अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान की राजधानी तेहरान के नागरिकों से शहर को खाली करने की अपील की है. उनकी इस अपील के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका इस जंग में कूद सकता है. अगर ऐसा हुआ तो ईरान-इजरायल की जंग खतरनाक मोड़ पर पहुंच जाएगी. वहीं इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई की हत्या से युद्ध खत्म होगा. ट्रंप और नेतन्याहू के ये बयान यह बताने के लिए काफी हैं कि दोनों देश की रुचि ईरान पर परमाणु कार्यक्रम रोकने का दबाव बनाने से अधिक वहां तख्तापलट में है. दोनों ईरान के खतरे को खत्म कर देना चाहते हैं.
वहीं, इस बीच एक और इजरायली विकल्प की चर्चा तेज हो गई है. एक ऐसा विकल्प, जिसके बाद ईरान में चारों ओर तबाही का मंजर होगा. वह विकल्प है- इजरायल का 'Dahiya Doctrine' या 'दहिया सिद्धांत'. इजरायल जल्द ही तेहरान में दहिया सिद्धांत लागू कर सकता है. यह सिद्धांत दुश्मन के बुनियादी ढांचे, अर्थव्यवस्था और नागरिक केंद्रों को गंभीर नुकसान पहुंचाने की वकालत करता है, भले ही इससे नागरिक हताहत हों. इसे देखते हुए ही वह ईरानी नागरिकों से तेहरान खाली करने की अपील कर रहा है.
इजरायल का दहिया सिद्धांत क्या है?
दहिया सिद्धांत इजरायल की सैन्य रणनीति है. इसमें भारी बल का उपयोग किया जाता है. ऐसा होने के बाद फिर यह मिलिट्री बेस या परमाणु ठिकाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इजरायल फिर नागरिक बुनियादी ढांचे को भी निशाना बना सकता है. ठीक वैसे ही, जैसा उसने 2006 के लेबनान युद्ध के दौरान बेरूत शहर में किया था.इस वजह से 'दहिया सिद्धांत' को 'बेरूत शैली' (Beirut Style) वाला युद्ध भी कहा जाता है. इजरायल का इसके पीछे सीधा मकसद होता है भविष्य के हमलों को रोकने के लिए दुश्मन का व्यापक विनाश करना और नागरिकों पर दबाव डालना ताकि वे अपनी ही सेनाओं के खिलाफ हो जाएं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे तेहरान के नागरिकों से शहर को खाली करने की अपील की है, उससे आशंका बढ़ गई है कि बेंजामिन नेतन्याहू दहिया सिद्धांत को लागू कर सकते हैं.
हालांकि यह सिद्धांत जेनेवा कन्वेंशन जैसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन भी है, जो यह कहता है कि युद्ध के दौरान नागरिकों की सुरक्षा और उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाए. साथ ही नागरिकों और युद्धकर्मियों के बीच अंतर भी किया जाए. आलोचकों का कहना है कि 'दहिया सिद्धांत' नागरिकों के अवैध सामूहिक दंड के बराबर है.
इजरायल ने कहां कहां लागू किए हैं दहिया सिद्धांत
इजरायल ने 'दहिया सिद्धांत'को बार-बार गाजा में हमास के साथ लड़ाई में लागू किया है. साल 2008-09, 2014 और अभी भी जारी युद्ध में गाजा युद्ध में बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे गए हैं. इजरायल अगर ईरान में 'दहिया सिद्धांत'लागू करता है तो वह बिजली ग्रिड, जल प्रणालियां और संचार नेटवर्क को निशाना बनाएगा.
इजरायल के पूर्व सैन्य प्रमुख और राजनेता गादी आइजनकोट और सैन्य अधिकारी गैबी सिबोनी का मानना है कि नागरिकों के बीच काम करने वाले नॉन स्टेट एक्टर के खिलाफ पारंपरिक युद्ध के कानून लागू नहीं होते हैं. आइजनकोट के मुताबिक, इस सिद्धांत का इस्तेमाल गाजा में 2008 से लेकर अब तक हुए चार युद्धों, खास तौर पर 2014 के युद्ध के दौरान किया गया है. उन चार युद्धों में, आईडीएफ के 350 सैनिकों और करीब 30 नागरिकों की मौत का बदला लेते हुए इजरायली सुरक्षा बलों ने करीब पांच हजार फिलस्तीनियों की जान ली थी. साल 2014 के युद्ध में, आईडीएफ के हमले में गाजा का मुख्य बिजलीघर क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके अलावा गाजा की तत्कालीन 18 लाख की आबादी में से करीब आधे लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ा था. लाखों लोगों को बिजली नहीं मिल पाई और सड़कों पर कच्चा सीवेज भर गया था.
ईरानी की राजधानी तेहरान के अंदरूनी इलाके में इजरायली हमले के बाद उठता धुआं.
इजरायल के अतीत को देखते हुए कहा जा सकता है कि उसके लिए एक बार फिर 'Dahiya Doctorine' अपनाना मुश्किल नहीं होगा. ऐसे में नेतन्याहू की धमकी को हल्के में लेना ईरान की भारी भूल साबित हो सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से ईरान को चेता रहे हैं, उससे नेतन्याहू का मनोबल और बढ़ रहा है.
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