पाकिस्तान (Pakistan) में अल्पसंख्यकों (Minority) पर सख़्त ईशनिंदा (Blasphemy) कानून के प्रयोग आए दिन सामने आ रहे हैं. पाकिस्तान में 2019 में गिरफ्तार हुए एक हिंदू शिक्षक को अब आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है. ईशनिंदा के आरोप में शिक्षक नौतन लाल को 2019 से ही कारावास में रखा गया था. पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत में एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को ईशनिंदा के मामले में नौतन लाल शिक्षक को उम्रकैद की सजा सुनाई है. सिंध के घोटकी में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मुर्तजा ने हिंदू शिक्षक पर 50,000 पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना भी लगाया.अदालत ने 2019 से जेल में बंद लाल को दोषी ठहराया. पिछले दो साल में लाल की जमानत अर्जी दो बार खारिज भी हुई.
पाकिस्तान के सरकारी डिग्री कॉलेज में शिक्षक रहे नौतन लाल को सितंबर 2019 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें एक स्कूली छात्र ने हिंदू शिक्षक पर ईशनिंदा का आरोप लगाया था. कुछ ही समय बाद, जमात-ए-अहले सुन्नत पार्टी के नेता अब्दुल करीम सईदी ने ईशनिंदा अधिनियम के तहत लाल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
एक थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज़ ने बताया कि यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब पाकिस्तान में 1947 से ईशनिंदा के 1,415 मामले सामने आ चुके हैं. इस प्रबुद्ध लोगों के समूह का कहना है कि 1947 से 2021 के बीच ईशनिंदा के आरोप में 18 महिलाओं और 71 पुरुषों की कानून के दायरे से बाहर हत्या हुई. हालांकि पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक ईशनिंदा के मामले में मारे गए लोगों की संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि सभी मामले दर्ज नहीं होती.
अंतरर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमरीकी आयोग की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान की जेल में मौजूद 80% प्रतिशत क़ैदियों पर ईशनिंदा के आरोप है. इनमें से आधे कै़दियों को या तो आजीवन कारावास मिला है या मौत की सज़ा.
इनमें से कई मामले मुस्लिमों के साथ ही के मुस्लिमों पर लगाए गए आरोप के हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों, ख़ासतौर से ईसाईयों को अक्सर आपसी कलह में मामला सुलझाने के लिए ईशनिंदा का आरोप लगा कर इस्तेमाल किया जाता है.
( समाचार एजेंसी भाषा और ANI के इनपुट्स के आधार पर)