पिछले कुछ सालों में अमेरिका ने चीन पर "कर्ज की कूटनीति" प्रयोग करने का आरोप लगाया है ताकि दुनिया के विकासशील देश चीन पर और निर्भर हो सकें. इसके बावजूद श्रीलंका और पाकिस्तान, चीन के दोनों दोस्तों को गंभीर वित्तीय हालत और बढ़ती महंगाई का सामना करना पड़ रहा है. इससे यह जाहिर होता है कि चीन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सरकार इनकी मदद को पैसा देने से हिचकिचा रही है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, चीन ने अभी तक पाकिस्तान को $4 बिलियन का लोन दोबारा देने के वादे पर कोई खास कदम नहीं उठाया है और उसने श्रीलंका के $2.5 बिलियन के कर्ज की मांग पर भी कोई जवाब नहीं दिया है. जबकि चीन ने दोनों देशों की मदद का वादा किया था.
चीन ने इसी कारण बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को भी दोबारा से परिभाषित किया है, साथ ही वह श्रीलंका के हालात में दखल देने से भी बच रहा है. पाकिस्तान में सोमवार को संसद ने एक नया प्रधानमंत्री चुन लिया जबकि श्रीलंका के नेताओं से प्रदर्शनकारी स्तीफे की मांग कर रहे हैं.
बीजिंग ने पिछले कुछ सालों में बाहरी कर्ज देने पर दोबारा विचार किया है क्योंकि उनके बैंकों को यह अहसास हुआ कि वो देश पैसा वापस देने की कम संभावना रखते हैं. यह चीन के अपने बढ़ते कर्जों और बाहर पैसा खर्च करने की घटती इच्छा के बारे में बताते हैं. चीन में बढ़ते कोरोना के कारण सख्त लॉकडाउन जारी है, जिसके कारण चीन को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वहीं श्रीलंका की फिच रेटिंग बहुत खराब हो गई हैं. श्रीलंका को कर्ज के ब्याज की अगली किश्त 18 अप्रेल को चुकानी है और इसे ना चुका पाने की स्तिथी में वो डिफॉल्ट कर जाएगा.
वहीं चीन में मौजूद श्रीलंका के राजदूतों ने इस हफ्ते कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि चीन उन्हें कर्जा देगा. लेकिन इसके बावजूद श्रीलंका के संकट में मदद करने की चीन की भूमिका सीमित है. राष्ट्रपति शी भी खुद बेल्ट एंड रोड परियोजना में छोटे लेकिन सुंदर प्रोजेक्ट बनाने को कह चुके हैं, ऐसे प्रोजेक्ट जिनमें विदेशी सहयोग प्राथमिकता पर रहें और इससे खतरनाक जगहों और अराजक ठिकानों को टाला जा सके. दूसरे देशों की मदद करने की चीन की क्षमता , पेमेंट क्राइसिस के संतुलन के साथ में सीमित है. खासतौर से चीन की वित्तीय मदद कुछ प्रोजेक्ट्स से ही जुड़ी है. श्रीलंका में पॉइन्ट पेड्रो इंस्टिट्यूट ऑफ डेवलपमेंट के वरिष्ठ रिसर्चर मुट्टुकृष्णा सर्वानंथान कहते हैं कियहां तक कि श्रीलंका और पाकिस्तान की मदद के लिए IMF भी धीरे-धीरे आगे आ रहा है. कौन द्विपक्षीय दानदाता देश या अंतरराष्ट्रीय संस्थान पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे डूबते जहाजों में अपना पैसा डालेंगे.