देखो कौन ज्ञान दे रहा… पाकिस्तान को UNHRC में भारत की दो टूक, अल्पसंख्यकों के खिलाफ काली करतूत याद दिलाई

पाकिस्तान के पाखंड की पूरी दुनिया के सामने आलोचना करते हुए भारत ने कहा कि यह "गहरी विडंबना" है कि अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के रिकॉर्ड वाला देश दूसरों को मानवाधिकारों पर ज्ञान दे रहा है.

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भारतीय राजनयिक मोहम्मद हुसैन ने इस्लामाबाद को दिया करारा जवाब
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  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान को अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के लिए आलोचना की है
  • भारतीय राजनयिक मोहम्मद हुसैन ने पाकिस्तान को अपनी धरती पर मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है
  • पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हवाई हमले में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 23 नागरिक मारे गए हैं
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानी UNHRC में एक बार फिर पाकिस्तान को आईना दिखाया है. पाकिस्तान के पाखंड की पूरी दुनिया के सामने आलोचना करते हुए भारत ने कहा कि यह "गहरी विडंबना" है कि अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के रिकॉर्ड वाला देश दूसरों को मानवाधिकारों पर ज्ञान दे रहा है. बुधवार, 1 सितंबर को जिनेवा में UNHRC के 60वें सत्र की 34वीं बैठक में बोलते हुए, भारतीय राजनयिक मोहम्मद हुसैन ने इस्लामाबाद से "अपनी धरती पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का मुकाबला करने" के लिए कहा.

हुसैन ने कहा, "भारत को यह बड़ी विडंबना लगती है कि पाकिस्तान जैसा देश मानवाधिकारों पर दूसरों को उपदेश देना चाहता है. प्रोपेडेंगा फैलाने के बजाय, पाकिस्तान को अपनी धरती पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का सामना करना चाहिए."

भारत की तरफ से यह टिप्पणी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 23 आम नागरिकों की हत्या किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है. पाकिस्तान की सरकार ने अपने ही लोगों पर हवाई हमला करने का फैसला किया था और आम लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. यह हमला अल्पसंख्यकों के साथ इस्लामाबाद के व्यवहार और आंतरिक मानवाधिकार चुनौतियों से निपटने में उसकी लगातार विफलता के बारे में नई दिल्ली की लंबे समय से चली आ रही आलोचना को मजबूत करता है.

सिर्फ भारत ने ही पाकिस्तान को नहीं घेरा

यहां अन्य अंतर्राष्ट्रीय आवाजों ने भी पाकिस्तान में हो रहे खतरनाक मानवाधिकार उल्लंघनों के बारे में चिंताएं उठाईं. अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक शोधकर्ता (रिसर्चर) जोश बोवेस ने इस बात पर जोर डाला कि कैसे पाकिस्तान विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 158वें स्थान पर है.

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, "USCIRF की 2025 की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के अंदर 700 से अधिक व्यक्ति ईशनिंदा के आरोप में जेल में थे, जिसमें पिछले साल की तुलना में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है." उन्होंने आगे बलूच लोगों द्वारा सामना किए जा रहे अत्याचारों को भी उजागर किया और कहा, "बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार निकाय ने अकेले 2025 की पहली छमाही में 785 जबरन गायब होने और 121 हत्याओं का दस्तावेजीकरण किया. पश्तून राष्ट्रीय जिरगा (पश्तून नेताओं की सभा) ने कहा कि 2025 में, 4000 पश्तून अभी भी लापता हैं."

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वहीं मानवाधिकार एक्टिविस्ट आरिफ आजकिया ने भी पाकिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंता व्यक्त की. पाकिस्तान का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत लंबे समय से सैन्य अभियानों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि गैर-न्यायिक हत्याओं, जबरन गायब करने और यातना के मामले सामने आए हैं, लापता व्यक्तियों के परिवार अक्सर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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