- केमिली सेनॉन ने नाजी नरसंहार में अपने पूरे परिवार और गांव के 642 लोगों को खो दिया था, अब उनका निधन
- 10 जून 1944 को नाजी आर्मी के हमले में सेनॉन बाल-बाल बची लेकिन गांव के सभी निवासी मारे गए थे
- सेनॉन ने फ्रांस की आजादी के बाद कम्युनिस्ट पार्टी और ट्रेड यूनियन में महिलाओं के अधिकारों के लिए काम किया
हिटलर के नरसंहार में अपने पूरे परिवार, गांव के 642 लोगों को खोने वाली एक फेमिनिस्ट और एक्टविस्ट केमिली सेनॉन ने 100 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. केमिली सेनॉन की कहानी जूझारू व्यक्तित्व की कहानी है, दुनिया के सबसे सबसे खूंखार तानाशाह के सामने हार न मानने की कहानी है. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार फ्रांसीसी गांव ओराडोर-सुर-ग्लेन में नाजी नरसंहार से बाल-बाल बचने वाली केमिली सेनॉन का गुरुवार, 2 अक्टूबर को निधन हो गया.
सेनॉन उस समय एक युवा महिला थी जब 10 जून 1944 को हिटलर की नाजी आर्मी ने ओराडोर में हमला किया. इस हमले में उसके पूरे परिवार सहित 642 ग्रामीणों की मौत हो गई थी.
सेनॉन ने बताया था, "मैंने आगे जो देखा उसके बारे में कहना मुश्किल है. वहां एक भी इंसान जींदा नहीं बचा थ." मरने वालों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे.
महिलाओं के हक के लिए पूरी जिंदगी दे दी
रिपोर्ट के अनुसार नाजी जर्मनी की हार और फ्रांस की आजादी के बाद, सेनॉन सीजीटी संघ और कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गईं. उन्होंने पेरिस में सीजीटी के सबसे महत्वपूर्ण महिला सेक्शन में से एक का नेतृत्व किया, ट्रेड यूनियन आंदोलन के पुरुष-प्रधान रैंक में अपना नाम बनाया. अपने पूरे जीवन में खुद को एक "शाश्वत (हमेशा के लिए) विद्रोही" के रूप में स्टाइल किया और उन्होंने कभी भी महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ना नहीं छोड़ा.
उन्होंने फ्रांस के नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह यह लेकर "अधिक न्याय और एकजुटता, स्वतंत्रता, भाईचारे और शांति की आवाज उठाने का त्याग नहीं करना चाहती".