- गुरुवार रात अफगानिस्तान में फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसका केंद्र हिंदूकुश क्षेत्र के आस-पास था.
- भूकंप के झटके पाकिस्तान और उत्तर भारत में भी महसूस किए गए, जिससे लोग अपने घरों से बाहर निकल आए.
- इससे पहले अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में आए भीषण भूकंप में मृतकों की संख्या 1400 से पार पहुंच चुकी है.
Afghanistan Earthquake: गुरुवार रात अफगानिस्तान में दूसरा बड़ा भूकंप आया है. इसके झटके पाकिस्तान और उत्तर भारत में भी महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र हिंदू कुश क्षेत्र के आस-पास था. रिक्टर स्केल पर तीव्रता 5.6 के आस-पास बताई जा रही है. हालांकि अभी आधिकारिक आंकड़े का इंतजार है. भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग डर कर अपने घरों से बाहर निकल आए. भूकंप से हुए नुकसान पर अभी ठोस रूप से कुछ जानकारी नहीं आई है. लेकिन हाल ही दिनों में ही यह दूसरा भूकंप था. इससे पहले अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में आए भीषण भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,457 पहुंच चुकी है, जबकि 3,394 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
31 अगस्त की रात अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंप में 6700 से ज्यादा मकान ध्वस्त
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 6,700 से ज्यादा घर पूरी तरह ढह गए हैं और अंतरराष्ट्रीय राहत एजेंसियां अब भी दूरदराज के इलाकों में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए जूझ रही हैं.तालिबान के उप प्रवक्ता हामदुल्लाह फिटरत ने बताया कि कुनार और नंगरहार प्रांतों में 3,994 से अधिक लोग घायल हुए हैं और 6,782 से ज्यादा घर नष्ट हो चुके हैं. राहतकर्मी मलबे से शव निकालने में जुटे हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि बचाव कार्य अभी अधूरा है.
भूकंप पीड़ित पानी, भोजन और चिकित्सा सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. तालिबान प्रशासन ने दावा किया है कि कई परिवारों को मानवीय सहायता पहुंचाई गई है और दूरदराज के इलाकों की सड़कें खोल दी गई हैं. साथ ही कई देशों की विशेष बचाव टीमें राहत कार्यों में शामिल हुई हैं.
रेड क्रॉस और विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत अंतरराष्ट्रीय संगठन राहत कार्यों में लगे हैं. भारत, जापान, ईरान और तुर्की से भी सहायता सामग्री भेजी गई है. राहत एजेंसियों का कहना है कि पहुंच की दिक्कतों के चलते जरूरी सामग्री और चिकित्सा सेवाओं में देरी हो रही है.
अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण के अनुसार, यह 6.0 तीव्रता का भूकंप 31 अगस्त की रात 11:47 बजे स्थानीय समय पर, आठ किलोमीटर की गहराई पर आया था. भूकंप प्रभावित क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील है क्योंकि यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स मिलती हैं. पहाड़ी भूभाग भूस्खलन की आशंका को और बढ़ा देता है, जिससे बचाव कार्य मुश्किल हो जाता है.