ब्रिटेन में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल जाना पड़ा है
कोविड-19 का डेल्टा वेरिएंट, जो सबसे पहले भारत में पाया गया था, ब्रिटेन में भी कहर बनकर सामने आया है. देश के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वेरिएंट के कारण देश की अस्पतालों में पहले की तुलना में अधिक लोगों को अस्पताल पहुंचना पड़ सकता है.
Delta variant के बारे में 10 प्रमुख बातें
- यूके के चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट ने अल्फा वेरिएंट को पीछे छोड़ दिया है. इस वेरिएंट के केसों की संख्या देश के विभिन्न हिस्सों में बढ़ी है.
- वेरिएंट पर नजर रखने वाली स्वास्थ्य संस्था ने कहा है कि शुरुआती सबूत बताते हैं कि डेल्टा वेरिएंट के कारण अल्फा स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा लोगों को अस्पताल जाना पड़ सकता है.
- इसके साथ ही विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस बारे में अभी और अध्ययन करने की आवश्यकता है
- अधिकारियों के अनुसार, इस सप्ताह डेल्टा वेरिएंट के कारण 278 लोगों को इमरजेंसी की स्थिति में अस्पताल जाना पड़ा. पिछले सप्ताह यह संख्या 201 थी. इनमें से ज्यादातर मरीजों को कोरोना टीका नहीं लगा है.
- यूके स्वास्थ्य विभाग के मुख्य कार्यकारी जैनी हैरिस कहते हैं, 'यह वेरिएंट पूरे ब्रिटेन में मुश्किल का सबब बन रहा है और इसे लेकर हरसंभव सतर्कता बरतने की जरूरत है.'
- ऐसे समय जब देश नए चरण के लिए जा रहा है, विशेषज्ञों ने लोगों से सजग रहने की अपील की है. देश में 21 जून से लॉकडाउन की बंदिशें खत्म की जाने की तैयारी है.
- भारत में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, डेल्टा वेरिएंट बेहद संक्रामक और तेजी से फैलने वाला है.
- भारत में किए गए अध्ययन के अनुसार, डेल्टा वेरिएंट या B.1.617.2 स्ट्रेन को अल्फा वेरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक बताया गया है.
- हालांकि वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि डेल्टा वेरिएंट ज्यादा मौतों और मामलों के ज्यादा गंभीर होने के लिए जिम्मेदार है.
- वैज्ञानिकों की राय में डेल्टा वेरिएंट ने वैक्सीनेशन के बाद भी कोराना संक्रमण के मामले बढ़ने में भूमिका निभाई है. अल्फा वेरिएंट के मामले में ऐसा कुछ नहीं था.
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