जापान में भारतीयों ने PM मोदी का शांति संदेश फैलाने के लिए बजाई घंटी, हिरोशिमा शांति स्मारक पर बनाई मानव शृंखल

आईएमएफ प्रतिनिधियों और भारतीय समुदाय के सदस्यों ने हिरोशिमा शांति स्मारक (जिसे जेनबाकू डोम के नाम से जाना जाता है) के सामने एक मानव शृंखला भी बनाई. यह स्मारक 6 अगस्त 1945 को हुए पहले परमाणु बम विस्फोट में बची एकमात्र संरचना है.

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  • भारतीयों ने हिरोशिमा-नागासाकी परमाणु विस्फोटों के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए विश्व सेवा पखवाड़ा मनाया.
  • सेवा पखवाड़ा PM मोदी के जन्मदिन से महात्मा गांधी -शास्त्री की जयंती तक शांति का संदेश फैलाने के लिए होता है.
  • भारतीय अल्पसंख्यक संघ ने हिरोशिमा शांति स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर PM मोदी की शांति प्रयासों की सराहना की.
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टोक्यो:

जापान में प्रवासी भारतीयों ने शनिवार को हिरोशिमा और नागासाकी बम विस्फोटों के पीड़ितों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए 'विश्व सेवा पखवाड़ा 2025' मनाया. इस दौरान भारतीय समुदाय के लोगों ने विश्व शांति को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की सराहना की. 

प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन (17 सितंबर) से महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती 2 अक्टूबर तक चलने वाला 'सेवा पखवाड़ा' एक जनसेवा पहल है, जो दुनियाभर में शांति और मानवता का संदेश फैलाने के लिए समर्पित है. परमाणु बम विस्फोटों की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय अल्पसंख्यक संघ (आईएमएफ) ने प्रवासी भारतीयों और हिरोशिमा में बचे लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले जापानी गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर हिरोशिमा शांति स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की.

इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के वैश्विक शांति और सद्भाव के दृष्टिकोण को फैलाने के लिए 75 बार शांति की घंटी भी बजाई. प्रतिभागियों ने दुनियाभर में शांति को बढ़ावा देने, युद्धों को समाप्त करने और संघर्षों के समाधान के लिए प्रधानमंत्री के निरंतर प्रयासों की सराहना की. आईएमएफ प्रतिनिधिमंडल में राज्यसभा सांसद और आईएमएफ संयोजक सतनाम सिंह संधू, आईएमएफ की सह-संस्थापक प्रो. हिमानी सूद और परमाणु बम विस्फोट में जीवित बचे लोगों के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता समूह निहोन हिदानक्यो की सदस्य तोशिको तनाका शामिल थीं.

आईएमएफ प्रतिनिधियों और भारतीय समुदाय के सदस्यों ने हिरोशिमा शांति स्मारक (जिसे जेनबाकू डोम के नाम से जाना जाता है) के सामने एक मानव शृंखला भी बनाई. यह स्मारक 6 अगस्त 1945 को हुए पहले परमाणु बम विस्फोट में बची एकमात्र संरचना है.

भारतीय समुदाय का यह कार्यक्रम युद्ध और परमाणु हथियारों के खिलाफ वैश्विक आंदोलन के साथ एकजुटता का प्रतीक था. इस दौरान प्रवासियों ने प्रधानमंत्री मोदी के मुखौटे पहने और उन्हें 'विश्व शांति का मसीहा' बताया. इस बीच जब लोगों ने भारतीय ध्वज लहराकर 'वंदे मातरम' और 'माँ तुझे सलाम' गाया तो वातावरण देशभक्ति की भावना से भर गया. भारतीय समुदाय ने 'भारत माता की जय' के नारे भी लगाए.

सतनाम सिंह संधू ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "वैश्विक संघर्षों के बीच प्रधानमंत्री मोदी मानवता के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक वैश्विक शांतिदूत की भूमिका निभा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा विश्व शांति, एकता और सद्भाव का समर्थन किया है और उनका मानना ​​है कि सभी को शांति और सद्भाव से रहना चाहिए और एक बेहतर और शांतिपूर्ण कल की ओर बढ़ना चाहिए."

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पाकिस्तान के गुजरात से एहसान वासी ने भी प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की बधाई दी और शांति को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, "हमारा मानना ​​है कि प्रधानमंत्री मोदी शांति के लिए काम कर रहे हैं. भविष्य में हम इस शांति घंटी के माध्यम से एक शांतिपूर्ण विश्व की कल्पना करते हैं, जिसमें पूरी दुनिया एक मानचित्र पर दिखाई देगी और हम सब एक होंगे. मोदी जी का संदेश है कि दुनिया में युद्ध नहीं होना चाहिए. सभी मुद्दों का समाधान शांति, सौहार्द और प्रेम से होना चाहिए. मेरी ओर से मोदी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं."

प्रवासी समुदाय के सदस्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी का वसुधैव कुटुम्बकम का दृष्टिकोण मानवता को राष्ट्रों, भाषाओं और विचारधाराओं की सीमाओं से परे एक परिवार के रूप में एक साथ प्रगति करने के लिए प्रेरित करता है.

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