अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बयान पर शुक्रवार को चीन ने पलटवार करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली का पालन करने में उसका रिकॉर्ड शानदार है, जबकि अमेरिका इसमें ‘‘काफी पीछे'' है.गौरतलब है कि बाइडेन ने कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय नियमों के पालन के लिए चीन को जवाबदेह बनाएंगे. चीन और अमेरिका के बीच संबंध फिलहाल सबसे खराब स्थिति में हैं. दोनों देश व्यापार, कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर एक-दूसरे के साथ विवाद में उलझे हुए हैं. वहीं चीन दक्षिण चीन सागर में लगातार अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ा रहा है.अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में बाइडेन ने कहा, ‘‘हम चीन को नियमों के पालन के लिए जवाबदेह बनाने वाले हैं, वह नियमों का पालन करेगा फिर चाहे वह दक्षिण चीन सागर हो या फिर उत्तरी चीन सागर या ताइवान पर किया गया समझौता हो.''
बाइडेन के बयान पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं इस पर जोर देना चाहूंगी कि अमेरिका, चीन को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने को कह रहा है. ऐसा कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि दुनिया में केवल एक तंत्र है, वह भी संयुक्त राष्ट्र आधारित अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और सिर्फ एक नियम है, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और सिद्धांतों पर आधारित.''बाइडेन के इस बयान पर कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग में लोकतंत्र का एक कतरा भी नहीं है और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की तरह वह मानते हैं कि ‘‘तानाशाही भविष्य की लहर है'', इस पर हुआ ने कहा कि किसी भी देश के राजनीतिक तंत्र का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाना चाहिए कि यह देश के हिसाब से सही है या नहीं, वहां स्थिरता बनी रहती है या नहीं और वहां के लोगों के जीवन में इससे सुधार हो रहा है या नहीं.
हुआ ने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कोई लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में कितना बखान करता है, लेकिन वह कोविड-19 से पांच लाख लोगों की मौत होने और बंदूक की गोलियों से हर साल 45,000 लोगों के मरने पर कुछ नहीं कहता है. सिर्फ फर्जी सबूतों के आधार पर सम्प्रभु देशों पर हमला करता है, मासूमों की हत्या करता है, लोगों को विस्थापित करता है, ऐसे में वह खुद को लोकतंत्र का मशाल बताने के काबिल नहीं है.''बाइडेन की टिप्पणी पर कि अमेरिका संघर्ष नहीं चाहता है लेकिन ‘‘बहुत बहुत तगड़ी प्रतिद्वंद्विता होने वाली है'' और चीन उनके शासन काल में सबसे धनी और तकतवर देश बनकर नहीं उभरेगा, हुआ ने कहा कि ‘‘हमने गौर किया कि बाइडन ने कहा कि अमेरिका का संघर्ष का कोई इरादा नहीं है.''