चीन (China) ने अपने विंटर ओलिंपिक खेलों (Winter Olympic) की आड़ में भारत के गलवान घाटी (Galwan) के ज़ख्म को एक बार फिर कुरेदा है. चीन की इस हरकत की अमेरिका (US) की तरफ से कड़ी निंदा की गई है. भारत और चीन के बीच गलवान घाटी की झड़प में घायल हुए एक चीनी सैन्य अधिकारी को चीन ने विंटर ओलिंपिक की मशाल थमाने का फैसला किया. अमेरिका की तरफ से इसे एक शर्मनाक कदम बताया गया है. अमेरिका की विदेश संबंधों की कमिटी में शामिल एक वरिष्ठ सांसद ने विंटर ओलिंपिक की मशाल को गलवान घाटी की झड़प में घायल हुए चीनी सैन्य अधिकारी के हाथ में देने को शर्मनाक बताया.
स्थानीय मीडिया के अनुसार भारतीय सैनिकों के साथ 2020 में गलवान घाटी की झड़प में घायल हुए चीन सैनिकों में शामिल एक रेजीमेंटल कमांटर को बीजींग में हो रहे खेलों में मशाल थामने का गौरव मिला. चीन के मामलों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का यह कदम चीन के विंटर ओलिंपक के राजनीतिकरण की ओर इशारा करता है.
अमेरिकी संसंद की विदेश संबंधों की कमिटी में शामिल वरिष्ठ नेता जिम रीश ने कहा, " यह शर्मनाक है कि बीजिंग ने 2022 के ओलिंपिक्स की मशाल उठाने के लिए एक ऐसे व्यक्ति को चुना जो 2020 में भारत पर हुए हमले में शामिल था और जो उईगुर मुसलमानों के नरसंहार में शामिल है. अमेरिका उईगुर स्वतंत्रता और भारत की संप्रभुता को समर्थन देना जारी रखेगा."
बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के पारंपरिक मशाल रिले में हिस्सा लेने वाला पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People's Liberation Army) का रेजिमेंट कमांडर Qi Fabao गलवान घाटी में हुए संघर्ष में शामिल था. चीन के एक अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, रेजिमेंट कमांडर को एक हीरो के रूप में 1,200 मशालधारकों के बीच शामिल किया गया. Qi Fabao गलवान संघर्ष में जख्मी हो गया था. उसे सिर में चोट लगी थी.
बता दें कि दिसंबर में यह कमांडर वहां के एक टीवी चैनल पर दिखाई दिया था, जिसमें वह बता रहा था कि वह युद्ध के मैदान में लौटने और फिर से लड़ने के लिए तैयार हैं. बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता हो चुकी है.