China on Taiwan: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को 'कसम खाई' कि वह 'किसी को भी, किसी भी तरह से ताइवान को चीन से अलग नहीं करने देंगे'. चीन की आधिकारिक न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने इसकी जानकारी दी. जिनपिंग का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब कुछ ही दिनों बाद ताइवान नए नेता का चुनाव करने जा रहा है. ताइपे सरकार की कड़ी आपत्तियों के बावजूद चीन ताइवान को अपने हिस्से के रूप में देखता है. अपनी संप्रभुता के दावों पर जोर देने के लिए उसने सैन्य और राजनीतिक दबाव को तेज कर दिया है.
रॉयटर्स के मुताबिक द्वीपीय देश ताइवान में 13 जनवरी को राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव होने वाले हैं. देश चीन के साथ संबंधों को कैसे संभालता है यह चुनाव अभियान का एक प्रमुख मुद्दा है. पूर्व चीनी नेता माओत्से तुंग के जन्म की 130वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक संगोष्ठी में जिनपिंग ने ताइवान को लेकर कहा कि 'मातृभूमि का एक होना अनिवार्य है और इसे रोका नहीं जा सकता.' पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, 'मातृभूमि को फिर से एकजुट किया जाना चाहिए.'
'बल के प्रयोग' का जिक्र नहीं
जिनपिंग ने कहा कि चीन को दोनों पक्षों के बीच एकीकरण को गहरा करना चाहिए, ताइवान जलडमरूमध्य में संबंधों के शांतिपूर्ण विकास को बढ़ावा देना चाहिए और 'ताइवान को किसी भी तरह से चीन से अलग होने से रोकना चाहिए.' रिपोर्ट में ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग का कोई जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि चीन ने इस संभावना से कभी इनकार नहीं किया है. इसमें आगामी चुनाव का भी जिक्र नहीं किया गया है.
'ताइवान की स्वतंत्रता का मतलब युद्ध'
चीन का कहना है कि ताइवान का चुनाव एक आंतरिक चीनी मामला है लेकिन द्वीप के लोगों को युद्ध और शांति के बीच एक विकल्प का सामना करना पड़ता है और ताइवान की स्वतंत्रता के किसी भी प्रयास का मतलब युद्ध है. पिछले डेढ़ साल में चीन ने ताइवान के आसपास दो बड़े युद्धाभ्यास का आयोजन किया है. चीन अक्सर ताइवान स्ट्रेट में युद्धपोत और लड़ाकू जेट भेजता रहता है.