ट्रंप ने दूत बना भेजा दोस्त, गोर मजबूत करेंगे दोस्ती की डोर या प्लान कुछ और!

सर्जियो गोर की नियुक्ति भारत-अमेरिका रिश्तों में एक नया मोड़ बताई जा रही है. एक तरफ जहां भारत से जुड़ा कम अनुभव चिंता का विषय है, वहीं दूसरी ओर ये बात पक्ष में है कि नई दिल्‍ली को ट्रंप तक सीधी पहुंच रखने वाला राजदूत मिला है. 

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  • सर्जियो गोर को अमेरिका ने भारत में राजदूत नियुक्त किया है, उनकी अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप तक सीधी पहुंच है.
  • हालांकि गोर का दक्षिण एशिया या भारत से कोई पुराना अनुभव नहीं है, लेकिन ट्रंप काे उन पर खास भरोसा है.
  • ट्रंप के करीबी होने के कारण गोर भारत की बात सीधे राष्ट्रपति तक पहुंचा सकते हैं, जो रणनीतिक फायदे की बात है.
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सोवियत संघ का हिस्‍सा रहे उज्बेकिस्तान के ताशकंद में जन्‍म. मां, इजरायली मूल की. पिता सोवियत सैन्‍य विमानों के इंजीनियर रहे. स्कूलिंग अमेरिका के लॉस एंजिल्‍स और जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में. वहीं राजनीति की शुरुआत. दो रिपब्लिकन सांसद के प्रवक्‍ता बने फिर डिप्‍टी चीफ ऑफ स्‍टाफ बनाए गए. मेक अम‍ेरिका ग्रेट अगेन (MAGA) मूवमेंट में डोनाल्‍ड ट्रंप के करीब आए. ट्रंप जीते तो व्‍हाइट हाउस में बेहद मजबूत पद दिया. हम बात कर रहे हैं, सर्जियो गोर की, जिन्‍हें अमेरिका ने भारत में नया राजदूत नियुक्‍त किया है. 

उनकी नियुक्ति के बाद मौजूदा जियो-पॉलिटिकल परिदृश्‍य में सबसे बड़ा सवाल यही है कि सर्जियो गोर, भारत-अमेरिका के रिश्‍ते की डोर को कितना मजबूत कर पाएंगे. कारण कि ट्रंप के 'टैरिफ बम' ने दोनों देशों के बीच रिश्ते में थोड़ी दूरी ला दी है. भारत को अमेरिका की शर्तों पर झुकना नामंजूर है. दोनों देशों के बीच चल रही ट्रेड टॉक यानी व्‍यापार वार्ता भी अपने नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. 

अमेरिका और भारत का क्‍या है रुख? 

अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने सर्जियो गोर के नाम का ऐलान वॉशिंगटन से किया. इस फैसले का ट्रंप खेमे ने स्‍वागत किया. वहीं भारत में इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. नई दिल्ली में सर्जियो गोर की नियुक्ति को लेकर राहत और चिंता दोनों तरह की भावनाएं हैं. एक सकारात्‍मक पक्ष ये है कि अब भारत के पास ऐसा अमेरिकी राजदूत होगा, जिसकी राष्ट्रपति ट्रंप तक सीधी पहुंच है. हालांकि दूसरी तरफ ये बात भी काबिल-ए-गौर है कि गोर के पास भारत या दक्षिण एशिया से जुड़ा कोई पुराना अनुभव नहीं है.

ट्रंप खेमे के नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है. विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, 'गोर अमेरिका का बेहतरीन प्रतिनिधित्व करेंगे, खासकर दुनिया के सबसे अहम रिश्तों में से एक यानी भारत में.' वहीं, वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा है कि भारत सुरक्षित हाथों में है. 

एक कॉल में अपनी बात पहुंचा सकता है भारत!

सिलिकॉन वैली की एक निवेशक आशा जडेजा मोटवानी ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'भारत को अब ऐसा व्यक्ति मिल रहा है, जो ट्रंप से बस एक फोन कॉल की दूरी पर है. जो बातें पिछले कुछ महीनों में नहीं पहुंच पा रही थीं, वे अब कुछ घंटों में पहुंचा दी जाएंगी. 

ट्रंप के पूर्व रणनीतिकार स्टीव बैनन ने भी गोर की नियुक्ति पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा, 'सर्जियो गोर ही एकमात्र व्यक्ति हैं, जिन्हें राष्ट्रपति ट्रंप से दिन-रात किसी भी समय मिलने की आजादी है.'  उन्‍होंने कहा,

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'अगर मैं मोदी होता, तो इससे बेहतर विकल्प नहीं सोच सकता था.'

हालांकि उन्होंने यह भी माना कि गोर को भारत से जुड़े नीति मुद्दों की गहरी समझ नहीं है, लेकिन वे जल्दी सीखने वाले हैं और ट्रंप का उन पर खास भरोसा है.

अनुभव कम, उम्‍मीदें ज्‍यादा 

आलोचकों का मानना है कि गोर का अनुभव कम है और उन्हें दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के विशेष दूत की व्यापक जिम्मेदारी दी गई है. इससे आशंका है कि कहीं भारत और पाकिस्तान को एक ही नजरिए से न देखा जाने लगे. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन में अक्सर नियुक्तियां विशेषज्ञता से ज्यादा निष्ठा और व्यक्तिगत भरोसे पर आधारित होती हैं.

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सर्जियो गोर की नियुक्ति भारत-अमेरिका रिश्तों में एक नया मोड़ बताई जा रही है. एक तरफ जहां भारत से जुड़ा कम अनुभव चिंता का विषय है, वहीं दूसरी ओर ये बात पक्ष में है कि नई दिल्‍ली को ट्रंप तक सीधी पहुंच रखने वाला राजदूत मिला है. 

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