अमेरिका में इंफोसिस पर लगा भारतीय मूल के लोगों से भेदभाव का आरोप, कोर्ट पहुंचा मामला

इस आरोप में कहा गया था कि उन्हें कंपनी की तरफ से कहा गया था कि वो भर्ती के दौरान भारीतय मूल की महिलाओं जिनके साथ बच्चे भी हों और 50 साल की उम्र से ऊपर के उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया के दौरान नजरअंदाज करें. 

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नई दिल्ली:

अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों से भेदभाव को लेकर आईटी क्षेत्र की बड़ी कंपनी में से एक इंफोसिस इन दिनों चर्चाओं में है. दरअसल, पिछले साल इंफोसिस में काम करने वाली एक कर्मचारी ने कंपनी पर भारतीय मूल के लोगों के साथ भर्ती प्रक्रिया के दौरान भेदभाव करने का आरोप लगया था. हालांकि, आरोप लगाने वाली कर्मचारी अब इंफोसिस में काम नहीं कर रही है.इस पूर्व कर्मचारी ने आरोप लगाया था कि अमेरिका में इंफोसिस अपनी भर्ती प्रक्रिया के दौरान उम्र, लिंग और राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव कर रही है.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंफोसिस के टैलेंट एक्यूजेशन की पूर्व वाइस प्रेसीडेंट जिल प्रेजीन ने आरोप लगाया था. इस आरोप में कहा गया था कि उन्हें कंपनी की तरफ से कहा गया था कि वो भर्ती के दौरान भारीतय मूल की महिलाओं जिनके साथ बच्चे भी हों और 50 साल की उम्र से ऊपर के उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया के दौरान नजरअंदाज करें. 

जिल प्रेजीन ने न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के लिए यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी इस बात को स्वीकार किया है. मिस प्रेजीन ने इस मामले में कंपनी के खिलाफ एक मुकदमा भी किया है. 

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रिपोर्ट के अनुसार प्रेजीन ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा है कि मैं कंपनी की तरफ से मिले लिंग, उम्र और राष्ट्रियता के आधार पर भेदभाव करने की सलाह को सुनकर हैरान रह गई थी. उसने आगे कहा कि 2018 में इस कंपनी को ज्वाइन करने के बाद शुरुआती दो महीनों में मैंने इस कल्चर को बदलने की कोशिश भी की थी, लेकिन उस दौरान मुझे मेरे ही सहयोगी की नाराजगी का सामना करना पड़ा था.

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प्रेजीन के खिलाफ इंफोसिस ने एक प्रस्ताव दायर किया है. इसमे प्रेजीन के मुकदमे को खारिज करने की मांग की गई है. इंफोसिस ने कोर्ट को यह भी बताया कि मिस प्रेजीन को कंपनी के नियमों के तहत काम न करने की वजह से ही हटाया गया था. इंफोसिस ने इस पूरे मुकदमे को इस आधार पर खारिज करने की मांग की है कि अभी तक प्रेजीन ने अपने आरोपों को लेकर कोई सबूत पेश नहीं किए हैं. हालांकि, कोर्ट ने इंफोसिस की इस मांग को खारिज करते हुए कंपनी से 21 दिन के भीतर लगाए गए आरोपों को लेकर जवाब देने को कहा था.

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इस पूरे मामले को लेकर NDTV इंफोसिस से बात करने की कोशिश की लेकिन कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. 

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