भारत (India) और फ्रांस (France) ने साझा चिंताओं और परस्पर हितों के कई मुद्दों पर चर्चा की है. इसमें अर्थिक विकास, यूक्रेन और अफगानिस्तान के मुद्दे अहम रहे. विदेश मंत्री एस जयशंकर की फ्रांस की तीन दिन की यात्रा के दौरान रविवार को फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां येव्स ली द्रां के साथ द्विपक्षीय वार्ता के साथ हुई. 20 फरवरी को हुई इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-येवेस ले ड्रियन (Jean-Yves Le Drian) के साथ हुई वार्ता में अफगानिस्तान, ज्वाइंट कांप्रीहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) पर बात की और साथ ही यूक्रेन (Ukraine) की स्तिथी पर भी चर्चा की गई. दोनों मंत्रियों ने बहुपक्षवाद और कानून के अनुसार व्यवस्था के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
भारत और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में साझा चिंताओं पर सहयोग करने पर भी सहमति जताई. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कोविड19 के दौरान दोनों देशों के निकट सहयोग की प्रशंता की. भारत और फ्रांस ने खासकर व्यापार, निवेश, रक्षा और सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, शोध और इनोवेशन, उर्जा और पर्यावरण बदलाव को लेकर भी अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर भी सहमति जताई.
दोनों देश समुद्र के रास्ते अपनी अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए साथ आ गए हैं. भारत और फ्रांस ने ‘नीली अर्थव्यवस्था' (Blue Economy) यानी समुद्री अर्थव्यवस्था पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए एक रूपरेखा पर सहमति जताई है. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच कानून के तहत समुद्र पर एक साझा दृष्टिकोण बनाने तथा सतत एवं मजबूत तटीय और जलमार्ग ढांचे पर सहयोग के लिए भी सहमति बनी है.
डॉ जयशंकर ने 22 फरवरी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग पर होनी वाली EU मिनिस्टीरियल फोरम की बैठक आयोजित करने के लिए फ्रांस की प्रशंसा की. इस बैठक में हिंद-प्रशांत और यूरोपीय देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. भारत और फ्रांस के बीच हुई मुलाकात में भारत-यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार और निवेश को लेकर बातचीत शुरु करने और India-EU के बीच कनेक्टिविटी पार्टनरशिप को लागू करने पर भी ध्यान दिया गया.
ईयू मिनिस्ट्रियल फोरम के संदर्भ में दोनों देशों के मंत्रियों ने 22 फरवरी 2022 से इंडो-पैसेफिक पार्क पार्टनरशिप भी शुरू करने पर सहमति जताई है. यह पार्टनरशिप इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपनी क्षमता मजबूत करने पर ध्यान देगी. इसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र के संरक्षित इलाकों का सतत प्रबंधन भी शामिल है.
इस मुलाकात के दौरान जिस ब्लू इकॉनमी की रूप-रेखा की बात की गई उसमें समुद्री व्यापार, नौवहन उद्योग, मत्स्य पालन, समुद्री प्रौद्योगिकी एवं वैज्ञानिक अनुसंधान, समुद्री पर्यवेक्षण, समुद्री जैव विविधता, समुद्री पारिस्थितिकी आधारित प्रबंधन और एकीकृत तटीय प्रबंधन, समुद्री पर्यावरण अनुकूल पर्यटन, अंतर्देशीय जलमार्ग, सिविल समुद्री मुद्दों पर सक्षम प्राधिकरणों के बीच सहयोग, समुद्री स्थानिक योजना के साथ ही समुद्र की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तथा इससे संबंधित बहुपक्षीय वार्ताएं शामिल हैं.
विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘‘भारत और फ्रांस पर्यावरण तथा तटीय एवं समुद्री जैव विविधता का सम्मान करते हुए नीली अर्थव्यवस्था को अपने-अपने समाज की प्रगति का वाहक बनाना चाहते हैं. दोनों देशों का उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान और समुद्री संरक्षण में योगदान देना तथा यह सुनिश्चित करना है कि समुद्र स्वतंत्रता और व्यापार का स्थान बने जो कानून पर आधारित हो.''
इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों की अपनी प्राथमिकताओं पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए समुद्री अर्थव्यवस्था और इसके संचालन पर वार्षिक द्विपक्षीय संवाद करने की योजना है.