- ट्रंप ने अफ्रीकी देशों पर भारी टैरिफ लगा कर उनकी अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है जिससे चीन को लाभ मिलेगा.
- अफ्रीका के कई देशों जैसे लेसोथो और साउथ अफ्रीका पर ट्रंप ने भारी टैरिफ लगाए हैं, उनके उद्योग प्रभावित हुए हैं.
- चीन ने अफ्रीकी देशों को टैरिफ के प्रभाव से बचाने के लिए आयात शुल्क खत्म करने की पेशकश की है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोबारा कुर्सी संभालने के बाद कंधे पर टैरिफ मिसाइल लेकर निकले हैं. क्यों दोस्त और क्या दुश्मन, सब पर दागे जा रहे हैं. कहते तो हैं कि इसका उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है. अब उसमें तो कोई आमूलचूल बदलाव होने की उम्मीद तो नहीं है लेकिन इस चक्कर में वो अपने विरोधी चीन को मजबूत जरूर कर रहे हैं. क्या भारत जैसा रणनीतिक पार्टनर हो और क्या अफ्रीका के छोटे देश, ट्रंप सबको एक साथ नाराज कर रहे हैं. अफ्रीकी देश चीन के करीब जाते दिख रहे हैं, इस महाद्वीप में चीन मजबूत हो रहा है.
अफ्रीकी देश पर टैरिफ बम गिरना और चीन का मजबूत होना
अफ्रीका के छोटे-छोटे देशों पर भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 प्रतिशत तक का टैरिफ लाद दिया है. अफ्रीकी देशों का यह संकट अमेरिका के प्रतिद्वंद्वी चीन के लिए एक अवसर है. चीन ने लंबे समय से अफ्रीकी देशों में निवेश करके, उनको लोन देकर खुश किया है और अब ट्रंप के इस टैरिफ बम के बीच भी उन्हें लाइफलाइन देने की पेशकश कर रहा है.
CNN की रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरियाई अर्थशास्त्री बिस्मार्क रेवाने ने कहा है कि "हम (अफ्रीका) सीधे चीन के हाथों में जा रहे हैं." रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव अफ्रीका की कुछ सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं और लेसोथो जैसे अफ्रीका के कुछ सबसे गरीब अर्थव्यवस्थाओं में पहले से ही महसूस किया जाने लगा है. ट्रंप ने अप्रैल में तो पहले लेसोथो पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था, जिसे अब 15 प्रतिशत कर दिया था. लेसोथो के प्रधान मंत्री सैमुअल माटेकेन ने जून में कहा था कि 20 लाख से अधिक लोगों के इस देश में टैरिफ ने "उन उद्योगों को पंगु बना दिया है जो पहले हजारों नौकरियों को बनाए रखते थे."
अफ्रीकी देशों की यह आपदा, चीन के लिए एक अवसर है. चीन ने अफ्रीका पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने की पेशकश करते हुए कहा है कि जून में वह अपने लगभग सभी अफ्रीकी भागीदारों के लिए आयात पर शुल्क रोक देगा. मतलब चीन जीरो टैरिफ लगाएगा.
भारत भी चीन के साथ खोल सकता है मोर्चा
ट्रंप की यह टैरिफ पॉलिसी भारत और चीन को भी साथ लाती दिख रही है. अफ्रीकी देशों के उलट यहां दोनों के रिश्ते बराबरी के स्तर पर आगे बढ़ सकते हैं. ट्रंप द्वारा रूसी तेल की खरीद पर भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन ने गुरुवार को "टैरिफ के दुरुपयोग" के लिए अमेरिका की आलोचना की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, "टैरिफ के दुरुपयोग पर चीन का विरोध सुसंगत और स्पष्ट है."
पीएम मोदी भी इस महीने के अंत में एक महत्वपूर्ण विदेश यात्रा पर चीन जाने वाले हैं. पीएम मोदी ने साफ कह दिया है कि वह भारत के हित के सामने अमेरिका के दबाव में नहीं आएंगे. पीएम मोदी चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की मीटिंग में हिस्सा लेने वाले हैं. गलवान में दोनों देशों के बीच संघर्ष के बाद पीएम मोदी की यह पहली चीन यात्रा होगी और यह अमेरिका से तनाव के बीच अपने आप में एक बड़ा संदेश है. इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मनोरंजन शर्मा का कहना है कि भारत और चीन अमेरिका की साझा टैरिफ चुनौती के सामने एक मंच पर मजबूती से आकर अपने रिश्तों को धार दे सकते हैं और दोनों अपना फायदा कर सकते हैं.
ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों नेताओं ने ट्रंप के टैरिफ युद्ध से उत्पन्न "बहुपक्षवाद की रक्षा करने और आर्थिक चुनौतियों का सामना करने" की आवश्यकता पर बल दिया था. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखते हुए, मोदी ने कहा कि वह ब्रिक्स के साथी सदस्य ब्राजील के साथ संबंधों को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, उन्होंने कहा: "ग्लोबल साउथ देशों के बीच एक मजबूत जन-केंद्रित साझेदारी से सभी को लाभ होता है."