अमेरिका आओ, अमेरिकियों को सिखाओ और लौट जाओ... ट्रंप की नई H-1B वीजा पॉलिसी चौंकाने वाली

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) की फीस थोपी है. अब टीम ट्रंप का प्लान है कि हाई स्किल वाले कम विदेशी ही अमेरिका आएं, वहां के लोगों को ट्रेनिंग दे और वापस लौट जाएं.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई H-1B वीजा पॉलिसी आजकल सुर्खियों में है क्योंकि उन्होंने इसपर एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) की फीस थोप दी है. सब यह जानना चाहते हैं कि आखिर उनका प्लान क्या है. ऐसे में अमेरिका के ट्रेजरी सचिव यानी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने ट्रंप की नई H-1B वीजा पॉलिसी का मकसद बता दिया है. इसके अनुसार ट्रंप चाहते हैं कि दूसरे देशों से उच्च कौशल (हाई स्किल) वाले लोग अमेरिका में आएं, यहां अमेरिकी लोगों को  हाई स्किल की जरूरत वाली नौकरियों के लिए ट्रेनिंग दे और वापस लौट जाएं. यानी प्लान सिर्फ ऐसी ट्रेनिंग देने के लिए अमेरिका में अस्थायी रूप से कुशल विदेशी श्रमिकों को लाने के लिए है, न कि उन्हें लंबे समय तक अमेरिका में रखने का. यह टिप्पणी तब आई जब ट्रंप ने इमिग्रेशन पॉलिसी में अपने प्रशासन के आक्रामक सुधारों के विपरीत कहा कि अमेरिका को कुछ क्षेत्रों के लिए विदेशी प्रतिभा लाने की जरूरत है.

फॉक्स न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में बात करते हुए, बेसेंट ने H-1B वीजा के लिए ट्रंप के नए दृष्टिकोण पर कहा कि यह अमेरिका के विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) को बहाल करने के लिए ज्ञान या स्किल के ट्रांसफर का जरिया होगा. उन्होंने कहा कि नए दृष्टिकोण का उद्देश्य दशकों की आउटसोर्सिंग के बाद अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करना है.

उन्होंने कहा, "20-30 वर्षों से, हमने विनिर्माण नौकरियों को ऑफशोर नहीं किया है... हम एक चुटकी बजाकर यह नहीं कह सकते कि यहां रातोंरात जहाज आ जाएंगे. हम सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को अमेरिका में वापस लाना चाहते हैं. एरिजोना में बड़ी फैक्ट्रियां होंगी."

बेसेंट ने आगे बताया, "तो, मुझे लगता है कि राष्ट्रपति का दृष्टिकोण यहां ऐसे विदेशी श्रमिकों को लाना है जिनके पास अमेरिकी श्रमिकों को ट्रेनिंग देने के लिए तीन, पांच या सात साल का कौशल हो. फिर वे घर जा सकते हैं, और अमेरिकी श्रमिक कार्यभार संभालेंगे."

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