भारत को खोजने निकले कोलंबस के डीएनए टेस्ट में हुआ क्या खुलासा, क्रिसचियन नहीं था...

वैज्ञानिकों ने कहा, हमारे पास क्रिस्टोफर कोलंबस का डीएनए है, बहुत आंशिक है लेकिन पर्याप्त है. हमारे पास उनके बेटे हर्नान्डो कोलोन का डीएनए है. और हर्नान्डो के वाई (पुरुष) गुणसूत्र (क्रोमोजोम्स) और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (मां से) दोनों में यहूदी मूल के साथ संगत लक्षण हैं.

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नई दिल्ली:

Christopher Columbus DNA test: क्रिस्टोफर कोलंबस का नाम ध्यान में आते ही एक प्रसिद्ध खोजकर्ता के बारे में मन सोचने लगता है. साथ ही यह भी ध्यान में आता है कि स्पेन से भारत (Spain to India) को खोजने निकला एक नाविक कैसे अमेरिका पहुंच जाता है. और अमेरिका को ही भारत समझ बैठता है. लेकिन कोलंबस के बारे में अब एक अध्ययन किया गया और पाया गया कि वह वास्तव में अपने को क्रिसचियन बताने को इसलिए उतावला रहा ताकि कहीं उसे परेशान न किया जाए. एक नए आनुवंशिक अध्ययन (DNA स्टडी) से पता चला है कि प्रसिद्ध खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस इतालवी नहीं थे, जैसा कि परंपरागत रूप से माना जाता रहा है. अब कहा जा रहा है कि संभवतः कोलंबस स्पेन के एक सेफ़र्डिक यहूदी थे, जिन्होंने अपने को उत्पीड़न से बचाने के लिए अपनी असली पहचान को छुपाया था.

कोलंबस को लेकर बना रहा संशय

लंबे समय से कोलंबस के वंश को लेकर संशय बना हुआ था. तमाम दावे किए जा रहे थे जिसे अंत तक पहुंचाने के लिए यह रिसर्च की गई.  स्पैनिश वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए शोध का उद्देश्य कोलंबस की पृष्ठभूमि को लेकर लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितता को हल करना था. वर्षों से, इतिहासकारों ने 15वीं शताब्दी के नाविक के जन्मस्थान पर बहस की है. इसके बारे में कहा जाता है कि वह इटली के उत्तर-पश्चिमी तट पर एक गणराज्य जेनोआ से आया था.

हालांकि, बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेविले कैथेड्रल में रखे गए कोलंबस के अवशेषों के डीएनए विश्लेषण ने इस कथा को चुनौती देने वाले ठोस सबूत पेश किए हैं.

कोलंबस के अंश से हुआ डीएनए

वैज्ञानिकों ने कहा है कि हमारे पास क्रिस्टोफर कोलंबस का डीएनए है, बहुत आंशिक है लेकिन पर्याप्त है. हमारे पास उनके बेटे हर्नान्डो कोलोन का डीएनए है. और हर्नान्डो के वाई (पुरुष) गुणसूत्र (क्रोमोजोम्स) और माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (मां से) दोनों में यहूदी मूल के साथ संगत लक्षण हैं. फोरेंसिक विशेषज्ञ और जांचकर्ता मिगुएल लोरेंटे ने कोलंबस डीएनए : द ट्रू ओरिजिन नामक एक डॉक्यूमेंट्री में यह बातें कहीं. यह डॉक्यूमेंट्री हाल ही प्रसारित की गई है. 

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बता दें कि यह शोध 2003 में शुरू हुआ था जब ग्रेनाडा विश्वविद्यालय के फोरेंसिक मेडिसिन प्रोफेसर जोस एंटोनियो लोरेंटे ने इतिहासकार मार्शियल कास्त्रो के साथ मिलकर सेविले कैथेड्रल से कोलंबस के अवशेष निकाले थे.  

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ऐतिहासिक संदर्भों द्वारा समर्थित उनके निष्कर्षों से पता चलता है कि कोलंबस ने उस समय स्पेन में प्रचलित धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए अपनी यहूदी जड़ों को छुपाया होगा या कैथोलिक धर्म में परिवर्तित हो गए होंगे.

पश्चिमी यूरोप के स्पेन के वालेंसिया जन्मस्थान
हालांकि, न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने अभी तक कोलंबस के जन्मस्थान का सटीक पता नहीं लगाया है, लेकिन उनका मानना ​​है कि यह संभवतः पश्चिमी यूरोप में कहीं है, स्पेन में वालेंसिया, इसकी प्रबल संभावना है.

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गौरतलब है कि "सेफ़र्डिक" शब्द स्पेन के हिब्रू शब्द सेफ़ारड से निकला है. लोरेंटे द्वारा वर्णित डीएनए परिणाम, "लगभग पूरी तरह से विश्वसनीय" हैं, कोलंबस की उत्पत्ति के बारे में कई वैकल्पिक सिद्धांतों को खारिज करते हैं, जिसमें यह दावा भी शामिल है कि उनका जन्म पोलैंड, पुर्तगाल या यहां तक ​​​​कि स्कैंडिनेविया जैसे देशों में हुआ होगा.

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अमेरिका के उपनिवेशकरण का जिम्मेदार

बता दें कि कोलंबस को एशिया के लिए एक नए मार्ग की तलाश में स्पेनिश राजशाही द्वारा समर्थित अटलांटिक पार अपने अभियानों के लिए जाना जाता है. इसके बजाय, कोलंबस कैरेबियन में पहुंच गया जिसके बाद यूरोपीय ताकतों की एक लहर उठी जो अंततः अमेरिका को उपनिवेशीकरण की ओर ले गई. कोलंबस की की यात्राएं अपने ऐतिहासिक प्रभाव के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, लेकिन, वे अमेरिका की मूल आबादी के लिए विनाशकारी परिणामों के कारण विवाद का विषय भी बनी रही हैं. उनके दल ने कथित तौर पर स्वदेशी लोगों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार किया.

द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोलंबस के लोगों को बच्चों सहित स्थानीय लोगों को अपंग और गुलाम बनाने के लिए जाना जाता है.

उल्लेखनीय  है कि कोलंबस की मृत्यु 1506 में वलाडोलिड, स्पेन में हुई थी, और अंततः सेविले में दफनाएं जाने से पहले उसके अवशेषों को सदियों से कई बार स्थानांतरित किया गया था.

कोलंबस पर नई खोज क्या बिगाड़ देगी अमेरिका इजरायल का रिश्ता

वर्तमान में यहूदी धर्म का एकमात्र मुल्क इजरायल है और अमेरिका और इजरायल के बीच काफी घनिष्ठ संबंध हैं. अमेरिका इजरायल के साथ पूरी दृढ़ता के साथ खड़ा है जबकि इजरायल का कई मोर्चों पर अपने पड़ोस में युद्ध चल रहा है. 

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