दक्षिण अफ्रीका में मंदिर ढहने से भारतीय मूल के व्यक्ति की मौत, बिना इजाजत के हो रहा था निर्माण

दक्षिण अफ्रीका के क्वाजुलु-नताल प्रांत में एक निर्माणाधीन चार मंजिला हिंदू मंदिर के ढहने से चार लोगों की मौत हो गई थी. अब पता चला है कि मरने वालों में भारतीय मूल का एक व्यक्ति भी शामिल है.हालांकि नगर पालिका के कर्मचारियों का कहना है कि मंदिर के निर्माण के लिए कोई भवन योजना स्वीकृत नहीं की गई थी.

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जोहान्सबर्ग:

दक्षिण अफ्रीका के क्वाजुलु-नताल प्रांत में निर्माणाधीन चार मंजिला मंदिर ढहने की घटना में मारे गए चार लोगों में भारतीय मूल का 52 साल का एक व्यक्ति भी शामिल है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. भगवान नरसिंहदेव के इस मंदिर को भारतीय मूल का एक परिवार बना रहा था. इसका निर्माण करीब दो साल पहले शुरू हुआ था. इसमें  भगवान नरसिंहदेव की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा लगाई जा रही थी. हालांकि ईथेक्विनी (पूर्व में डरबन) की नगरपालिका का कहना है कि मंदिर के निर्माण के लिए कोई भवन योजना स्वीकृत नहीं की गई थी.  

दक्षिण अफ्रीका में कहां गिरा निर्माणाधीन मंदिर

ईथेक्विनी (पूर्व में डरबन) के उत्तर में रेडक्लिफ की एक खड़ी पहाड़ी पर स्थित 'न्यू अहोबिलम टेंपल ऑफ प्रोटेक्शन' का विस्तार किया जा रहा था. इस दौरान शुक्रवार को इमारत का एक हिस्सा ढह गया. माना जा रहा है कि मलबे के नीचे श्रमिक और मंदिर के अधिकारी दबे हैं, लेकिन अभी उनकी सटीक संख्या का पता नहीं चल पाया है.

शुक्रवार को एक मजदूर और एक श्रद्धालु सहित दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी.बचाव दल द्वारा और शव बरामद किए जाने के बाद शनिवार को मृतकों की संख्या बढ़कर चार हो गई. स्थानीय मीडिया ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि चार मृतकों में से एक की पहचान विक्की जयराज पांडे के रूप में हुई है. वह मंदिर न्यास के कार्यकारी सदस्य और निर्माण परियोजना के प्रबंधक थे.

खबरों के मुताबिक, पांडे करीब दो साल पहले मंदिर की स्थापना के समय से ही इसके विकास कार्यों में शामिल थे. मंदिर से संबद्ध धर्मार्थ संस्था 'फूड फॉर लव' के निदेशक सनवीर महाराज ने पुष्टि की कि मंदिर के ढहने की घटना में मारे गए लोगों में पांडे भी शामिल थे.

अधिकारियों का क्या कहना है

दक्षिण अफ्रीका की प्रतिक्रिया इकाई के प्रवक्ता प्रेम बलराम ने स्थानीय मीडिया को बताया कि बचाव अभियान दो दिन से जारी है और बचावकर्मियों को एक अन्य शव होने का पता चला है, लेकिन उन्हें खराब मौसम के कारण शनिवार दोपहर अभियान रोकना पड़ा. उन्होंने कहा,''इस समय यह पुष्टि नहीं की जा सकती कि मलबे के नीचे और भी लोग फंसे हुए हैं या नहीं.''

ईथेक्विनी (पूर्व में डरबन) की नगरपालिका ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि मंदिर के निर्माण के लिए कोई भवन योजना स्वीकृत नहीं की गई है, यानी यह निर्माण कार्य अवैध था. अहोबिलम मंदिर के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर एक गुफा की तरह बनाया गया है. इसमें वहां मौजूद पत्थरों के अलावा भारत से लाए पत्थरों का उपयोग किया जा रहा था. मंदिर का निर्माण करा रहे परिवार ने बताया कि निर्माण कार्य लगभग दो साल पहले शुरू हुआ था. इसमें भगवान नरसिंहदेव की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित किए जाने का कार्यक्रम था.

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क्वाजुलु-नताल प्रांत के कोऑपरेटिव गवर्नेंस और पारंपरिक मामलों के मंत्री थुलासिज्वे बुथेलेजी ने शनिवार को घटनास्थल का दौरा किया और वादा किया कि बचाव अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक जरूरी होगा.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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