इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास (Hamas) के बीच एक साल से चल रही जंग की आग अब पश्चिम एशिया में फैलती जा रही है. गाजा पट्टी (Gaza Strip) पर हमास के साथ जंग लड़ने के साथ ही इजरायल ने अब लेबनान (Israel-Hamas War) पर भी सीधे हमले शुरू कर दिए हैं. इजरायली सेना (IDF) ने बुधवार देर रात लेबनान की राजधानी बेरूत के सिटी सेंटर के पास स्थित एक बिल्डिंग पर अटैक किया. यहां 7 लोगों की मौत हो गई. कहा तो यह भी जा रहा है कि इजरायल ने फॉस्फोरस बम का भी इस्तेमाल किया. हाल के दिनों की घटनाओं को देखें, तो इजरायल न सिर्फ हमास और हिज्बुल्लाह के खिलाफ जंग लड़ रहा है, बल्कि उसकी 7 मोर्चों पर भी लड़ाई चल रही है.
आइए समझते हैं, इजरायल को किन-किन देशों से है खतरा? आखिर बड़े युद्ध से क्यों बच रहा इजरायल? इजरायल पर हमलों को लेकर क्या है एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस का कनेक्शन:-
इजरायल को किन-किन देशों से है खतरा?
इजरायल के कई दुश्मन हैं. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम ईरान का है. इजरायल और ईरान एक दूसरे के कट्टर माने जाते हैं. इजरायल को अमेरिका का सपोर्ट हासिल है. जबकि, इजरायल पर हमले करने वाले मिलिशिया ग्रुप को ईरान की तरफ से फंडिंग और हथियार मिलते हैं. ईरान के बाद लेबनान, इराक, यमन, सीरिया, बहरीन के मिलिशिया संगठन इजरायल के दुश्मन हैं.
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ईरान ने इजरायल पर कहां-कहां किया हमला?
-ईरान ने मंगलवार और बुधवार को इजरायल पर मिसाइल अटैक किए थे. ईरान ने दावा किया कि ये हमले इजरायल के आर्मी और इंटेलिजेंस ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए.
-ईरान ने 400 मिसाइल दागने का दावा किया. इजरायल ने 200 मिसाइल आने की बात की है. इजरायल ने बताया कि इनमें से 181 मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया गया.
-मंगलवार को ईरान ने इजरायल को टारगेट करते हुए ताबड़तोड़ मिसाइलें दागीं. मिसाइलों की एक बड़ी तादाद मध्य इजरायल की तरफ आयी. मध्य इजरायल इस लिहाज से अहम है, क्योंकि यहां इजरायल के बहुत सारे अहम इंस्टॉलेशन्स हैं.
-ईरान की कुछ मिसाइलें तेल अवीव भी पहुंचीं. इन मिसाइलों से स्कूल, रेस्टोरेंट वगैरह को नुकसान पहुंचा. ईरान की तरफ से दागे गए मिसाइल बड़ी तादाद में यरूशलम के आसमान में भी नज़र आए. यहां यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों धर्मों का बहुत ही पवित्र स्थल है. इसे निशाना कर दागे गए मिसाइलों में एकाध ही ज़मीन पर गिरे. बाकियों को हवा में नष्ट कर दिया गया.
-इजरायल की पोर्ट सिटी हाइफा में भी ईरान के मिसाइल गिरे. रात के अंधेरे में मिसाइल शहर के ऊपर उड़ते नज़र आए. लेकिन, इजरायल के मुताबिक यहां भी मिसाइल किसी अहम ठिकाने को निशाना बनाने में नाकाम रहे.
-ईरान ने इजरायल लेबनान सीमा से लगने वाले गैलिली इलाके पर भी मिसाइल दागे. यहां नॉर्दन कमांड के अहम आर्मी बेस हैं. यहां इजरायली सैनिकों का बड़ा जमावड़ा है. ईरानी मिसाइल यहां जो आए उससे भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.
-ईरान ने नेगेव को निशाना कर भी मिसाइल दागे. नेगेव में इजरायल का न्यूक्लियर साइट है. यहां एक मिसाइल रेगिस्तानी इलाके में गिरा. लिहाजा इससे कोई नुकसान नहीं हुआ.
ईरान की हिट लिस्ट में कौन-कौन?
1. ईरान की हिट लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हैं. नेतन्याहू हमास और हिज्बुल्लाह के खात्मे तक हमले रोकने को तैयार नहीं हैं. ईरान इन दोनों संगठनों को सपोर्ट करता है.
2. ईरान की लिस्ट में दूसरे नंबर पर इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट हैं. गैलेंट एक साल से चल रहे युद्ध की योजना से लेकर रणनीति बनाने तक का काम देख रहे हैं.
3. तीसरे नंबर पर हेरज़ी हालेवी आते हैं. ये इजरायल के आर्मी चीफ हैं. इन्होंने कहा है कि इजरायल पर हमला करने की हिज्बुल्लाह को बड़ी कीमत चुकानी होगी.
4. इजरायल के वायुसेना कमांडर तोमेर बार भी ईरान की लिस्ट में हैं. तोमरे बार ने ऑपरेशन ऑर्चर्ड को अंजाम दिया था.
5. इजरायली नौसेना के कमांडर सार सलामा का नाम भी लिस्ट में शुमार है. हमास के गोताखोरों को रोकने में सलामा की देखरेख में स्क्वाड्रन 916 की अहम भूमिका रही थी.
6. इजरायल के थल सेना प्रमुख तामिर यादई भी इस लिस्ट में आते हैं. ये IDF के ग्राउंड फोर्सेज कमांड की कमान संभालते हैं.
7.डिप्टी चीफ़ ऑफ जेनरल स्टाफ आमिर बाराम को भी ईरान अपना दुश्मन मानता है.
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इजरायल किन 7 फ्रंट पर लड़ रहा जंग?
गाजा पट्टी: इजरायल की पहली जंग गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी संगठन हमास के खिलाफ चल रही है. 7 अक्टूबर को हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल की तरफ 5000 से ज्यादा रॉकेट दागे थे. हमास के लड़ाकों ने सुरंग के रास्ते घुसपैठ करते हुए कई इजरायलियों का कत्लेआम किया. 250 से ज्यादा नागरिकों को बंधक बनाकर भी लेकर गए. तब से इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग छेड़ रखी है. हमास का 2007 से गाजा पट्टी में दबदबा है. इस संगठन को ईरान का भरपूर समर्थन हासिल है.
वेस्ट बैंक: इजरायल की पूर्वी सीमा पर वेस्ट बैंक बसा हुआ है. यहां भी हमास और हिज्बुल्लाह की तरह मिलिशिया ग्रुप हैं, जो इजरायल को दुश्मन मानते हैं. हालांकि, अभी यह फ्रंट ज्यादा एक्टिव नहीं है.
लेबनान: लेबनान का मिलिशिया ग्रुप हिज्बुल्लाह भी इजरायल को कट्टर दुश्मन मानता है. हिज्बुल्लाह को ईरान की तरफ से भारी फंडिंग मिलती है. ईरान उसे हाइटेक हथियार भी मुहैया कराता है. 1982 में ईरान की आर्मी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने हिज्बुल्लाह को बनाया था. अमेरिका और नाटो सदस्यों ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. गाजा में चल रहे जंग में हिज्बुल्लाह, हमास को सपोर्ट करते हुए इजरायल पर हमले कर रहा है. इसलिए इजरायल ने लेबनान में भी हमले शुरू कर दिए हैं.
बहरीनः इजरायल को बहरीन की तरफ से भी चुनौती मिलती रही है. यहां अल-अश्तार ब्रिगेड नाम का संगठन एक्टिव है. यह संगठन 2013 में बना था. अल-अश्तार ब्रिगेड को ईरान से न सिर्फ फंडिंग मिलती है, बल्कि हथियार और विस्फोटक भी मिलते हैं.
यमन: मिडिल ईस्ट देश यमन में हूती विद्रोही एक्टिव रहते हैं. हूती शिया जैदी समुदाय का संगठन है. हूती विद्रोही इजरायल और अमेरिका के खिलाफ लड़ते हैं. 90 के दशक में हुसैन अल-हूती ने इस संगठन को बनाया था. यमन के हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन मिला है. हूती के पास 30 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं. ये समय-समय पर इजरायल पर हमले करते रहते हैं.
सीरियाः बात सीरिया की करें, तो यहां फातेमियों ब्रिगेड एक्टिव है. यह ईरान में अफगानी शरणार्थियों का एक संगठन है. इसे सीरिया सरकार के खिलाफ बनाया गया था. सीरिया में कुवत अल-रिधा नाम का संगठन भी है, जिसके लड़ाकों को हिज्बुल्लाह ने ट्रेनिंग दी है. दोनों संगठनों को ईरान की आर्मी IRGC का पूरा सपोर्ट मिला हुआ है.
इराक: मिडिल ईस्ट के एक और देश इराक में भी इजरायल विरोध चरमपंथी सगंठन एक्टिव हैं. यहां पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेस नाम से संगठन है. ये लाल सागर में इजरायल के जहाजों को निशाना बनाता रहा है. इसके साथ ही इराक में बद्र संगठन और असैब अह्ल अल हक नाम के मिलिशिया ग्रुप भी है, जो इजरायल पर हमले करते रहे हैं.
क्या है एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस (Axis of Resistance)
‘एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस' एक अनऔपचारिक गठबंधन है, जो ईरान की मदद से खड़ा हुआ है. एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस ग्रुप में फिलिस्तीन में हमास, लेबनान में हिज्बुल्लाह, यमन में हूती विद्रोही, इराक और सीरिया के विद्रोही संगठन आते हैं. चूंकि, ईरान की इजरायल और अमेरिका से कट्टर दुश्मनी है. लिहाजा एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस इजरायल और अमेरिका के खिलाफ काम करता है.
क्या इजरायल की सेना को चुनौती दे सकती है एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस?
एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस इजरायल के लिए एक अहम सैन्य और वैचारिक चुनौती पेश करती है. बेशक अमेरिका की दोस्ती, उसके समर्थन और हथियारों की सप्लाई से इजरायल को काफी फायदा होता है, लेकिन एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस में शामिल हिज्बुल्लाह और हमास जैसे समूह भी अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं. ईरान से इन्हें भरपूर समर्थन और फंडिंग मिलती है. इजराल की बेहतर सैन्य ताकत का मुकाबला करने के लिए इन समूहों के पास भी हाइटैक रॉकेट, मिसाइल, गुरिल्ला स्ट्रैटजी और टनल में अंडरग्राउंड होने का नेटवर्क है. जाहिर तौर पर अगर ये मिलकर इजरायल पर हमला करते हैं, तो उसके लिए संभलना मुश्किल हो सकता है.
बड़े युद्ध से बच रहा इजरायल?
इजरायल के बड़े युद्ध में नहीं उतरने के कई कारण हैं:- पहला- इजरायल के दोस्त अमेरिका का सीधे जंग में उतरना संदिग्ध है. कई मामलों में देखा गया है कि अमेरिका अपने दोस्त देश का जंग में साथ तो देता है, लेकिन सीधे जंग में उतरने से बचता रहा है. यूक्रेन और अफगानिस्तान में अमेरिका ऐसा ही कर चुका है. अमेरिका ने रूस से जंग में यूक्रेन को मदद तो दी, लेकिन अपने सैनिक नहीं उतारे. इसी तरह अमेरिका गाजा में इजरायल को मदद तो दे रहा है, लेकिन सीधी जंग में नहीं आ रहा. ऐसे में यह इजरायल के बड़े युद्ध से बचने की एक वजह हो सकती है.
दूसरा- इजरायल के भौगोलिक हालात ऐसे नहीं हैं कि वो बड़े युद्ध करे. इजरायल के चारों तरफ कई दुश्मन हैं. उसे फिलिस्तीन, ईरान, लेबनान, यमन, सीरिया और मिस्र से खतरा है. जंग और फैली, तो इजरायल की इन देशों से सीधी दुश्मनी तय है.
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तीसरा- नेतन्याहू की चुनौतियां भी एक वजह है. इजरायल में ही नेतन्याहू से एक बड़ा वर्ग असंतुष्ट है. चूंकि, बड़ी जंग के लिए देश का समर्थन जरूरी होता है. लिहाजा इजरायल ऐसा नहीं कर पा रहा. क्योंकि अगर जंग में कमजोर पड़े, तो देश में ही विरोध बढ़ेगा.
चौथा-इजरायल को इस बात का भी डर है कि अगर बड़ी जंग हुई, तो अमेरिका के विरोधी देश एकजुट होंगे. इससे इजरायल को भी खतरा होगा. अमेरिका का विरोधी रूस खुलकर ईरान की मदद कर सकता है. अगर रूस ने ईरान को मदद देनी शुरू कर दी, तो इजरायल पर ईरान भारी पड़ सकता है.
पांचवां- इजरायल की बड़े जंग से बचने की एक और वजह जो बाइडेन की मजबूरियां भी हैं. अमेरिका में इस साल 5 नवंबर को प्रेसिडेंट के इलेक्शन होने हैं. जाहिर तौर पर चुनावी दौर में सत्ताधारी डेमोक्रेट युद्ध से बचेंगे. क्योंकि ऐसा किया तो रिपब्लिकन पार्टी और डोनाल्ड ट्रंप को सियासी हमले का मौका मिलेगा.
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