ग्रीस ने अपनाया हफ्ते में 6 दिन काम वाला मॉडल, आखिर क्यों उठाया गया ये कदम

कई देश अपने कर्मचारियों से इन दिनों हफ्ते में चार दिन काम करा रहे हैं. वहीं इसके उलट ग्रीस ने कुछ कंपनियों को हफ्ते में 5 की जगह 6 दिन काम करने की इजाजत दी है.

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नई दिल्ली:

दुनिया के हर शख्स को नौकरी कभी ना कभी बड़ी उबाऊ लगने लगती है. मगर घर चलाने के लिए आदमी क्या कुछ नहीं करता. रोजाना ऑफिस का करते-करते इंसान थक भी जाता है. जिसका असर उसके काम पर भी पड़ता है. ऐसे में कई कंपनियां दुनियाभर में अपने कर्मचारी के काम को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटी है. कर्मचारियों को हफ्ते में दो की बजाय तीन छुट्टी देना इसी कोशिश का नतीजा है. यही वजह है कि कई देश अपने कर्मचारियों से इन दिनों हफ्ते में चार दिन काम करा रहे हैं. वहीं इसके उलट ग्रीस ने कुछ कंपनियों को हफ्ते में 5 की जगह 6 दिन काम करने की इजाजत दी है. इसके लिए बकायदा एक कानून भी लागू कर दिया गया.

एक तरफ जहां कई देशों में हफ्ते में 4 दिन काम कराने का मॉडल अपनाया जा रहा है. वहीं ग्रीस ने हफ्ते में 5 की जगह 6 दिन काम करने की इजाजत दे दी. ग्रीस की इस पॉलिसी को लेकर श्रमिकों में भारी नाराजगी है.

ग्रीस ने क्यों उठाया ये कदम

ग्रीस की तरफ से ये कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि वो ऐसे कर्मचारियों की मदद करना चाह रहे हैं जो कि तंगहाली की समस्या से गुजर रहे हैं. ग्रीस की इस पॉलिसी का मकसद बूढ़े कर्मचारियों को सहारा देना, तंगहाली में फंसे कर्मचारियों को मुआवजा देना है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह कानून कुछ औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों पर लागू होता है. साथ ही उन लोगों पर लागू होता है जो कुछ अपवादों के साथ, सप्ताह में सातों दिन, 24 घंटे लगातार शिफ्ट में काम करते हैं. हालांकि इसे केवल "असाधारण परिस्थितियों में" अनुमति दी जाएगी. ग्रीस दुनिया के अधिकांश हिस्सों से बिल्कुल अलग है. एक तरफ जहां ब्रिटेन, आइसलैंड और न्यूजीलैंड में चार वर्किंग डे के ट्रायल किए गए हैं. वहीं ग्रीस कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है.

इस पॉलिसी पर क्यों भड़के श्रमिक

अगर कोई कर्मचारी छठवें दिन काम करता है तो उसे इस दिन 40 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा. इससे कर्मचारियों की जेब में अधिक पैसा भी आएगा, जिससे की उनकी तंगहाली की समस्या में कमी आएगी. हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि सरकार ने जोर देकर कहा कि यह कानून किसी भी तरह से फाइव डे वर्किंग सिस्टम को प्रभावित नहीं करता है. इसके बावजूद लेकिन श्रमिक इस पर भड़के हुए हैं. निजी क्षेत्र के श्रमिक संघ के अनुसार, लगभग 5 में से 1 ग्रीक वयस्क गरीबी के जोखिम में है. निकोस फोटोपोलोस ने कहा, "इसे ध्यान में रखते हुए, कौन सा श्रमिक ऐसे नियोक्ताओं को मना करेगा, जिन्हें आपने श्रमिकों के साथ अपने दासों की तरह व्यवहार करने की अनुमति दे दी. 

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