- बांग्लादेश में धार्मिक हिंसा और अल्पसंख्यकों पर हमलों की नेपाल के पूर्व पीएम बाबूराम भट्टराई ने निंदा की है
- भट्टराई ने NDTV से कहा कि बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह देश के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे
- उन्होंने नेपाल में Gen Z विद्रोह के प्रमुख कारणों और राजनीतिक सुधारों में युवाओं की भूमिका पर भी बात की
बांग्लादेश में हिंसा, अस्थिरता और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. बाबूराम भट्टराई ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. NDTV को दिए विशेष इंटरव्यू में भट्टराई ने बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा की और कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है. इसके अलावा उन्होंने नेपाल में Gen Z विद्रोह और उसके बाद बदलावों पर भी खुलकर अपनी राय रखी.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता
बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर दुख जताते हुए डॉ. बाबूराम भट्टराई ने कहा कि वहां पर जो दुखद घटना हो रही है, वो नहीं होनी चाहिए थी. बांग्लादेश में जो सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं, धार्मिक कार्ड खेलकर लोगों की हत्या हो रही है, वह गलत है. इसे तत्काल रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इस समस्या का जल्दी समाधान निकाला जाना चाहिए. देश में रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है. यह हर लोकतांत्रिक सरकार की जवाबदेही होती है.
नेपाल में Gen Z विद्रोह के 3 कारण बताए
नेपाल के Gen Z विद्रोह को जायज ठहराते हुए भट्टराई ने कहा कि यह आंदोलन अचानक नहीं हुआ बल्कि इसके पीछे गहरे सामाजिक और आर्थिक कारण थे. उन्होंने इसके तीन कारण भी गिनाए.
- भट्टराई ने कहा कि नेपाल में युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा, अच्छी शिक्षा नहीं मिल रही. इसकी वजह से युवाओं में जो नाराजगी थी, वह इस आंदोलन का एक महत्वपूर्ण कारण था.
- उन्होंने कहा कि इस आंदोलन का दूसरा कारण था बड़े स्तर पर सरकार में भ्रष्टाचार, जिससे लोग काफी परेशान थे.
- उन्होंने विद्रोह का तीसरा कारण सोशल मीडिया पर सरकार द्वारा लगाए गए बैन को बताया और कहा कि इससे युवा नाराज होकर विरोध में उतर आए.
राजनीतिक सुधार और युवाओं की भूमिका
नेपाल में GEN Z आंदोलन के बाद अंतरिम सरकार बनी है. अंतरिम सरकार ने GEN Z के साथ एक एग्रीमेंट किया है. संसदीय चुनाव लड़ने के लिए 25 साल की मौजूदा उम्र सीमा को घटाकर 21 साल करने का एग्रीमेंट हुआ है. इस पर पूर्व प्रधानमंत्री भट्टराई ने कहा कि अगर यह समझौता लागू होता है तो युवा सीधे संसदीय प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे. इससे नेपाल में एक पॉलिटिकल रिफॉर्म होगा.
'पुरानी व्यवस्था अब नहीं चल सकती'
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री भट्टराई ने साफ कहा कि नेपाल में राजनीतिक सुधार होना ही है. पुरानी व्यवस्था अब नहीं चल सकती. पुराने राजनीतिक दलों में जो पुराने जेनरेशन के लीडर हैं, उन पर भी पार्टी के अंदर से दबाव बना हुआ है, खासकर युवा कार्यकर्ताओं की ओर से प्रेशर डाला जा रहा है.
उन्होंने कहा कि नए वैकल्पिक दलों का भी गठन हो रहा है. हम जैसे लोग भी उनका साथ दे रहे हैं. इससे जब चुनाव होगा तो विस्तृत और वैकल्पिक फोर्सज का नया एलायंस होगा. हम चाहते हैं कि युवा शक्ति नेपाल में सामने आए और देश को लीड करे.
विदेशी ताकतों के नेपाल पर असर पर क्या कहा?
नेपाल की राजनीति में बड़ी वैश्विक ताकतों की भूमिका पर डॉ. भट्टराई ने संभलकर अपनी बात रखी. उन्होंने माना कि आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में हर बड़ी ताकत अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाना चाहती है और नेपाल भी इससे अछूता नहीं है. वो नेपाल में भी अपनी जगह बनाना चाहते हैं. हालांकि उन्होंने भरोसा जताया कि नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है, इसलिए इन ताकतों की मौजूदगी का नेपाल पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा.













