कोविड-19 प्रबंधन का अगर कोई UN लक्ष्य होता, तो भारत को मिलती जबर्दस्त सफलता : सुजमैन

सुजमैन की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आयी है जब बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने अपनी छठी वार्षिक ‘गोलकीपर्स रिपोर्ट’ जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2030 तक हासिल किए जाने वाले संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का लगभग हर संकेतक बीच मार्ग में पटरी से उतर गया है. 

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‘गोलकीपर्स रिपोर्ट’ के अनुसार भारत UN के लगभग हर SDG लक्ष्य से बीच पटरी पर उतर गया है ( File Photo)
नई दिल्ली:

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क सुजमैन ने मंगलवार को कहा कि भारत एक प्रायोगिक मामला एवं विकास में सुधार के लिए डिजिटल उपकरणों का स्मार्ट तरीके से उपयोग करने का एक मॉडल है तथा यदि कोविड-19 प्रबंधन के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य सतत विकास लक्ष्य (SDG) होता, तो देश ने जबरदस्त सफलता का प्रदर्शन किया होता.

सुजमैन ने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि भारत ने यह दिखाया है कि महामारी सहित विभिन्न चुनौतियों के बावजूद अपने स्वयं के विकास गति को जारी कैसे रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सीखे गए सबक और देश में विकसित मॉडल विश्व स्तर पर प्रगति को गति दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 टीके की दो अरब से अधिक खुराक देने और 90 प्रतिशत टीकाकरण दर तक पहुंचने में भारत की सफलता दुनिया को यह दिखाती है कि कदम किस तरह से उठाये जा सकते हैं।

सुजमैन की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आयी है जब फाउंडेशन ने अपनी छठी वार्षिक ‘गोलकीपर्स रिपोर्ट' जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2030 तक हासिल किए जाने वाले संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का लगभग हर संकेतक बीच मार्ग में पटरी से उतर गया है. 

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड पर कोई एसडीजी नहीं है, दो अरब से अधिक खुराक देने और 90 प्रतिशत टीकाकरण दर तक पहुंचने में भारत की सफलता दुनिया को यह दिखाती है कि किस तरह की कार्रवाई की जा सकती है।''

सुजमैन ने सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक सहित टीकों के निर्माण में भारत के नेतृत्व का भी हवाला दिया और कहा कि फाउंडेशन की दोनों कंपनियों के साथ लंबे समय से साझेदारी है।

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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत के संदर्भ में, जिसने पहले ही स्वास्थ्य एवं कोविड के मामले में अच्छे वैश्विक नेतृत्व का प्रदर्शन किया है, यह एक अवसर है कि सरकार एसडीजी पर घरेलू स्तर पर प्रगति में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखे। साथ ही इनमें से कुछ प्राथमिकताओं को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने की कोशिश में कुछ व्यापक वैश्विक नेतृत्व का समर्थन करे, विशेष रूप से ऐसे समय पर जब भारत अगले साल जी20 की अध्यक्षता करने वाला है।''

जी-20 विश्व स्तर पर सबसे शक्तिशाली समूहों में से एक है और भारत एक दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक एक वर्ष के लिए उसकी अध्यक्षता करेगा।

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फाउंडेशन के सीईओ ने गरीबी में कमी और बाल मृत्यु दर में कमी सहित विभिन्न विकास मानकों में भारत और कुछ अन्य देशों द्वारा की गई ‘‘प्रगति'' को भी गिनाया।

उन्होंने महामारी के द्वितीयक प्रभावों के बारे में बात करते हुए चुनौतियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्तीय पहुंच और अन्य में व्यापक हस्तक्षेप का भी उल्लेख किया और भारत के कोविन डिजिटल टीकाकरण प्लेटफॉर्म की सराहना की।

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उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए उपयोग किये गए कोविन ऐप और अन्य प्रणाली एक अच्छा वैश्विक मॉडल हैं। हमें लगता है कि इससे जी20 या अन्य माध्यमों से अफ्रीका सहित अन्य देशों को यह दिखाया जा सकता है कि वे इससे सीख लेते हुए स्वास्थ्य के लिए अपने स्वयं के प्लेटफॉर्म विकसित कर सकते हैं।''

सुजमैन ने कहा कि फाउंडेशन विकास के लिए भारतीय मॉडल पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सीईओ ने धान के उत्पादन में भारत की ताकत पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने, विशेष रूप से ‘‘तेजी से बढ़ने वाले'' धान का जिक्र किया जो जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल ढल सकता है।

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उन्होंने कहा, ‘‘भारत अपने स्वयं के विकास को जारी रख सकता है, क्योंकि इससे वैश्विक संख्या में भारत के आकार और महत्व को देखते हुए बहुत बड़ा फर्क पड़ता है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में मिले कुछ सबक और विकसित हुए कुछ मॉडलों को अन्य देशों के साथ साझा करें ताकि यह देखा जा सके कि क्या हम विश्व स्तर पर प्रगति में तेजी ला सकते हैं।''

सुजमैन ने कहा कि 'गोलकीपर्स' रिपोर्ट दुनिया के लिए विभिन्न विकास लक्ष्यों पर काम करने का एक ‘‘वास्तविक आह्वान'' है जो कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप काफी हद तक ठप हो गया है।

उन्होंने खाद्य सुरक्षा संकट के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में भी बात की जो ‘‘यूक्रेन में युद्ध के कारण और व्यापक रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न हुआ है।'' उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका और एशिया और लातिन अमेरिका के देशों को प्रभावित कर रहा है।

'गोलकीपर्स' रिपोर्ट में भारत के, महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के बारे में किये गए उल्लेख के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि फाउंडेशन ने इस क्षेत्र में भारत में कई वर्षों तक काम किया और पाया कि एसएचजी महिला सशक्तिकरण के लिए अविश्वसनीय रूप से प्रभावी एक तंत्र है।

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