चीन, रूस संयुक्त रूप से अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति का करेंगे मुकाबला

चीन ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति शी की हाल में समाप्त हुई रूस की राजकीय यात्रा ‘‘दोस्ती, सहयोग और शांति की यात्रा’’ थी.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
बीजिंग/मॉस्को:

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बुधवार को रूस की अपनी यात्रा का समापन किया और अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति का मुकाबला करने के लिए अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ ‘‘समान, खुली और समावेशी सुरक्षा प्रणाली'' बनाने का संकल्प किया. शी ने पुतिन के साथ गहन चर्चा की, जिसके बाद नेताओं ने ‘‘नए युग के लिए समन्वय की व्यापक रणनीतिक साझेदारी'' और ‘‘चीन-रूस आर्थिक सहयोग में प्राथमिकताओं पर 2030 से पहले विकास योजना'' को गहरा करने के लिए दो संयुक्त बयानों पर हस्ताक्षर किए.

शी चिनफिंग ने मॉस्को की तीन-दिवसीय यात्रा यूक्रेन संघर्ष में शांति वाहक के तौर पर अपनी भूमिका दर्शाने के लिए की थी. उन्होंने इस दिशा में शांति वार्ता योजना को आगे बढ़ाने की मांग की, जिस पर यूक्रेन के प्रमुख सहयोगी अमेरिका से ठंडी प्रतिक्रिया मिली. मार्च 2013 में पहली बार चीन का राष्ट्रपति बनने के बाद से शी की रूस की इस यात्रा को ‘‘दोस्ती, सहयोग और शांति'' की यात्रा बताया गया है.

चीन ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति शी की हाल में समाप्त हुई रूस की राजकीय यात्रा ‘‘दोस्ती, सहयोग और शांति की यात्रा'' थी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन यूक्रेन संघर्ष में तटस्थ है और उन्होंने यह भी दोहराया कि बीजिंग का ‘‘यूक्रेन मुद्दे पर कोई स्वार्थी मकसद नहीं है, वह मूक दर्शक नहीं बना हुआ है... या इस अवसर का लाभ नहीं उठा रहा है''. वांग ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति शी चिनफिंग की रूस की यात्रा दोस्ती, सहयोग और शांति की यात्रा है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सकरात्मक प्रतिक्रिया दी है.''

Advertisement

प्रवक्ता ने संघर्ष विराम एवं बातचीत के आह्वान को लेकर चीन द्वारा पेश 12-सूत्री शांति प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘चीन, यूक्रेन मुद्दे के राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देने में रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा.'' अपने संयुक्त बयान में चीन और रूस ने एशिया-प्रशांत देशों के साथ नाटो के सैन्य-सुरक्षा संबंध लगातार बढ़ाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की और उनका कहना है कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करता है.

Advertisement

बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विशिष्ट गठबंधन का विरोध करते हैं, जो क्षेत्र में इस तरह की गठबंधन की राजनीति को बढ़ावा देगी और खेमेबाजी से टकराव पैदा होगा, जो स्पष्ट रूप से अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान के गठबंधन ‘क्वाड' और ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के गठबंधन ‘ऑकस' के संदर्भ में है. दोनों पक्षों ने इस बात का जिक्र किया कि अमेरिका शीतयुद्ध की मानसिकता में जी रहा है और हिंद-प्रशांत रणनीति का अनुसरण करता है, जिसका क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

Advertisement

चीन और रूस एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक समान, खुली और समावेशी सुरक्षा प्रणाली बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि बनाए रखने के लिए किसी अन्य देश को निशाना नहीं बनाता है. अमेरिका, भारत और कई अन्य विश्व शक्तियां संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दखल की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुले और समृद्ध हिंद-प्रशांत को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हैं. चीन का दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में सीमा क्षेत्र को लेकर विवाद है. बीजिंग ने पिछले कुछ वर्षों में अपने मानव निर्मित द्वीपों का सैन्यीकरण करने में भी काफी प्रगति की है. रूस ने यूक्रेन युद्ध पर जल्द ही शांति वार्ता फिर से शुरू करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिसकी चीन ने सराहना की.

Advertisement
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Punjab के Gurdaspur में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड फेंकने वाले 03 दुर्दांत अपराधियों को Police ने पकड़ा
Topics mentioned in this article