- भारत रूस से तेल खरीदता है क्योंकि उसे भारी छूट पर तेल मिलने से उसकी ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं.
- भारतीय उच्चायुक्त दोरईस्वामी ने पश्चिमी देशों की आलोचनाओं को खारिज करते हुए अपनी अर्थव्यवस्था बचाने की बात कही
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और अपनी जरूरत का अधिकांश तेल विदेश से खरीदता है.
भारत रूस से तेल खरीदता है और पश्चिमी देशों को यह रास नहीं आता. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इन पश्चिमी देशों को पहले ही इस मुद्दे पर कई मंचों से करारा जवाब दे दिया है. इस बार कुछ ऐसा ही ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने किया है. उन्होंने पश्चिम की आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि कोई देश "अपनी अर्थव्यवस्था को बंद नहीं कर सकता". पिछले हफ्ते ब्रिटिश रेडियो स्टेशन टाइम्स रेडियो से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के कई यूरोपीय साझेदार भी उन्हीं देशों से रेयर अर्थ मेटल्स और अन्य ऊर्जा उत्पाद खरीद रहे हैं, जहां से वे "हमें खरीदने से मना कर रहे हैं".
विक्रम दोरईस्वामी ने कहा, "क्या आपको नहीं लगता कि यह थोड़ा अजीब है?"
गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. वैसे तो वह पारंपरिक रूप से मिडिल ईस्ट के देश से अपना तेल प्राप्त करता है, लेकिन जब उसे रूस से भारी छूट पर ऑफर मिला तो उसने रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर विभिन्न पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे जिसके बाद रूस ने भारी छूट पर तेल बेचना शुरू किया.
भारतीय राजदूत ने बताया, "इनमें से एक हमारा दीर्घकालिक सुरक्षा संबंध है जो उस युग से चला आ रहा है जब हमारे कुछ पश्चिमी साझेदार हमें हथियार नहीं बेचते थे बल्कि हमारे पड़ोस के देशों को बेचते थे जो उनका इस्तेमाल केवल हम पर हमला करने के लिए करते थे." उन्होंने यह भी कहा कि भारत का रूस के साथ "ऊर्जा संबंध" है. उन्होंने कहा कि बाकी सभी देश उन स्रोतों से ऊर्जा खरीद रहे हैं जहां से पहले हम खरीदते थे.
विक्रम दोरईस्वामी ने कहा, "तो हम बड़े पैमाने पर ऊर्जा बाजार से बाहर हो गए हैं, और लागत बढ़ गई है. हम दुनिया में ऊर्जा के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता हैं. हम अपने उत्पाद का 80% से अधिक आयात करते हैं. तो आप क्या चाहते हैं हम क्या करें? अपनी अर्थव्यवस्था को बंद कर दें?"
उन्होंने कहा, "हम अपने चारों ओर ऐसे रिश्ते भी देखते हैं जहां कई देश उन देशों के साथ अपनी सुविधा से रिश्ते बनाए रखते हैं जो हमारे लिए परेशानी का सबब खड़ा करते हैं. लेकिन क्या उस मामले में हम आपसे वफादारी साबित करने के लिए कहते हैं?"
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार कहा है कि 'यह युद्ध का युग नहीं है.' उन्होंने कहा, "उन्होंने यह बात बार-बार कही है, जिसमें रूस के राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति भी शामिल हैं."