हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेन्सिल्वेनिया (UPenn) और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के अध्यक्षों ने कैपिटॉल हिल में टेस्टिफ़ाई करते हुए आश्वासन दिया है कि वे हमास के हमलों के बाद ग़ाज़ा में किए गए इज़रायली सैन्य हमले के मद्देनजर परिसर में यहूदी-विरोधी भावना और इस्लामोफोबिया को रोकने के लिए कदम उठाएंगे.
इस वक्त अमेरिकी प्रशासन समूचे अमेरिका में यहूदी-विरोधी और इस्लामोफोबिक मामलों में बढ़ोतरी की ख़बरों से परेशान है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैम्पसों में मौजूद यहूदी विद्यार्थियों में सुरक्षा का एहसास कम हुआ है. टेस्टिमनी के दौरान क्लॉडीन गे, एलिज़ाबेथ मैगिल और सैली कोर्नब्लथ सहित यूनिवर्सिटी अधिकारियों ने यहूदी-विरोधी हरकतों में बढ़ोतरी की निंदा की और इसके साथ ही इस्लामोफोबिया से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी और नफरत से जुड़े अन्य सभी मामलों से निपटने भी का भी वादा किया.
'कैम्पस अधिकारियों को उत्तरदायी ठहराने और यहूदी-विरोधी भावनाओं का मुकाबला करने' पर जारी सुनवाई कई बार हंगामाखेज़ हुई. UPenn अध्यक्ष एलिज़ाबेथ मैगिल ने कहा, "आज की सुनवाई का फोकस यहूदी-विरोधी भावना और यहूदी समुदाय पर पड़ने वाले इसके असर पर है... लेकिन हम इतिहास से सीखे हैं कि जब यहूदी-विरोधी भावना पर काबू नहीं पाया जा सके, वहां नफरत के अन्य रूप फैलने लगते हैं, आखिरकार लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा हो सकता है..."
सुनवाई में ही क्वेश्चनिंग के दौरान न्यूयॉर्क की रिपब्लिकन प्रतिनिधि एलिस स्टेफैनिक ने सीधा सवाल किया कि क्या 'यहूदियों के नरसंहार का आह्वान करने' से हार्वर्ड, MIT और UPenn में आचार संहिता का उल्लंघन होता है. तीनों यूनिवर्सिटी अध्यक्षों का जवाब था कि इसका जवाब संदर्भ पर निर्भर करता है. एलिज़ाबेथ मैगिल ने कहा, "इस पर लिया जाने वाला फ़ैसला संदर्भ पर निर्भर करता है..." इस जवाब पर हैरानी जताते हुए स्टेफैनिक बोलीं, "यहूदियों के नरसंहार का आह्वान करना संदर्भ पर निर्भर है...? यह गुंडागर्दी करना या उत्पीड़न नहीं कहलाएगा...? सुश्री मैगिल, यह सबसे आसान सवाल है, जिसका जवाब 'हां' में दिया जाए..."
हार्वर्ड अध्यक्ष क्लॉडीन गे ने जवाब में उस वक्त कार्रवाई करने की बात ज़ोर देकर कही, जब बयान को हरकत में तब्दील कर दिया जाए. MIT अध्यक्ष सैली कोर्नब्लथ ने ऐसे बयानों की जांच तब करने की बात कही, जब बयान व्यापक रूप से फैल चुका हो और गंभीर हो. इन जवाबों के बावजूद दोनों सहमत सहमत थे कि उनके कैम्पसों में यहूदी-विरोधी भावना अहम मुद्दा है, जो 7 अक्टूबर को इज़रायल पर हमास द्वारा किए गए हमलों के बाद से बढ़ गई है. सैली कोर्नब्लथ ने कहा, "मैं जानती हूं कि कुछ इज़रायली और यहूदी विद्यार्थी कैम्पस में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं... क्योंकि वे हमास के हमलों की भयावहता को भी जानते हैं, और यहूदी-विरोधी भावना का इतिहास भी, इसलिए इन विद्यार्थियों को हालिया विरोध प्रदर्शनों में लगाए गए नारों से भी तकलीफ़ हुई..."
एलिस स्टेफैनिक ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट X (अतीत में ट्विटर) पर लिखा कि (यूनिवर्सिटी) अध्यक्षों ने इस बात की पुष्टि करने से इंकार किया है कि 'यहूदियों के नरसंहार का आह्वान करना' उनकी आचार संहिता के मुताबिक गुंडागर्दी और उत्पीड़न है. यूनिवर्सिटी अध्यक्षों के रुख की आलोचना करते हुए एलिस ने कहा कि यूनिवर्सिटी अध्यक्षों ने इसे गुंडागर्दी और उत्पीड़न कहने से पहले जांच जैसी 'कार्रवाई' की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. एलिस स्टेफैनिक ने लिखा, "यह अस्वीकार्य है, यहूदी-विरोधी है... उन सभी को आज ही तुरंत इस्तीफ़ा दे देना चाहिए..."
अरबपति निवेशक बिल एकमैन ने भी कैपिटॉल हिल में यूनिवर्सिटी अध्यक्षों के जवाबों पर असंतोष ज़ाहिर किया. उन्होंने X पर लिखा, "उन सभी को शर्मिन्दगी के एहसास के साथ इस्तीफ़ा दे ही देना चाहिए... यदि इसी तरह का उत्तर हमारी किसी कंपनी के CEO ने दिया, तो वह घंटेभर में ही तबाह हो जाएगा..."
यूनिवर्सिटी अध्यक्षों के साथ अमेरिकन यूनिवर्सिटी में इतिहास और यहूदी अध्ययन की प्रोफेसर पामेला नैडेल भी मौजूद थीं, जिन्होंने अमेरिका में यहूदी-विरोधी भावना से जुड़ा ऐतिहासिक संदर्भ बताया और इससे निपटने के लिए बाइडेन प्रशासन द्वारा की गई कोशिशों पर चर्चा की.
समिति अध्यक्ष रिपब्लिकन वर्जीनिया फॉक्स ने कहा कि यह सुनवाई यूनिवर्सिटी अधिकारियों के लिए एक अवसर था, जिसमें वे अपने कैम्पसों में यहूदी-विरोधी भावना के मामलों के बारे में बोल सकते थे, और विद्यार्थियों को सीखने का सुरक्षित माहौल नहीं दे पाने को कबूल भी कर सकते थे. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि टेस्टिफ़ाई करने वाले सिर्फ़ सांसदों से बात नहीं कर रहे थे, बल्कि सुरक्षा की मांग कर रहे विद्यार्थियों द्वारा भी सुने जा रहे थे, जिनमें दर्शकों में मौजूद यहूदी और इज़रायल समर्थक कैम्पस ग्रुप से जुड़े लोग भी शामिल थे.
यह टेस्टिमनी समूचे मुल्क में कॉलेज परिसरों में तनाव बढ़ जाने के बाद हुई है. दरअसल, फ़िलस्तीन-समर्थक विद्यार्थियों और अध्यापकों (सुनवाई में शामिल तीनों यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों-अध्यापकों सहित) ने ऐसे भाषणों और हरकतों की ओर ध्यान आकर्षित किया था, जिन्हें आलोचकों ने यहूदी-विरोधी और अनुचित करार दिया था.