- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर छिपकर परमाणु हथियारों का परीक्षण करने का दावा किया.
- पाक ने 1998 के बाद से कोई परमाणु परीक्षण आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है और ट्रंप के दावे की पुष्टि नहीं.
- अगर पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करता है तो अमेरिका समेत कई देश कड़े आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लगा सकते हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि पाकिस्तान छिपकर परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है. ट्रंप के इस बयान से दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियों को परेशान कर दिया है. साल 1998 के बाद से पाकिस्तान ने किसी भी परमाणु परीक्षण की पुष्टि नहीं की है. साथ ही ट्रंप के दावों की भी पुष्टि नहीं की जा सकी है. लेकिन उनका दावा ऐसे समय में हुआ जो बेहद ही संवेदनशील है. वहीं यह जानना भी जरूरी है कि अगर पाकिस्तान वाकई टेस्ट कर रहा है तो उस पर क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से कोई एक्शन लिया जा सकता है. आपको बता दें कि पाकिस्तान का यह कदम उसे बदहाल करके छोड़ देगा. उसे न तो कोई विदेशी मदद मिलेगी और न ही उसे कोई लोन मिल सकेगा.
देश पर आएगी बड़ी मुसीबत
पकिस्तान के परमाणु परीक्षण का दावा दक्षिण एशिया में परमाणु हथियारों की रेस को बढ़ा सकता है. अगर आज मॉर्डन जीपीएस टेक्नोलॉजी और लेटेस्ट सैटेलाइट्स के दौर में अगर पाकिस्तान चोरी-छिपे परमाणु हथियार टेस्ट करते हुए पाया गया तो उस पर बड़ी मुसीबत आ सकती है. अमेरिका जो इस समय उसका सगा बना हुआ है, उस पर कड़े आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लगा सकता है. उसके अलावा जापान और यूरोपियन यूनियन के सदस्य जैसे देश भी तुरंत और कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के साथ ही मिलिट्री बैन लगा सकते हैं.
नहीं मिलेगी कुछ भी मदद
इन देशों की तरफ से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों में पाकिस्तान को विदेशी मदद मिलनी बंद हो जाएगी, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) और वर्ल्ड बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान से उसे कर्ज मिलने में देरी हो सकती है या फिर लोन खारिज भी किया जा सकता है. इसके अलावा पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद हो जाएगा और निवेश भी बैन हो जाएगा. इसके अलावा उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अलग-थलग किया जा सकता है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)एक प्रस्ताव पास करके पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण की निंदा कर सकता है और साथ ही देश को NPT को साइन करने के लिए मजबूर कर सकता है.
क्या हुआ था 1998 में
पाकिस्तान और भारत ने साल 1998 में परमाणु परीक्षण किए थे. www.armscontrol.org की रिपोर्ट के अनुसार साल 1979 से पाकिस्तान पर कुछ प्रतिबंध लगे हुए थे. इन प्रतिबंधों का मकसद किसी भी तरह की परमाणु गतिविधि को रोकना था. जब 1998 में पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षए किए तो उस समय देश पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए थे. साथ ही जो प्रतिबंध लगे उनके तहत अमेरिका की तरफ से किसी भी तरह की सैन्य सहायता को भी बंद कर दिया गया. उस समय क्लिंटन प्रशासन की कोशिश भारत और पाकिस्तान दोनों को ही परमाणु हथियारों के परीक्षणों को करने से रोकना था.
बुश ने दी आजादी
पाकिस्तान पर हालांकि कुछ प्रतिबंध अक्टूबर 1999 के बाद भी लगे थे जब लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को हटाकर देश में सैन्य शासन लगा दिया गया था. 22 सितंबर 2001 में जॉर्ज डब्लूय बुश ने पाकिस्तान और भारत पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा दिया था. बुश प्रशासन का मकसद उस समय 9/11 के बाद पाकिस्तान से मदद हासिल करना था. जॉर्ज बुश ने तब पाकिस्तान से उन सभी प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटा लिया जिसे उस समय परमाणु हथियारों को विकसित करने की मंजूरी माना गया था. जी7 देश भी पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकते हैं. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाई की थी. युद्ध का खतरे और पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर की परमाणु धमकियों के बीच ट्रंप का यह दावा परेशान करने वाला है.













