पेट्रोल-डीजल के दाम क्या नहीं बढ़ेंगे? कच्चे तेल में आई बड़ी गिरावट से मिल सकती है राहत

Ukraine War: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद निवेशकों के बीच तेल की आपूर्ति के बारे में चिंताएं बढ़ गई थी. साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस से कच्चे तेल (Crude Oil) के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था. रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है.

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Ukraine War के बाद कच्चा तेल 14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था

रूस (Russia) के यूक्रेन (Ukraine) पर हमला करने के बाद यूरोप (Europe) में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा तनाव बरकरार है. इस बीच तेजी से बढ़ते तेल के दामों (Oil Price) ने दुनिया की चिंता बढ़ा दी थी. सालों बाद पहली बार तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चले गए थे लेकिन  इस बीच WTI कच्चे तेल के दाम मंगलवार को पांच प्रतिशत से अधिक गिरकर 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गए.  एबीएस न्यूज़ के मुताबिक असल में चीन (China) की अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी के बारे में बढ़ती चिंता ने निवेशकों को तेल की मांग के बारे में दोबारा सोचने पर मजबूर कर दिया है. कॉन्ट्रैक्ट तेल बाजार में 5.7 प्रतिशत गिरकर 97.13 डॉलर पर आ गया, जबकि ब्रेंट छह प्रतिशत की गिरावट के साथ 100.54 डॉलर पर बंद हुआ. कच्चे तेल के बाज़ार में14 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के एक हफ्ते बाद ही दामों में अब भारी कमी आई है. 

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद निवेशकों के बीच तेल की आपूर्ति के बारे में चिंताएं बढ़ गई थी. साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था. रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है.

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ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण के कारण चीन ने टेक्नोलॉजी के बड़े केंद्र शेनझेन (Shenzhen) में रविवार को लॉकडाउन लगाने की घोषणा की. इस शहर की आबादी 1 करोड़ 70 लाख से भी ज़्यादा है. चीन में पिछले कई देने से कोविड संक्रमण बहुत तेज़ी से फैल रहा है. 

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चीन विश्व में तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है और लॉकडाउन की घोषणा से तेल की मांग झटका लगा है जबकि रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता पर भी बाजार की उम्मीदें टिकी हैं.

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ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड बैंकिंग ग्रुप के डेनियल हाइन्स ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत से उम्मीद है कि तेल आपूर्ति में रुकावटें कम से कम होंगी. उन्होइने कहा कि यह देखना होगा कि तेल की कीमतें बढ़ते दबाव में आती हैं. हालांकि, यह सही तस्वीर को बयां नहीं करता है क्योंकि रूसी से तेल की आपूर्ति पहले जैसे नहीं हो रही है.

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