ब्रिक्स के विस्तार का भारत पूरा समर्थन करता है : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने यह उम्मीद भी जताई कि अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता के भारत के प्रस्ताव का सभी ब्रिक्स राष्ट्र समर्थन करेंगे. मोदी ने 2016 में भारत की ब्रिक्स की अध्यक्षता को भी याद किया.

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प्रधानमंत्री मोदी ने उम्मीद जताई कि अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता के भारत के प्रस्ताव का सभी ब्रिक्स राष्ट्र समर्थन करेंगे.
जोहानिसबर्ग:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ब्रिक्स के विस्तार का भारत पूरा समर्थन करता है और आम सहमति से इस दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत करता है. उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण सहित कई क्षेत्रों में समूह के सदस्य देशों के बीच सहयोग का दायरा और बढ़ाने के लिए पांच सुझाव भी दिए. अधिकारियों के अनुसार, जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) की शिखर बैठक के दौरान मोदी ने समूह से ध्रुवीकरण नहीं, बल्कि एकता का वैश्विक संदेश भेजने का आह्वान किया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के लिए समयसीमा निर्धारित करने की अपील की.

प्रधानमंत्री ने कई बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधार करने और ब्रिक्स के प्रस्तावित अंतरिक्ष अन्वेषण समूह का गठन किये जाने का भी समर्थन किया. शिखर बैठक के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि समूह को ‘भविष्य के लिए तैयार होने में' प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. उन्होंने डिजिटल क्षेत्र में विशेषज्ञता साझा करने के लिए भारत की तैयारियों की भी पेशकश की. मोदी ने कहा, ‘‘भारत, ब्रिक्स की सदस्यता का विस्तार करने का पूरा समर्थन करता है और इस पर सहमति के साथ आगे बढ़ने का स्वागत करता है.''

ब्रिक्स का विस्तार समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में एक मुख्य विषय है क्योंकि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अर्जेंटीना सहित 23 देशों ने इसकी सदस्यता के लिए आवेदन किया है. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पूर्ण सत्र को मोदी के बाद संबोधित किया और उन्होंने भी वैश्विक शासन को अधिक समतापूर्ण बनाने के लिए ब्रिक्स के त्वरित विस्तार की हिमायत की. शी ने कहा, ‘‘हमें वैश्विक शासन को और अधिक न्यायसंगत और समतापूर्ण बनाने के लिए ब्रिक्स परिवार में और भी देशों को शामिल कर समूह का विस्तार करने की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है.'' दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कहा कि ब्रिक्स देश इसके विस्तार पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘उम्मीद है कि हम इस विषय का एक स्पष्ट समाधान ढूंढ लेंगे क्योंकि हमने इस विषय पर आपस में चर्चा की है.''

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वहीं, भारत में सूत्रों ने बताया कि देश समूह में नये देशों को चुनने के लिए आम सहमति बनाने में अग्रणी रहा है और प्रस्तावित विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ है. ब्रिक्स के विस्तार के मुद्दे पर मंगलवार शाम ‘लीडर्स रिट्रीट' में विस्तार से चर्चा हुई. एक सूत्र ने कहा, ‘‘हमारे प्रयास हमारे रणनीतिक साझेदारों को नये सदस्य के रूप में शामिल करने के लक्ष्य द्वारा दिशानिर्देशित हैं.'' मोदी ने अपने संबोधन में, बाघ की प्रजाति के जंतुओं के लिए अंतरराष्ट्रीय बिग कैट अलायंस के तहत उनके संरक्षण के वास्ते संयुक्त कोशिशों का भी प्रस्ताव किया. उन्होंने सदस्य देशों के बीच पारंपरिक दवाओं का एक भंडार बनाने की भी हिमायत की.

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प्रधानमंत्री मोदी ने यह उम्मीद भी जताई कि अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता के भारत के प्रस्ताव का सभी ब्रिक्स राष्ट्र समर्थन करेंगे. मोदी ने 2016 में भारत की ब्रिक्स की अध्यक्षता को भी याद किया. उन्होंने समूह के नाम में शामिल अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के आधार पर इसे ‘उत्तरदायी, समावेशी और सामूहिक समाधानों के लिए निर्माण' (बिल्डिंग रेसपांसिव, इन्क्लूसिव और कलेक्टिव सॉल्यूशंस) के रूप में परिभाषित किया था. उन्होंने कहा, ‘‘सात साल बाद...हम कह सकते हैं कि ब्रिक्स--ब्रेक्रिंग बैरियर्स (बाधाओं को तोड़ना), रिविटलाइजिंग इकोनॉमीज (अर्थव्यवस्थाओं में नयी जान फूंकना), और शेपिंग द फ्यूचर(भविष्य को गढ़ना) होगा. ब्रिक्स के साझेदार देशों के साथ मिलकर हम इस नयी परिभाषा को सार्थक बनाने में सक्रियता से योगदान देना जारी रखेंगे.''

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कोविड-19 टीकाकरण मंच ‘कोविन' जैसे डिजिटल क्षेत्र में भारत की सफलता का उदाहरण देते हुए मोदी ने कहा कि विविधता हमारे देश की बहुत बड़ी ताकत है और भारत में किसी भी समस्या का समाधान इस विविधता की कसौटी से निकलता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स ने पिछले दो दशकों में एक लंबी और अद्भुत यात्रा शुरू की है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि समूह का ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक' ग्लोबल साउथ में विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने में किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

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मोदी ने कहा कि भारत ने रेलवे अनुसंधान नेटवर्क और एमएसएमई तथा स्टार्ट-अप के बीच सहयोग के क्षेत्रों में उपाय सुझाए हैं और इन क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष अनुसंधान, शिक्षा, कौशल विकास, प्रौद्योगिकी, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और पारंपरिक दवा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पांच विशेष सुझाव भी दिए.

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