महिला ने आखिर कैसे व्हाइट हाउस में बैठकर की 'जासूसी', दस्तावेजों से हुए बड़े खुलासे 

अपने ऊपर लगे इन आरोपों पर मी टेरी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि है कि मेरे ऊपर जितने भी आरोप लगाए जा रहे हैं वो सरासर गलत हैं.

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व्हाइट हाउस की पूर्व कर्मचारी पर जासूस होने का शक (फोटो AI जेनरेटेड हैं)
नई दिल्ली:

एक महिला इन दिनों अमेरिकी खुफिया एजेंसी के रडार पर है. इस महिला पर पूर्व अमेरिकी खुफिया एजेंसी की अधिकारी रहते हुए जासूसी करने का आरोप है. जिस पूर्व अमेरिकी अधिकारी पर ये आरोप लगे हैं, उनका नाम सू मी टेरी बताया जा रहा है. अलग-अलसग मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मी टेरी पहले वाइट हाउस नैशनल सिक्योरिटी काउंसिल में एक बड़े पद पर काम करती रही हैं. वहां काम करते हुए उन्हें उत्तर कोरिया पर एक प्रमुख विशेषज्ञ के तौर पर जानी जाती थीं. अब मी टेरी पर दक्षिण कोरिया के लिए जासूसी करने का भी आरोप लगा है. मी टेरी पर आरोप है कि उन्होंने यहां काम करते हुए विदेशी एजेंट पंजीकरण अधिनियम का उल्लंघन किया है. 

इस मामले में 16 जुलाई को न्यूयार्क की दक्षिणी जिले की अदालत ने इस केस से संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक किए . इसे लेकर अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि मी टेरी ने एक दशक से ज्यादा समय तक दक्षिण कोरिया की सरकार के लिए बतौर एजेंट के रूप में काम किया है. आपको बता दें कि अमेरिका के एक कानून के अनुसार, विदेशी एजेंट पंजीकरण अधिनियम (FARA). इसके तहत, अमेरिका में विदेशी संस्थाओं की ओर से राजनीतिक या वकालत के इरादे से काम करने वाले लोगों को न्याय विभाग में पंजीकरण कराना जरूरी होता है. 

मेरे पर लगे आरोप बेबुनियाद - मी टेरी

अपने ऊपर लगे इन आरोपों पर मी टेरी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि है कि मेरे ऊपर जितने भी आरोप लगाए जा रहे हैं वो सरासर गलत हैं. उनके वकील ने कोर्ट में कहा कि मी टेरी के ऊपर गे आरोपों से उनकी छवि खराब की जा रही है, उन्होंने हमेशा अमेरिका के लिए काम किया है. उन्होंने पहले दक्षिण कोरिया की आलोचना तक की है. 

12 वर्ष की उम्र में अमेरिका आई थी टेरी 

बताया जाता है कि मी टेरी जब 12 बरस की थीं तब अमेरिका आई थीं. 2001 में टेरी ने मैसच्युसेट्स की एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्था टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट पूरी की थी. इसके बाद वो सीधे ही इंटिलिजेंस एजेंसी (CIA) के साथ काम शुरू किया था. 2001 से 2008 तक वह वहीं काम कर रही थीं. फिर कई अन्य सरकारी और निजी थिंक टैंक्स से जुड़ीं. 

क्या कहते है अमेरिकी अधिकारी 

इस पूरे मामले को लेकर अमेरिकी अधिकारियों का कुछ और ही कहना है. अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2013 में ही मी टेरी ने दक्षिण कोरिया की सरकार के लिए जासूसी शुरू की. अधिकारियों का दावा है कि इस जासूसी के लिए वहां की सरकार ने उन्हें 37 हजार डॉलर दिए थे. मी टेरी पर आरोप है कि उन्होंने उस दौरान दक्षिण कोरिया की सरकार के लिए लेख भी लिखे हैं. (खबर में इस्तेमाल की गई सभी फोटो AI जेनरेटेड हैं) 


 

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