- गाजा में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह प्रभावित हो चुकी हैं और डॉक्टर्स भूख से बेहाल होकर भी काम कर रहे हैं.
- नासिर अस्पताल में डॉक्टर मोहम्मद साकर भूख से बेहोश हुए लेकिन तुरंत ठीक होकर अपनी शिफ्ट पूरी करने लौट आए.
- अल-अहली अल-अरबी अस्पताल के डायरेक्टर के अनुसार कर्मचारियों को रोजाना एक बार भोजन भी मिलना लग्जरी बन गया है.
कहते हैं फरिश्तों के पास वो ताकत होती है कि अगर आम इंसान का सामना उनसे हो जाए, तो उसकी जिंदगी ही संवर जाए और सारी तकलीफें एक झटके में दूर हो जाएं. आजकल की जिंदगी में डॉक्टरों को 'भगवान' या फरिश्ता का दर्जा मिला हुआ है. लेकिन गाजा में यह 'फरिश्ता' भी भूख के आगे बेबस है. युद्ध से जूझते गाजा की हालत बद से बदतर होती जा रही है. सारी व्यवस्थाएं तो पहले ही पूरी तरह से खत्म हो चुकी हैं और अब स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ने लगा है. भूखमरी से बेहार गाजा में जिन डॉक्टरों पर बच्चों को ठीक करने की जिम्मेदारी है वो भी भूख से बेहाल हैं. लेकिन अब फरिश्ते हैं तो भूख की परवाह किए बिना लोगों की जिंदगी बचाने में लगे हुए हैं.
जूस पीकर काम पर लौटे डॉक्टर
दक्षिणी गाजा में स्थित नासिर अस्पताल में डॉक्टर मोहम्मद साकर, गाजा की उस तस्वीर का हिस्सा हैं जिसकी कल्पना भी करना मुश्किल है. डॉक्टर साकर इस हफ्ते अपनी शिफ्ट के दौरान भूख से बेहोश हो गए थे. एक सहकर्मी जूस पिलाकर उन्हें होश में लेकर आए और साकर फिर काम पर लौट आए. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर साकर अकेले नहीं हैं और पूरे गाजा में कई डॉक्टर और नर्स काम के दौरान बेहोश हो रहे हैं. 24 घंटे की शिफ्ट के दौरान बिना भोजन के उनके शरीर जवाब दे रहे हैं.
डॉ. मोहम्मद साकर को भूख लगी है. इतनी ज्यादा कि दक्षिणी गाजा के नासिर अस्पताल में अपने गंभीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज करते हुए उन्हें कभी-कभी सीधा खड़े रहने में भी दिक्कत होती है. गुरुवार को, वार्ड में काम करते हुए वे बेहोश हो गए. लेकिन कुछ ही पलों में ठीक होने के बाद, वह अपनी 24 घंटे की शिफ्ट पूरी करने के लिए वापस लौट आए. डॉ. साकर ने सीएनएन को बताया, 'मेरे साथी डॉक्टरों ने मुझे बेहोश होने से पहले ही पकड़ लिया और मुझे आईवी फ्लूइड और (चीनी) दी. एक विदेशी डॉक्टर के पास टैंगो जूस का एक पैकेट था और उसने मेरे लिए उसे तैयार किया. मैंने उसे तुरंत पी लिया. मुझे डायबिटीज नहीं है - यह भूख थी. कोई चीनी नहीं है. कोई खाना नहीं है.'
गाजा में भूखमरी झेलते बच्चे
गाजा में गहरा रहा है भूखमरी संकट
जैसे-जैसे गाजा का भुखमरी संकट गहराता जा रहा है, गंभीर रूप से कुपोषित आबादी को जिंदा रखने की कोशिश कर रहे लोग अपने मरीजों के साथ-साथ परेशान हो रहे हैं. उत्तरी गाजा के अल-अहली अल-अरबी अस्पताल में, अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर फदेल नईम ने कहा कि दिन में एक बार का खाना भी एक लग्जरी है. डॉक्टर बिना बुनियादी पोषण के काम कर रहे हैं. अस्पताल की रसोई में सामान खत्म हो गया है और अंतरराष्ट्रीय खाद्य सेवाएं, जो कभी कर्मचारियों का सहारा हुआ करती थीं, बंद हो गई हैं. सादा चावल का एक कटोरा दो लोगों के लिए दिन का एकमात्र भोजन बन गया है. मदद की कमी और वेतन न मिलने के कारण, अब मेडिकल प्रोफेशनल भी राशन के लिए कतार में खड़े हैं.
कंकाल जैसे दिखते नन्हें बच्चे
नासेर अस्पताल का पीडियाट्रिक वॉर्ड की हालत देखने के लायक भी नहीं है. वॉर्ड में यूं तो शिशु हैं लेकिन उन्हें देखकर कंकाल के साथ अंतर करना भी मुश्किल हो जाता है. बच्चे इतने कमजोर हैं कि कई तो अब रोते भी नहीं हैं. मांए भी कुपोषित हो गई हैं. वो अपने बच्चों को ऐसे फॉर्मूला और सप्लीमेंट्स खिलाने की कोशिशें कर रही हैं जो गाजा में उपलब्ध ही नहीं हैं. अस्पताल में बेबी फॉर्मूला खत्म हो चुका है और डॉक्टर कुपोषण के कारण कई मौतों की जानकारियां दे रहे हैं. एक मां के हवाले से सीएनएन ने लिखा, 'अकेले इसी कमरे में, चार बच्चे भूख से मर गए हैं. मुझे डर है कि मेरा बच्चा पांचवां होगा.'
कई लाख बच्चे हैं भूखे
गाजा में लाखों बच्चे भूखे
गाजा में भुखमरी का संकट बेहद भयावह है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 900,000 बच्चे भूखे हैं और 70,000 से ज्यादा बच्चे पहले से ही कुपोषण के लक्षण दिखा रहे हैं. डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने बताया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर कुपोषण में सिर्फ दो हफ्तों में तीन गुना इजाफा हुआ है. भोजन की कमी के दीर्घकालिक प्रभाव होते हैं—डॉक्टरों का कहना है कि कई बच्चों के मस्तिष्क के विकास और इम्यून सिस्टम को पूरी तरह से नुकसान पहुंचा है. इस संकट से भले ही बच जाएं लेकिन उनका जीवन व्यर्थ रह जाएगा. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा की पूरी आबादी अब खाद्य असुरक्षा की श्रेणी में है. विवादास्पद गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन के जरिये से भोजन पहुंचाने के इजरायल और अमेरिका के प्रयासों की वजह से हिंसा हुई है. वहीं इस बीच, इजरायल ने यह मानने से ही इनकार कर दिया है कि लोग भूखमरी का सामना कर रहे हैं.