सैकड़ों की भीड़ ने स्वतंत्रता दिवस पर पाकिस्तानी महिला को हवा में उछाला, कपड़े फाड़ डाले : रिपोर्ट

महिला ने शिकायत में कहा कि भीड़ काफी थी और लोग हमारी ओर बढ़ रहे थे. लोग मुझे इस कदर धक्का दे रहे थे और खींच रहे थे कि उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ डाले. कई लोगों ने मेरी मदद करने की कोशिश की लेकिन भीड़ अधिक थी और उन्होंने मुझे हवा में उछालना जारी रखा.

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लाहौर:

एक तरफ अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद महिलाओं को लेकर पूरी दुनिया चिंता जता रही है, दूसरी तरफ पाकिस्तान से भी दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है. दरअसल, टिकटॉक पर वीडियो बनाने वाली एक पाकिस्तानी महिला ने आरोप लगाया है कि यहां स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उनके कपड़े फाड़ दिए गए और उसे सैकड़ों लोगों द्वारा हवा में उछाल दिया गया. साथ ही लोगों ने उससे मारपीट भी की. मीडिया में आई खबरों में मंगलवार को यह कहा गया है. 
डॉन समाचार पत्र की खबर के मुताबिक- शिकायतकर्ता ने लॉरी अड्डा पुलिस थाने में दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा है कि वह अपने छह साथियों के साथ शनिवार को स्वतंत्रता दिवस पर मीनार ए पाकिस्तान के पास एक वीडियो बना रही थी, तभी करीब 300 से 400 लोगों ने उन पर हमला कर दिया.

उन्होंने शिकायत में कहा कि भीड़ काफी थी और लोग हमारी ओर बढ़ रहे थे. लोग मुझे इस कदर धक्का दे रहे थे और खींच रहे थे कि उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ डाले. कई लोगों ने मेरी मदद करने की कोशिश की लेकिन भीड़ अधिक थी और उन्होंने मुझे हवा में उछालना जारी रखा. लाहौर पुलिस ने शहर के ग्रेटर इकबाल पार्क में हुई इस घटना के सिलसिले में मंगलवार को सैकड़ों लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया. 

खबर में कहा गया है कि महिला की अंगूठी और कान की बालियां, उसके एक सहयोगी का मोबाइल फोन, पहचान पत्र और 15,000 रुपये नकद छीन लिए गए. शिकायतकर्ता ने कहा कि अज्ञात लोगों ने हम पर हमला किया. लाहौर पुलिस महानिरीक्षक (अभियान) साजिद कियानी ने पुलिस अधीक्षक को घटना के संदिग्धों के खिलाफ फौरन कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया है.

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बेशक, पाकिस्तान से लगे अफगानिस्तान में हालात खराब हैं तो वहीं पाकिस्तान से आई ये खबर भी झकझोर के रख देने वाली है. वहीं तालिबान ने मंगलवार को कहा है कि महिलाओं के लिए बुर्का पहनना जरूरी नहीं होगा, लेकिन उन्हें हिजाब तो पहनना ही होगा. बता दें कि तालिबान के 1996-2001 के शासन के दौरान लड़कियों की पढ़ाई बंद कर दी गई थी.  महिलाओं के बाहर कामकाज करने या अकेले यात्रा से भी रोक दिया गया था. उन्हें खुले स्थानों पर सिर से लेकर पैर तक बुर्का ओढ़कर ही निकलना पड़ता था. वे किसी पुरुष के साथ के बिना अकेले बाहर नहीं जा सकती थीं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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