ब्‍लड मनी की खबरों से नाराज तलाल का परिवार... निमिषा को बचाने की कोशिशों को झटका, कार्यकर्ता चिंतित 

यमन में निमिषा प्रिया को बचाने के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है. मीडिया में अब 'ब्लड मनी' या क्षमादान के बदले में उसके परिवार को दी जाने वाली नकदी की खबरें आने लगी हैं.

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  • केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा सुनाई गई है, लेकिन उनकी फांसी को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है.
  • निमिषा के बचाव में लगे सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम ने ब्लड मनी की खबरों को गलत बताया और कहा कि कोई पैसों की डील नहीं हुई है.
  • यमन में निमिषा की फांसी रोकने के प्रयासों में भारत सरकार और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सक्रिय हैं, लेकिन समय कम बचा है.
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नई दिल्‍ली:

यमन में निमिषा प्रिया को बचाने के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है. मीडिया में अब 'ब्लड मनी' या क्षमादान के बदले में उसके परिवार को दी जाने वाली नकदी की खबरें आने लगी हैं. अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्‍दो मेहदी की सजा के लिए निमिषा को यमन में मौत की सजा सुनाई गई है. निमिषा ने मेहदी पर उत्‍पीड़न का आरोप लगाया था. 

टाली गई निमिषा की फांसी 

केरल की रहने वाले निमिषा जो वहां पर नर्स के तौर पर काम कर रही थीं, उनकी घर वापसी के लिए यमनी सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम ने एनडीटीवी को बताया कि मेहदी के भाई मीडिया रिपोर्ट्स से नाराज हैं. उनका कहना था कि मीडिया रिपोर्ट्स से ऐसा लग रहा था कि परिवार को इंसाफ से ज्‍यादा पैसों में दिलचस्पी है. लेकिन जेरोम ने कहा कि वह मेहदी के परिवार के साथ संबंधों को सुधारने और बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. आपको बता दें कि निमिषा को पहले 16 जुलाई को फांसी होने वाली थी लेकिन फिलहाल इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है. 

जेरोम ने कहा कि भारत से कुछ ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि मेहदी के परिवार को दस लाख डॉलर बतौर 'ब्लड मनी' दिए जाएंगे. इसके बाद निमिषा प्रिया को माफी मिल जाएगी और परिवार उनकी मौत की सजा को वापस ले लेगा. मेहदी के भाई के हवाले से जेरोम ने कहा, 'यह पैसे के बारे में हैं ही नहीं और किसी भी तरह कोई डील पैसे को लेकर हुई ही नहीं है. अगर हम मेहदी के परिवार का दर्द महसूस नहीं कर सकते हैं तो फिर हम माफी भी नहीं मांग सकते हैं.' 

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निमिषा के पास वक्‍त बहुत कम 

जेरोम ने कहा, 'मैं ये सब इसलिए कह रहा हूं क्‍योंकि पूरे भारत में यही बातें हो रही हैं कि ब्‍लड मनी को लेकर वार्ता जारी है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि ब्‍लड मनी, यह शब्‍द ही अपने आप में गलत है. मैं भाई से दो बार मिला हूं और एक बार पिता से मिला हूं.  मैं भाई से दो बार और पिता से एक बार मिल चुका हूं और वो बस दया की भीख मांग रहे हैं.' 

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जेरोम ने आगे कहा, 'मेरा मतलब है हम वहां जाकर बैठकर यह नहीं पूछ सकते कि 'आप कितना पैसा लेंगे?' यह पूरी तरह से (परेशान करने वाला) है. मुझे नहीं पता कि भारत में लोग इसके बारे में क्या सोचते हैं?' जेरोम ने एनडीटीवी को बताया कि पीड़िता के परिवार के साथ उनका रिश्ता पिछले आठ सालों में, चट्टान की तरह मजबूत हुआ है. धीरे-धीरे, हर अदालती सुनवाई के दौरान, मैं उससे (भाई से) बात करने जाता था. मैं हाथ मिलाता था और हर बार ऐसे ही मिलता था. इसी तरह से मैंने विश्वास बनाया है. 

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जेरोम ने कहा, 'अब कल, दुर्भाग्य से, मीडिया में आई तमाम बातों की वजह से उसके भाई ने पोस्ट किया कि उसे किसी भी चीज में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है. यह हमारे लिए एक बड़ा झटका था. अब मुझे फिर से रिश्ते बनाने होंगे लेकिन मुझे नहीं पता कि हमारे पास कितना समय है.' जेरोम को इस बात की चिंता है कि प्रिया के पास अब ज्‍यादा समय नहीं बचा होगा. उन्‍होंने कहा कि अब सभी लोग बहुत नाराज और गुस्से में हैं और हालात को शांत करना होगा. 

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मामले पर झूठी रिपोर्टिंग

मंगलवार दोपहर को खबर आई कि निमिषा प्रिया की फांसी टाल दी गई है. इसके बाद जानकारियां आईं कि मेहदी के भाई को मौत की सजा पर रोक लगाने के लिए 'मनाया' गया था. ऐसी भी खबरें थीं कि केरल के एक 'शीर्ष' इस्लामी धर्मगुरु, ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बक्र अहमद ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी. कहा गया कि उन्‍होंने एक प्रमुख यमनी विद्वान से संपर्क किया और उनसे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था. एनडीटीवी को इस बात की जानकारी मिली है कि ये दोनों ही खबरें झूठी हैं. 

सूत्रों की मानें तो ग्रैंड मुफ्ती की भूमिका को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और मारे गए व्यक्ति के परिवार से कोई बातचीत नहीं हुई है. दरअसल मेहदी के परिवार ने अभी तक निमिषा प्रिया को माफ करने या मुआवजा स्वीकार करने पर सहमति नहीं जताई है. सूत्रों की मानें तो यह अस्थायी प्रवास रियाद स्थित भारतीय दूतावास की बदौलत है. अभी तक इस बात की कोई जानकारी नहीं आई है कि निमिषा प्रिया को कब फांसी दी जाएगी. 

निमिषा को बचाने की कोशिशें जारी 

वहीं जेरोम ने जोर देकर कहा है कि इसका मतलब यह नहीं है कि निमिषा को फांसी नहीं दी जाएगी. उन्‍होंने कहा, ' कल्पना कीजिए अगर उसका परिवार जाकर विरोध करे. अगर वे ऐसा करते हैं तो फांसी जल्‍द मिल सकता है. सच कहूं तो हमारे पास ज्‍यादा समय नहीं है.' सूत्रों ने पुष्टि की है कि प्रिया को बचाने में जेरोम जैसे सामाजिक कार्यकर्ता दिन रात एक किए हुए हैं. जेरोम एक एविएशन प्रोफेशनल हैं और हूती विद्रोहियों के कब्‍जे वाले इलाके में उनके पास कॉन्‍टैक्‍ट्स का एक नेटवर्क है. 

निमिषा प्रिया इस समय राजधानी सना में हैं जो दुर्भाग्य से इस समय हूतियों के कब्‍जे में है. ऐसे में यहां पर भारत की कूटनीतिक पहुंच सीमित हो जाती है. इस प्रक्रिया में एक निजी व्यक्ति के तौर पर जेरोम की भूमिका को महत्‍वपूर्ण हो जाती है. वहीरं भारत सरकार निमिषा प्रिया को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. हालांकि, उनके पास विकल्प कम होते जा रहे हैं. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा, 'एक सीमा है जहां तक हम जा सकते हैं और हम वहां तक पहुंच गए हैं. 

क्‍या है निमिषा का सारा मामला 

'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' की याचिका पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट को बताया गया है कि सिर्फ एक ही रास्‍ता बचा है अगर मेहदी का परिवार उस वित्तीय मुआवजे की पेशकश को स्वीकार कर ले. 38 साल की प्रिया अपने माता-पिता का भरण-पोषण करने के लिए 2008 में एक बेहतर नौकरी की तलाश में यमन चली गईं. कई अस्पतालों में काम करने के बाद, उन्होंने अपना क्लिनिक शुरू किया और यमन के कानूनों का पालन करने के लिए, 37 साल के तलाल अब्दो मेहदी नामक एक स्थानीय व्यावसायिक साझेदार को अपना लिया. 

मेहदी उन्हें लगातार परेशान करते थे और उनसे पैसे चुराते थे. उन्होंने उनका पासपोर्ट भी जब्‍त कर लिया था. वह उनसे बचने के लिए देश भी नहीं छोड़ सकती थीं. साल 2017 में प्रिया ने उन्हें एक बेहोशी का इंजेक्शन दिया था जिससे उन्हें उम्मीद थी कि वह इतने लंबे समय तक अशक्त रहेंगे कि उनका पासपोर्ट वापस मिल जाए. हालांकि, यमन से भागने की कोशिश में उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 

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