'सीमा विवाद का स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए तैयार हैं', चीनी विदेश मंत्री ने एस जयशंकर से कहा

वांग ने कहा, ‘‘हमें दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, हमें आपात प्रबंधन से सामान्य सीमा प्रबंधन एवं नियंत्रण तंत्र में स्थानांतरण की आवश्यकता है और हमें सीमा संबंधी घटनाओं को द्विपक्षीय संबंधों में अनावश्यक व्यवधान पैदा करने से रोकने की आवश्यकता है.’’

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ताजिकिस्तान की राजधानी में दोनों नेताओं के बीच एक घंटे तक बैठक चली.
बीजिंग, चीन:

भारत ने चीन को स्पष्ट संदेश दिया कि पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति के लंबे समय तक बने रहने के कारण द्विपक्षीय संबंध स्पष्ट रूप से ‘‘नकारात्मक तरीके'' से प्रभावित हो रहे हैं, जिसके बाद चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह उन मामलों का ‘‘आपस में स्वीकार्य समाधान'' खोजने के लिए तैयार है, जिन्हें वार्ता के जरिए ‘‘तुरंत सुलझाए'' जाने की आवश्यकता है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन के इतर एक घंटे तक चली बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी से कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को 'स्वीकार्य नहीं' है और पूर्वी लद्दाख में शांति की पूर्ण बहाली के बाद ही संबंध समग्र रूप से विकसित हो सकते हैं.

ताजिकिस्तान की राजधानी में यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब पूर्वी लद्दाख में टकराव के शेष बिंदुओं पर दोनों सेनाओं के बीच बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया में गतिरोध बना हुआ है. इससे पहले पिछले साल मई के बाद से जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए की गई सैन्य एवं राजनीतिक वार्ताओं के बाद फरवरी में पैंगोंग झील क्षेत्रों से दोनों सेनाओं ने अपने हथियार एवं बल पीछे हटा लिए थे.

चीन के विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को अपनी बेवसाइट पर जयशंकर और वांग के बीच हुई वार्ता के संबंध में पोस्ट किए गए बयान में बताया कि मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के संबंध ‘‘निचले स्तर पर'' बने हुए हैं, जबकि गलवान घाटी एवं पैंगोंग झील से बलों की वापसी के बाद सीमा पर हालात ‘‘आमतौर पर सुधर'' रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद चीन और भारत के संबंध अब भी ‘‘निचले स्तर'' पर हैं, जो ‘‘किसी के हित'' में नहीं है.

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चीन ने अपने पुराने रुख को दोहराया कि वह अपने देश से लगी भारत की सीमा पर स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं है. वांग ने कहा, ‘‘चीन उन मामलों का आपस में स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए तैयार है, जिन्हें भारतीय पक्ष के साथ वार्ता एवं विचार-विमर्श के जरिए तत्काल सुलझाए जाने की आवश्यकता है.''
चीन ने गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो से अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है, लेकिन पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग जैसे टकराव के अन्य क्षेत्रों से बलों को हटाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.

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जयशंकर ने वांग के साथ बैठक में स्पष्ट रूप से कहा कि पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति के लंबा खिंचने से द्विपक्षीय संबंधों पर स्पष्ट रूप से ‘‘नकारात्मक असर'' पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि फरवरी में पैंगोंग झील क्षेत्रों से बलों को पीछे हटाए जाने के बाद से चीनी पक्ष की ओर से स्थिति को सुधारने में कोई प्रगति नहीं हुई है. जयशंकर ने वांग से कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को 'स्वीकार्य नहीं' है और पूर्वी लद्दाख में शांति की पूर्ण बहाली के बाद ही संबंध समग्र रूप से विकसित हो सकते हैं. 

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चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में बताया गया कि वांग ने ‘‘तत्काल समाधान की आवश्यकता वाले मामलों'' के आपस में स्वीकार्य समाधान के लिए वार्ता करने पर सहमति जताई और कहा कि दोनों पक्षों को सीमा संबंधी मामले को द्विपक्षीय संबंधों में उचित स्थान पर रखना चाहिए और द्विपक्षीय सहयोग के सकारात्मक पहलुओं को विस्तार देकर वार्ता के जरिए मतभेदों के समाधान के अनुकूल माहौल पैदा करना चाहिए.

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उन्होंने कहा, ‘‘बलों के पीछे हटने के कारण मिली उपलब्धियों को आगे बढ़ाना, दोनों पक्षों के बीच बनी सर्वसम्मति एवं समझौते का सख्ती से पालन करना, संवेदनशील विवादास्पद क्षेत्रों में कोई एकतरफा कदम उठाने से बचना और गलतफहमी के कारण पैदा हुए हालत को फिर से पैदा होने से रोकना महत्वपूर्ण है.''

वांग ने कहा, ‘‘हमें दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, हमें आपात प्रबंधन से सामान्य सीमा प्रबंधन एवं नियंत्रण तंत्र में स्थानांतरण की आवश्यकता है और हमें सीमा संबंधी घटनाओं को द्विपक्षीय संबंधों में अनावश्यक व्यवधान पैदा करने से रोकने की आवश्यकता है.''

उन्होंने कहा, ‘‘चीन-भारत संबंधों पर चीन के रणनीतिक रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है. चीन-भारत संबंध एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं, बल्कि एक-दूसरे के विकास का अवसर होने चाहिए. दोनों देश साझेदार हैं, वे प्रतिद्वंद्वी और दुश्मन नहीं हैं.''
वांग ने कहा, ‘‘चीन-भारत संबंधों के सिद्धांत संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति आपसी सम्मान, गैर-आक्रामकता, एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना और एक दूसरे के हितों के प्रति आपसी सम्मान पर आधारित होने चाहिए.''

उन्होंने कहा कि चीन और भारत के बीच बातचीत के तरीके में सहयोग, पारस्परिक लाभ और पूरकता, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और टकराव से बचने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. वांग ने कहा कि चीन और भारत आज अपने-अपने क्षेत्रों और बड़े पैमाने पर दुनिया में शांति और समृद्धि के लिए अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें अपने साझा रणनीतिक हितों पर अधिक ध्यान देना चाहिए और दोनों देशों के लोगों को अधिक लाभ पहुंचाना चाहिए.

सितंबर 2020 में मास्को में हुई अपनी पिछली बैठक को याद करते हुए जयशंकर ने उस समय हुए समझौते का पालन करने और बलों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने तथा पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया. सैन्य अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में हर पक्ष के एलएसी के पास लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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