प्रशांत महासागर के 10 द्वीपीय देशों ने चीन (China) के क्षेत्रीय सुरक्षा समझौते (Regional Security Pact) से दूरी बना ली है. इस बड़े स्तर के क्षेत्रीय सुरक्षा समझौते को लेकर यह चिंताएं जताई जा रहीं थीं कि यह इन देशों को चीन के पाले में खींचने के लिए तैयार किया गया है. फिजी (Fiji) में चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) और इन छोटे द्वीपीय देशों के नेता किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए. यह चीन के लिए एक बड़ा कूटनीतिक झटका है. चीन दक्षिण प्रशांत महासागर (South Pacific Sea) में अपनी गतिविधियां तेजी से बढ़ाने की तैयारी कर रहा है, जो इस इलाके में अमेरिका (US) और उसके साथी देशों के लिए खुली चुनौती है. यह क्षेत्र रणनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील समझा जाता है.
यह प्रस्तावित समझौता ऐसा था जिसमें चीन प्रशांत महासगर के छोटे देशों की पुलिस को ट्रेनिंग देता और वह इन देशों की साइबर सुरक्षा में शामिल होता, इन दस देशों के साथ चीन के राजनैतिक संबंध बढ़ते और चीन इन देशों के आस-पास संवेदनशील समुद्री मैपिंग कर पाता. साथ ही इस समझौते से चीन को इन देशों के ज़मीनी और समुद्री संसाधनों तक पहुंच भी आसान हो जाती.
इसके बदले में चीन इन देशों के लिए कई मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव दे रहा था. इस चीन-प्रशांत द्वीपीय देशों के लुभावने समझौते को एक मुक्त व्यापार समझौते की तरह देखा जा रहा था जो इन देशों को चीन के 1.4 बिलियन लोगों के बड़े बाजार तक आसान पहुंच देता.
पर्दे के पीछे, प्रशांत देशों के नेताओं ने इस समझौते को लेकर कई आशंकाएं जाहिर की थीं.
अपने साथी नेताओं को लिखे एक पत्र में फेडरल स्टेट ऑफ माइक्रोनेशिया के राष्ट्रपति डेविड पानुलो ने चेतावनी देते हुए कहा था कि यह प्रस्ताव, "अच्छी नीयत का नहीं है" और "यह प्रमुख इंडस्ट्रीज़ पर चीनी प्रभुत्व जमाने में मदद करेगा ", और चीन के हाथों में आर्थिक नियंत्रण देगा."
इस वार्ता के बाद इन प्रस्तावित समझौते की दबी आवाज में आलोचना भी की जा रही है. जब कई देशों के नेताओं ने कहा कि वो "चीन के साझा विकास दृष्टिकोण" से सहमत नहीं हो सकते क्योंकि इसे लेकर क्षेत्रीय सहमति नहीं है.
"हमेशा की तरह हम साझा सहमति को पहले रखते हैं." सह-मेजबान फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनीमारनामा ने मीटिंग के बाद कहा. इससे यह संकेत मिला कि किसी भी नए क्षेत्रीय समझौते से पहले वृहद सहमति की आवश्यकता होगी."