- रूस, चीन, भारत और सात अन्य देशों ने अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य बुनियादी ढांचे की तैनाती का विरोध किया है
- मॉस्को फॉर्मेट वार्ता में अफगानिस्तान में शांति और विकास के लिए आतंकवाद-रोधी सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा हुई
- ट्रंप तालिबान शासन पर दबाव बना रहे हैं कि वह बगराम एयरबेस अमेरिका को सौंप दे, क्योंकि इसे अमेरिका ने बनाया था
अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य बुनियादी ढांचे की तैनाती के प्रयासों के विरोध में उतरे रूस, चीन और सात अन्य देशों को अब भारत का भी साथ मिला है. यह विरोध उस समय आया है जब अफगानिस्तान के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बगराम एयरबेस को सौंपने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तालिबान शासन पर दबाव बना रहे हैं. मंगलवार, 7 अक्टूबर को सामने आए “मॉस्को फॉर्मेट” वार्ता के नए वर्जन में, इन देशों के समूह ने अफगानिस्तान में समृद्धि और विकास लाने के तौर-तरीकों पर व्यापक विचार-विमर्श किया.
इन देशों ने अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में सैन्य बुनियादी ढांचे तैनात करने के कुछ देशों के प्रयासों को “अस्वीकार्य” बताया, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हितों की पूर्ति नहीं करता है. तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने पहली बार ‘मॉस्को फॉर्मेट' वार्ता में भाग लिया.
बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने (देशों ने) जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान को आतंकवाद को खत्म करने और इसे जल्द से जल्द जड़ से मिटाने के लिए ठोस कदम उठाने में मदद दी जानी चाहिए, ताकि काबूल की धरती का इस्तेमाल पड़ोसी देशों और अन्य जगहों की सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में न हो.'' इसमें कहा गया कि इन देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद अफगानिस्तान, क्षेत्र और व्यापक विश्व की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है.
भारत, रूस और चीन के अलावा, इस बैठक में ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने भी भाग लिया. इन देशों ने इस क्षेत्र और इससे आगे के देशों के साथ अफगानिस्तान के आर्थिक संबंधों की आवश्यकता पर जोर दिया.
मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास ने कहा कि राजदूत विनय कुमार के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने एक स्वतंत्र, शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान तथा वहां के लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास और समृद्धि का समर्थन किया. दूतावास ने सोशल मीडिया पर कहा कि कुमार ने भारत की स्थिति दोहराई कि एक सुरक्षित, शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान वहां के लोगों के हितों की पूर्ति करेगा और क्षेत्रीय लचीलेपन और वैश्विक सुरक्षा के लिए आवश्यक होगा.
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