- इथियोपिया के हैली गुब्बी ज्वालामुखी में 12 हजार साल बाद पहली बार विस्फोट हुआ है और इसका प्रभाव भारत तक है.
- ज्वालामुखी के फटने से कोच्चि एयरपोर्ट से जेद्दा और दुबई के लिए दो अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दी गईं हैं.
- विस्फोट के कारण आसमान में 14 किलोमीटर तक घना काला धुआं फैला जो यमन, ओमान, भारत और पाकिस्तान तक पहुंचा है.
इथियोपिया के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक ज्वालामुखी फटा है और यह ज्वालामुखी ऐसा फटा है कि इसका असर भारत तक नजर आ रहा है. अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि ज्वालामुखी हैली गुब्बी के फटने की वजह से सोमवार को कोच्चि एयरपोर्ट से जाने वाली दो इंटरनेशनल फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गईं. कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (CIAL) के मुताबिक, ज्वालामुखी फटने के बाद सावधानी के तौर पर जेद्दा और दुबई जाने वाली फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गईं. इसके अलावा दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र और राजस्थान तक इसके विस्फोट की वजह से फ्लाइट ऑपरेशंस पर असर पड़ने की संभावना है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हैली गुब्बी ज्वालामुखी पूरे 12000 साल बाद फटा है.
आसमान में घना काला धुंआ
अखबार गार्जियन की खबर के अनुसार इथियोपिया के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित ज्वालामुखी हैली गुब्बी करीब 12,000 साल बाद पहली बार फटा है. इसकी वजह से घने धुएं के बादल 9 मील (14 किलोमीटर) तक आसमान में उठ गए और लाल सागर पार करते हुए यमन और ओमान की दिशा में फैल गए हैं. हैली गुब्बी ज्वालामुखी, जो इथियोपिया के अफार क्षेत्र में अदीस अबाबा से करीब 500 मील उत्तर-पूर्व और इरीट्रिया की सीमा के पास स्थित है. रविवार को यह कई घंटों तक सक्रिय था.
राख में दबे गई गांव
स्थानीय अधिकारी मोहम्मद सईद ने बताया कि फिलहाल किसी भी नुकसान की कोई खबर नहीं है लेकिन इस विस्फोट का स्थानीय पशुपालक समुदाय की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है. सईद ने कहा कि हैली गुब्बी ज्वालामुखी के पहले कभी विस्फोट होने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है और उन्हें स्थानीय निवासियों की आजीविका को लेकर चिंता है. उन्होंने कहा, 'हालांकि अभी तक किसी इंसान या पशुधन की जान नहीं गई है लेकिन कई गांव राख से ढक गए हैं. इसके चलते उनके जानवरों के पास खाने के लिए बहुत कम बचा है.'
भारत, पाकिस्तान तक प्रभावित
यह ज्वालामुखी, जिसकी ऊंचाई लगभग 500 मीटर है, रिफ्ट वैली में स्थित है. यह ऐसा क्षेत्र है जहां दो टेक्टोनिक प्लेटों के मिलने के कारण तीव्र भूवैज्ञानिक गतिविधि होती रहती है. टूलूज वोलकैनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर (VAAC) के अनुसार, ज्वालामुखी से उठे राख के बादल यमन, ओमान, भारत और उत्तरी पाकिस्तान की ओर फैल गए. अफार क्षेत्र भूकंप के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र है. एक स्थानीय निवासी, अहमद अब्देला ने बताया कि उन्होंने एक तेज धमाका सुना और एक झटका सा महसूस हुआ. उनका कहना था कि पहले ऐसा लगा जैसे अचानक कोई बम फटा हो और उसके साथ धुआं और राख उठी हो.
सोशल मीडिया पर आए वीडियो
सोशल मीडिया पर जो वीडियो आ रहे हैं उनमें एक घना सफेद धुएं का गुबार उठता हुआ दिखाई दे रहा है. स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के ग्लोबल वोल्केनिज्म प्रोग्राम ने बताया कि हैली गुब्बी ज्वालामुखी में होलोसीन काल के दौरान किसी भी ज्ञात विस्फोट का रिकॉर्ड नहीं है. होलोसीन करीब 12,000 साल पहले पिछली हिम युग के अंत में शुरू हुआ था. मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वोल्केनोलॉजिस्ट और प्रोफेसर साइमन कार्न ने ब्लूस्काई पर पुष्टि की कि हैली गुब्बी ज्वालामुखी का 'होलोसीन काल में विस्फोट होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है.'
वहीं इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की अर्थ साइंटिस्ट्स जूलियट बिग्स के अनुसार, इथियोपिया के शुष्क और ग्रामीण उत्तर-पूर्व में स्थित और अपेक्षाकृत कम रिसर्च वाले हैली गुब्बी ज्वालामुखी से उठता विशाल राख का गुबार इस तरफ इशारा करता है कि हो सकता है कि उस काल में और जिनका अब तक पता न चला हो, विस्फोट भी हुए हों.
DGCA ने जारी की एडवाइजरी
भारत के एविएशन रेगुलेटर, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने सभी एयरलाइंस को एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें उन्हें ज्वालामुखी की राख से प्रभावित ऊंचाई और इलाकों से बचने का निर्देश दिया गया है. रेगुलेटर की तरफ से कहा गया है कि फ्लाइट प्लानिंग और रूटिंग को रियल-टाइम अपडेट के आधार पर एडजस्ट किया जाना चाहिए. साथ ही क्रू को ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं.
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