China में सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने पर मानसिक अस्पताल में कर देते हैं भर्ती और फिर...

चीन (China) के अधिकारी दशकों से देश के मानसिक अस्पतालों (psychiatric hospitals) का प्रयोग राजनैतिक कैदियों (Political Prisoners) की जेल की तरह कर रहे हैं. यहां डॉक्टर्स (Doctors) और स्वास्थ्यकर्मी अधिकारियों के साथ मिलकर सरकार विरोधी लोगों को सजा देते हैं.

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ताजा रिपोर्ट में में 99 चीनी लोगों को 2015 से 2021 के बीच जरबन मानसिक अस्पताल भेजे जाने का जिक्र है (प्रतीकात्मक तस्वीर)
बीजिंग:

चीन (China) विरोध की आवाजों को दबाने के लिए अपने मानसिक अस्पतालों (Psychiatric Hospitals) का प्रयोग जेल की तरह कर रहा है. एक अधिकार समूह का कहना है कि चीन में बिना किसी तय प्रक्रिया के कार्यकर्ताओं (Activists) को मानसिक अस्पतालों में डाला जा रहा है. यहां डॉक्टर्स (Doctors) और स्वास्थ्यकर्मी अधिकारियों के साथ मिलकर सरकार विरोधी लोगों को सजा देते हैं.  बीजिंग (Beijing) के अधिकारी दशकों से देश के सायक्रेट्रिक अस्पतालों (psychiatric hospitals) का प्रयोग राजनैतिक कैदियों को सजा देने के लिए कर रहे हैं. ऐसे अस्पतालों को अंकांग कहा जाता है.  

मंगलवार को एक स्पेन के एक एनजीओ की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 के दशक की शुरुआत में हुए सुधारों के बावजूद यह प्रक्रिया जारी है. सुधारों के बाद मेडिकल  सहमति और चीन के मानसिक सहायता सिस्टम पर कोर्ट की निगरानी बढ़ा दी गई थी.  

इस रिपोर्ट का अधिकतर डेटा पीड़ितों और उनके परिवारों के इंटरव्यूज़ से और चीनी नागरिक अधिकार NGO की तरफ से ऑनलाइन प्रकाशित डेटा से प्राप्त हुआ है. इस सिविल राइट्स एंड लाइवलीहुड वॉच (CRLW) की स्थापना एक कार्यकर्ता और सिटिज़न जर्नलिस्ट लियु फियुए (Liu Feiyue) ने की थी.  

इस डेटा में 99 चीनी लोगों के मामले लिए गए हैं जिन्हें 2015 से 2021 के बीच राजनैतिक कारणों से जरबन मानसिक अस्पताल भेजा गया और उन्हें वहां यातनाएं झेलनी पड़ीं.  

इस समूह का कहना है, "साल 2020 में भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) लगातार राजनैतिक निशाने पर मौजूद लोगों को मानसिक अस्पताल भेज देती है. इस बर्बर प्रक्रिया को रोकने के लिए एक दशक पहले कानूनी बदलाव किए गए थे. लेकिन उसके बावजूद ऐसा हो रहा है.   

साथ ही कहा गया, " चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) याचिकाकर्ताओं और कार्यकर्ताओं को न्यायिक सिस्टम से पूरी तरह से हटाने में सक्षम है. किसी वकील के मिलने की या मुकदमे के लिए जाने की कोई उम्मीद नहीं मिलती जबकि उन्हें "मानसिक तौर से बीमार" घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद अस्पताल से छूटने के बाद समाज भी उन्हें काट देता है." 

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