अमेरिका ने सोमवार को अलगाववादी सिखों के एक समूह द्वारा सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर किए गए हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे अस्वीकार्य करार दिया है. इस हमले के दौरान खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने रविवार को शहर की पुलिस द्वारा बनाए गए अस्थाई सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ दिया और वाणिज्य दूतावास परिसर के अंदर दो तथाकथित खालिस्तानी झंडे लगा दिए. हालांकि, वाणिज्य दूतावास के कर्मियों ने जल्द ही इन झंडों को हटा दिया. इसके तुरंत बाद, गुस्साए प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने वाणिज्य दूतावास परिसर में प्रवेश किया और लोहे की छड़ों से दरवाजे और खिड़कियों पर प्रहार करना शुरू कर दिया.
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "यह बर्बरता बिल्कुल अस्वीकार्य है." उन्होंने कहा, "विदेश विभाग की राजनयिक सुरक्षा सेवा स्थानीय अधिकारियों के साथ काम कर रही है. मैं सैन फ्रांसिस्को पुलिस के लिए बात नहीं कर सकता, लेकिन मैं कह सकता हूं कि राजनयिक सुरक्षा सेवा स्थानीय अधिकारियों के साथ ठीक से जांच करने के लिए काम कर रही है." उन्होंने कहा कि हम नुकसान की भरपाई के लिए बुनियादी ढांचे के नजरिए से काम कर रहे हैं, लेकिन यह अस्वीकार्य है."
अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान भी जारी किया है, जिसमें संकेत दिया गया है कि इस हमले के पीछे जो लोग जिम्मेदार होंगे, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा. बयान में कहा गया, ''अमेरिका रविवार को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले की निंदा करता है. अमेरिका के भीतर राजनयिक प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा एक दंडनीय अपराध है.''
विदेश विभाग के दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो ने कहा, "इन सुविधाओं और उनके भीतर काम करने वाले राजनयिकों की सुरक्षा करना हमारी प्राथमिकता है." एक अलग बयान में, यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम ने सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में भारतीय मिशन पर हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत जीवंत लोकतंत्र हैं और समझते हैं कि शांतिपूर्वक इकट्ठा होने और विरोध करने का अधिकार सबको है. हालांकि, हिंसा और बर्बरता को माफ या बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."