही प्रोफेसर थे.
जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों के संपर्क में बना हुआ है, जिन छात्रों से एएनआई ने बात की, वे सुरक्षा निर्देशों और अगले कदमों के लिए ज्यादातर भारतीय दूतावास की सलाह और समन्वय पर भरोसा करते हैं.
मोहिदीन ने कहा, "हम भारत सरकार से स्थिति बिगड़ने से पहले हमें निकालने का अनुरोध करते हैं. दूतावास ने हेल्पलाइन साझा की है और संपर्क में है, लेकिन हम डरे हुए हैं और हमें घर जाने की जरूरत है."
एक ताजा सार्वजनिक सलाह में, तेहरान में भारतीय दूतावास ने सभी भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के व्यक्तियों को घर के अंदर रहने और आधिकारिक चैनलों की निगरानी करने के लिए कहा. साथ ही विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि कुछ छात्रों को दूतावास की सुविधा के साथ ईरान के भीतर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है.
ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने रविवार को उन खबरों पर चिंता व्यक्त की जिसके अनुसार ईरान में कश्मीरी छात्रों के रहने वाले एक छात्रावास पर इजरायली हवाई हमला हुआ, जिसमें कई लोग घायल हो गए. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में मीरवाइज ने कहा, "ईरान से बेहद परेशान करने वाली खबर आ रही है कि एक हॉस्टल में कश्मीरी छात्रों पर इजरायली हवाई हमला हुआ है. सौभाग्य से, केवल मामूली चोटों की सूचना मिली है."
“हम यहां डॉक्टर बनने आए थे लेकिन अब जिंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं"
करमान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में MBBS फर्स्ट ईयर के छात्र फैजान नबी ने कहा कि भले करमान तेहरान की तुलना में अधिक सुरक्षित है, लेकिन दहशत तेजी से फैल रही है. उन्होंने कहा, "हमने आज अपने शहर में गोलियों की आवाज सुनी. तेहरान में मेरे दोस्त डरे हुए हैं. हमें 3-4 दिनों के लिए पीने का पानी जमा करने की सलाह दी गई. यह कितना बुरा है."
श्रीनगर के निवासी फैजान ने कहा, "मुझे अपने माता-पिता से एक दिन में 10 कॉल आ रहे हैं. इंटरनेट इतना धीमा है कि मैं जल्दी से एक व्हाट्सएप मैसेज भी नहीं भेज सकता. हम यहां डॉक्टर बनने आए थे. अब हम सिर्फ जिंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं."
ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस में भारत से जाकर पढ़ रहीं MBBS की फोर्थ ईयर की छात्रा मिधात ने कहा कि हमले की पहली रात सबसे भयावह थी. जम्मू-कश्मीर के सोपोर के छात्र ने कहा, "विस्फोट ज्यादा दूर नहीं थे - बस कुछ किलोमीटर दूर थे. हर कोई घबरा गया था. मेरा परिवार कॉल कर रहा. हम लगातार खबरों पर नजर रख रहे हैं." उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क में था, लेकिन यूनिवर्सिटी ने ज्यादा सहायता नहीं दी है. उन्होंने कहा, "हममें से ज्यादातर लोग डरे हुए हैं और अंदर रह रहे हैं. हम नहीं जानते कि यह कब तक चलेगा."
हमलों के बीच ईरानी हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया है. पता नहीं है कि हिंसा कब कम होगी. ऐसे में छात्र अब उस एक चीज का इंतजार कर रहे हैं जो उनके परिवारों को शांति दिला सकता है - घर पहुंचने के लिए फ्लाइट लेना.