हमास के नए प्रमुख याह्या सिनवार बीते कुछ दिनों से अमेरिका और इजरायल जैसे देशों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है. इजरायल की मोसाद और अमेरिका की एफबीआई, जैसी खुफिया एजेंसियां सिनवार को धरती से 'पाताल' तक ढूंढ़ने में जुटी हैं. अमेरिका और इजरायल नहीं चाहते कि सिनवार की अगुवाई में हमास एक बार फिर मजबूत हो. यही वजह है कि वह खुदको छिपाने और बचाने के लिए लगातार अपनी जगह और अपना भेष बदल रहा है. बताया जाता है कि अमेरिका और इजरायल से बचने के लिए सिनवारा तरह-तरह के भेष बदल रहा है. वह कभी लड़की के कपड़े पहनकर लोगों को गुमराह करने में लगा है तो कभी खुदको किसी सुरंग में छिपाकर अपनी जान बचा रहा है. चलिए, आज हम आपको हमास के नए प्रमुख याह्या सिनवार के बारे में विस्तार से बताते हैं.
कौन है याह्या सिनवार
याह्या सिनवार का हमास से कई दशक पुराना नाता रहा है. कहा जाता है कि वह 1987 से ही हमास के साथ जुड़ा रहा है. याह्या सिनवार का जन्म 1962 में दक्षिणी गाजा के खान यूनिस शरणार्थी शिविर में हुआ था. याह्या सिनवार के माता-पिता अश्केलॉन के थे. इजरायल ने याह्या सिनवार को दो इजरायली सैनिकों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर उम्रकैद की सजा दी थी. वह इजरायल की जेल में 23 सालों तक कैद रहा है. साल 2011 में याह्या सिनवार को कैदी विनिमय सौदे के तहत रिहा किया गया था. जेल से रिहाई के बाद याह्या सिनवार को 2012 में हमास के राजनीतिक ब्यूरो में चुना गया था.
सिनवार से जुड़े कुछ अहम बातें...
- 1985 में, हमास के गठन से पहले, सिनवार ने अल-मज्द को संगठित करने में मदद की थी.
- इसी के चलते 1988 में सिनवार को इजरायल ने कई हफ्तों तक हिरासत में भी रखा था.
- इसके बाद फिलिस्तीनियों की हत्या के लिए दोषी ठहराए जाने पर सिनवार को चार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
- 2011 में इजरायल रक्षाबल के सैनिक गिलाद शालिट को हमास से रिहा कराने के बदले उन्होंने सिनवार की अदला-बदली की मांग की थी.
- इस अदला-बदली में ही सिनवार को इजरायल ने रिहा किया था. इसके बाद से ही सिनवार हमास का अहम सदस्य रहा और फिर 2017 में हमास के पोलित ब्यूरो में शामिल किया गया.
जब अमेरिका ने किया था याह्या सिनवार को आतंकी घोषित
2012 में हमास के राजनीतिक ब्यूरो में चुने जाने के बाद याह्या सिनवार हमास के लिए और भी ज्यादा सक्रिय हो गया था. उसने 2014 में गाजा में इजरायल के खिलाफ चल रहे युद्ध में बेहद अहम भूमिका निभाई थी. समय बीतने के साथ-साथ याह्या सिनवार और भी ज्यादा खतरनाक हो गया था.उसकी चर्चा अब इजरायल और अमेरिका भी करने लगे थे. वह इतना चर्चित हो गया था कि 2015 में अमेरिका ने उसे आतंकवादी घोषित कर दिया था. आपको बता दें कि हमास के लिए याह्या सिनवार कितना अहम था इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि हमास ने उसे 2017 में अपने पोलित ब्यूरो में शामिल कर लिया था.
क्या डर गया हमास या है फिर कोई बड़ी तैयारी
बीते दिनों इजरायल पर हमास के हमले के बाद से ही याह्या सिनवार चर्चाओं में बना हुआ है. इजरायल उसकी तलाश जोर-शोर से कर रहा है. इजरायल का मानना है कि अगर उसने याह्या सिनवार को पकड़ लिया या उसे मार दिया तो वह हमास को बड़ा झटका दे सकता है. लेकिन याह्या सिनवार को पकड़ना या उसे मारना इतना आसान भी नहीं है. बीते कुछ दिनों में याह्या सिनवार कई बार अपनी लोकेशन बदल चुका है. यही है वजह है कि अभी तक इजरायल की खुफिया एजेंसी भी उसे ढूंढ़ निकालने में सफल नहीं हो पाई है. जानकार मानते हैं कि याह्या सिनवार फिलहाल इजरायल से डरा हुआ जरूर दिख रहा है लेकिन हो सकता है इसके पीछे उसकी कोई सोची समझी रणनीति हो. हो सकता है वह खुदको अंडर ग्राउंड करने के साथ-साथ अपने संगठन को और मजबूत बनाने पर काम कर रहा हो. आपको बता दें कि याह्या सिनवार को ढूंढ़ने के लिए इजरायल और अमेरिका की खुफिया एजेंसियां लगातार काम कर रही है लेकिन अभी तक इनकी पकड़ से दूर है.
बेहद क्रूर माना जाता है याह्या सिनवार
याह्या सिनवार को हमास के प्रमुख लीडर के तौर पर माना जाता है. इस संगठन के प्रमुख बनने से पहले भी उसने ऐसी कई घटनाओं को अंजाम दिया है, जिससे की यह साबित होता कि वह बेहद क्रूर और खतरनाक है. सिनवार की एक छवि यातनाएं देने वाले के रूप में भी बनी है. उसकी क्रूरता की कई कहानियां आज भी प्रचलित हैं. कहा जाता है कि सिनवार इतना क्रूर है कि उसने एक बार इजराइल के लिए जासूसी करने के शक में एक शख्स को उसके भाई के हाथों ही जिंदा दफन करवा दिया था. उसे फिलिस्तीन का ओसामा बिन लादेन भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी इजरायल की मदद करने की जरा सी भी कोशिश करता है वह उसे जिंदा नहीं छोड़ता है. याह्या सिनवार को ना सुनना पसंद नहीं है. इसलिए कहा जाता है कि जो भी उसे ना करता है वह उसे या तो खुद मार देता है या फिर उसे किसी के हाथों मरवा देता है. यही वजह है कि सिनवार को खान यूनिस का कसाई भी कहा जाता है.
सिनवार की नियुक्ति से क्या इजरायल को संदेश देना चाहता है हमास
हमास के पूर्व प्रमुख इस्माइल हनिया की हत्या के बाद संगठन के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी किसी ऐसे को यह जिम्मेदारी देना जिससे इजरायल को भी एक सीधा संदेश दिया जा सके. कहा जाता है कि हमास के प्रमुख के तौर पर किसे चुना जाए इसे लेकर कई नाम सामने थे. जिस बैठक में कोई एक नाम तय होना था उसमें जब याह्या सिनवार का नाम आगे किया गया तो वहां मौजूद कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया लेकिन इसके बावजूद भी याह्या सिनवार को ही हमास के अगले प्रमुख के तौर पर चुन लिया गया है.हमास सिनवार को यह बड़ी जिम्मेदारी देने के साथ-साथ अमेरिका और इजरायल जैसे देशों को एक संदेश देने की कोशिश भी कर रहा है. वह यह बताने की कोशिश कर रहा है कि चाहे कुछ भी हो वह अपने आप को कमजोर होने नहीं देगा. उसकी कोशिश रहेगी की वह पहले की तुलना में और भी मजबूती के साथ सामने आए.
याह्या सिनवार क्यों बना इजरायल का नंबर वन दुश्मन
याह्या सिनवार के हमास प्रमुख बनते ही वह इजरायल का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया. इसकी सबसे बड़ी वजह है इजरायल की वो जिद्द जिसके तहत वह हमास को नामोंनिशान मिटाने की बात करता है. लेकिन याह्या सिनवार से दुश्मनी की ये सिर्फ एक इकलौती वजह नहीं है. इजरायल अगर याह्या सिनवार को अब अपना नंबर वन दुश्मन मानता है तो इसकी दूसरी सबसे बड़ी वजह है कि उसकी ईरान से नजदीकियां.
बताया जाता है कि इजरायल के सरक्षा और सुरक्षा तंत्र में बहुत से ऐसे अधिकारी हैं जो ये मानते हैं कि कैंदियों की अदला-बदली के तहत याह्या सिनवार को रिहा करना एक बेहद घातक गलती थी.
आपको बता दें कि याह्या सिनवार ईरान का करीबी है. हालांकि, एक शिया मुल्क और एक सुन्नी अरब संगठन के बीच दिखने वाली ये साझेदारी कोई आम बात नहीं है लेकिन अगर ऐसा है तो इसकी सबसे बड़ी वजह है इजरायल को खत्म करने का इनका मकसद. यही वजह मकसद है जिसे पूरा करने के लिए हमास और ईरान एक दूसरे के करीबी हैं. कहा तो ये भी जाता है कि ईरान और याह्या सिनवार के बीच ऐसी नजदीकियां है कि दोनों एक दूसरे से तालमेल बिठाकर ही काम करते हैं. ईरान, हमास को ना सिर्फ पैसे देता है बल्कि उसके लड़ाकों को ट्रेनिंग भी देता है. ताकि वह ना सिर्फ अपनी फौज बढ़ा सके बल्कि अपनी ताकत को और बढ़ाकर इजरायल को करारा जवाब दे सके.