इजरायल पर हमास का हमला आतंकवादी कार्रवाई, बातचीत से सुलझे फिलस्तीन मुद्दा : जयशंकर

सीनेट के विदेश मामलों और रक्षा आयोग के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का हर किसी को सम्मान करना चाहिए

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रोम:

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि चरमपंथी समूह हमास द्वारा इजराइल पर सात अक्टूबर को किया गया हमला “आतंकवाद का एक बड़ा कृत्य” था और यह “अस्वीकार्य” है, लेकिन फिलस्तीन का भी एक मुद्दा है जिसे संवाद के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. यहां सीनेट के विदेश मामलों और रक्षा आयोग के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का हर किसी को सम्मान करना चाहिए.

सत्र में सीनेटरों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “सात अक्टूबर को जो हुआ, आतंकवाद की ये बड़ी वारदात, उसके बाद जो हुआ, वह पूरे क्षेत्र को एक बहुत ही अलग दिशा में ले गया है...संघर्ष उस क्षेत्र के लिए सामान्य नहीं हो सकता, उसे कुछ स्थिरता, कुछ सहयोग पर वापस आना चाहिए. और इसके अंदर हमें अलग-अलग मुद्दों के बीच संतुलन बनाना होगा.”

जयशंकर ने कहा कि अगर आतंकवाद का कोई मुद्दा है तो अगर-मगर का कोई सवाल ही नहीं है और इजराइल-फलस्तीन संघर्ष के समाधान पर भारत की स्थिति दोहराई, जो दो-देश समाधान है.

विदेश मंत्री ने कहा, “हम सभी आतंकवाद को अस्वीकार्य मानते हैं. हमें इस मुद्दे के साथ खड़ा होना होगा. लेकिन फलस्तीन का मुद्दा भी है और इसका समाधान होना चाहिए...और हमारा विचार है कि यह दो-देश समाधान होना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “अगर आपको कोई समाधान ढूंढना है तो बातचीत और समझौते से समाधान निकालना होगा. आप संघर्ष के माध्यम से कोई समाधान नहीं तलाश सकते और इसलिए हम इसका भी समर्थन करेंगे.”

मंत्री ने कहा, “हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का हर किसी को सम्मान करना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “किसी भी जटिल स्थिति में, सही संतुलन न बना पाना बुद्धिमानी नहीं है. यह एक बहुत ही कठिन और जटिल स्थिति को सुलझाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है.”

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हिंद महासागर क्षेत्र पर एक सवाल का जवाब देते हुए, जयशंकर ने कहा, “हम हिंद महासागर के ठीक केंद्र में हैं. इसलिए इसे हिंद महासागर कहा जाता है. हम इसे एक जिम्मेदारी के रूप में लेते हैं जो हम आज देखते हैं, चाहे वह अर्थव्यवस्था हो, समुद्री सुरक्षा हो, प्राकृतिक आपदाएं हों, या फिर वह विकास हो.”

उन्होंने कहा, “हम आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, और हमें और अधिक योगदान देना है, यह भावना भारत में बहुत मजबूत है. इसलिए, मैं कहूंगा कि कोविड से लेकर प्राकृतिक आपदाओं तक...हमने वही करने की कोशिश की है जो हम हिंद महासागर क्षेत्र को स्थिर और मजबूत करने के लिए कर सकते हैं.”

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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