ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Fifth-biggest economy)बन गया है. ऐसे समय जब लंदन में सरकार जीवन यापन के झटके का सामना कर रही है, उसे भारत की ओर से यह बड़ा झटका मिला है. वर्ष 2021 के अंतिम तीन माह में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए भारत ने विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने का श्रेय हासिल किया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) आंकड़ों के अनुसार, यह 'केलकुलेशन' यूएस डॉलर पर आधारित है.
इंटरनेशनल रैंकिंग में ब्रिटेन की यह गिरावट नए प्रधानमंत्री के लिए चुनौती की तरह है. कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य सोमवार को बोरिस जॉनसन के उत्तराधिकारी को चुनेंगे. विदेश मंत्री लिज ट्रुज के इस रेस में भारतीय मूल के मंत्री ऋषि सुनक को पीछे छोड़ने की संभावना है. इस रेस का विजेता, चार दशकों में सबसे तेज मुद्रास्फीति और मंदी के बढ़ते जोखिमों का सामना करने वाले देश को संभालेगा. बैंक ऑफ इंग्लैंड की चेतावनी इस मामले में चिंता बढ़ाने वाली है जिसका कहना है कि यह दौर 2024 तक जारी रह सकता है.
इसके विपरीत, भारतीय अर्थव्यवस्था के इस वर्ष 7 फीसदी से अधिक बढ़ने का अनुमान है. दूसरी ओर, ब्रिटेन की बात करें तो उसकी मुश्किलें आने वाले समय में और बढ़ सकती है. यूके की जीडीपी दूसरी तिमाही में कैश के संदर्भ में केवल एक फीसदी बढ़ी है. यदि हम मुद्रास्फीति को ध्यान में रखें तो इसमें 0.1% की कमी आई है. अंतरराष्ट्रीस मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के अपने पूर्वानुमान बताते हैं कि भारत इस साल सालाना आधार पर डॉलर के मामले में यूके से आगे निकल गया है और अब वह केवल अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से ही पीछे है. एक दशक में भारत की यह उछाल उल्लेखनीय है. एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें क्रम पर थे जबकि यूके पांचवें नंबर पर था.
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