- संयुक्त राष्ट्र के पैनल ने गाजा में अकाल की घोषणा कर पांच लाख से अधिक लोगों को भुखमरी के कगार पर बताया है.
- इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन ने गाजा शहर और आसपास के इलाकों में अकाल की पुष्टि की है.
- जुलाई से अगस्त तक गाजा में खाद्य असुरक्षा और कुपोषण में गंभीर गिरावट आई है, स्थिति और भी खराब हो सकती है.
संयुक्त राष्ट्र ने गाजा में आखिरकार भूखमरी या अकाल का ऐलान कर दिया है. पिछले कई दिनों से यहां पर भुखमरी को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही थीं. संयुक्त राष्ट्र के पैनल ने यहां पर अकाल का ऐलान करने के साथ ही चेतावनी भी दी है कि घनी आबादी वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में पांच लाख से ज्यादा लोग भुखमरी के कगार पर हैं. इसके साथ ही रेड क्रॉस ने इजरायल से गाजा में नागरिकों को मूलभूत जरूरतें सुनिश्चित करने के लिए कहा है.
पूरे गाजा में फैलेगी भुखमरी
इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासीफिकेशन (आईपीसी) ने शुक्रवार को पुष्टि की कि गाजा में अकाल ने अपनी पकड़ बना ली है. यह गाजा शहर और आसपास के इलाकों को घेरे हुए है. साथ ही चेतावनी भी दी कि सितंबर के अंत तक यह मध्य और दक्षिणी गाजा तक फैल सकता है. यह घोषणा इजरायल के साथ करीब दो साल पहले हुए सशस्त्र संघर्ष के बाद आई है, जो 7 अक्टूबर को हमास के हमले से शुरू हुआ था. इजरायली प्रतिबंधों ने गाजा में भोजन और मदद को सीमित कर दिया है. इजरायल लंबे समय से गाजा में फूड सिक्योरिटी के दावों से इनकार करता आ रहा है.
और बदतर होगी स्थिति
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के डायरेक्टर जीन-मार्टिन बाउर ने कहा कि जब अकाल की घोषणा की जाती है, तो इसका मतलब है कि व्यापक भुखमरी, व्यापक बीमारी और बड़े स्तर पर मृत्यु दर का दस्तावेजीकरण किया गया है. हालांकि अकाल की घोषणा एक जटिल प्रक्रिया है. आईपीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई की शुरुआत से लेकर अगस्त के मध्य तक, गाजा में खाद्य असुरक्षा और कुपोषण का विश्लेषण शुरू करने के बाद से स्थिति में सबसे गंभीर गिरावट देखी गई है. इस अवधि में 'अभूतपूर्व गति' के बावजूद, आईपीसी को आशंका है कि स्थिति और भी बदतर होगी.
नेतन्याहू ने किया इनकार
आईपीसी ने कहा कि अगले महीने के अंत तक गाजा की एक तिहाई आबादी को भयावह स्तर की भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में भुखमरी की खबरों को हमास द्वारा प्रचारित ,'झूठ' बताते हुए इनकार किया है. जब ये स्थितियां पैदा होती है तो अकाल पड़ता है. आईपीसी की स्थापना साल 2004 में सोमालिया में अकाल के दौरान हुई थी. इसमें एक दर्जन से ज्यादा संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां, सहायता समूह, सरकारें और अन्य निकाय शामिल हैं.
वॉर क्राइम के बराबर
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने अकाल की घोषणा के कुछ मिनटों बाद कहा, 'युद्ध के एक तरीके के तौर पर भुखमरी का इस्तेमाल करना अपराध है.' तुर्क का कहना है कि इससे हुई मौतें 'जानबूझकर हत्या करने के युद्ध अपराध के बराबर भी हो सकती हैं,' जबकि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, 'हम इस स्थिति को बिना किसी दंड के जारी रहने नहीं दे सकते.' गुटेरेस ने 'तत्काल युद्धविराम, सभी बंधकों की तत्काल रिहाई और पूर्ण, बगैर रुकावट मानवीय पहुंच' की भी अपील की है.