- ब्रिक्स समूह ने 6 जुलाई को पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है.
- समूह ने आतंकवाद से मुकाबले में दोहरे मापदंड त्यागने के भारत के रुख को दोहराया.
- ब्रिक्स देशों ने आतंकवादियों की सीमापार आवाजाही और वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित किया.
- रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र में आतंकवाद, पश्चिम एशिया और व्यापार मुद्दों पर चर्चा हुई.
ब्रिक्स समूह ने रविवार, 6 जुलाई को पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और आतंकवाद को 'कतई बर्दाश्त न करने' का दृष्टिकोण अपनाने तथा इससे मुकाबला करने में दोहरे मापदंड त्यागने के भारत के रुख को दोहराया. ब्राजील के इस समुद्र तटीय शहर में समूह के दो-दिवसीय शिखर सम्मेलन के पहले दिन ब्रिक्स देशों के शीर्ष नेताओं ने आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही सहित आतंकवाद से निपटने में अपने दृढ़ दृष्टिकोण को स्पष्ट किया. ब्रिक्स नेताओं ने 'रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र' जारी किया, जिसमें आतंकवाद के खतरे, पश्चिम एशिया की स्थिति और व्यापार एवं शुल्क से संबंधित मुद्दों सहित कई महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों पर समूह के रुख को दर्शाया गया.
ब्रिक्स ने आतंकवादियों की सीमापार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने सहित सभी तरह के आतंकवाद से निपटने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी. ब्रिक्स घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘हम ‘आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने' की नीति सुनिश्चित करने और आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मापदंड को खारिज करने का आग्रह करते हैं.''
इसमें कहा गया है, ‘‘हम आतंकवाद का मुकाबला करने में देशों की प्राथमिक जिम्मेदारी पर जोर देते हैं और यह कि उन्हें आतंकवादी खतरों को रोकने और उनका मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों में अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए.''
ब्रिक्स ने आतंकवाद-रोधी सहयोग को और गहरा करने का संकल्प लिया और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित सभी आतंकवादियों और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया.
समूह के नेताओं ने एकतरफा टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों के बढ़ने के बारे में भी गंभीर चिंता व्यक्त की. इसे परोक्ष तौर पर टैरिफ को लेकर अमेरिका की नीति के संदर्भ के तौर पर देखा जा रहा है. ब्रिक्स ने दुनिया के कई हिस्सों में जारी संघर्षों और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में 'ध्रुवीकरण और विखंडन' की वर्तमान स्थिति पर भी चिंता जतायी.
इसमें कहा गया है, ‘‘हम कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र की स्थिति के बारे में अपनी गंभीर चिंता दोहराते हैं.''
आतंकवाद मानवता की सबसे बड़ी चुनौती- पीएम मोदी
अपने भाषण में मोदी ने कहा, "आतंकवाद आज मानवता के लिए सबसे गंभीर चुनौती बन गया है. हाल ही में भारत को एक अमानवीय और कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले का सामना करना पड़ा. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला भारत की आत्मा, पहचान और गरिमा पर सीधा हमला था. यह हमला न केवल भारत पर बल्कि पूरी मानवता पर आघात था. दुख की इस घड़ी में, मैं हमारे साथ खड़े मित्र देशों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने समर्थन और संवेदना व्यक्त की."
'वैश्विक शासन में सुधार' विषय पर सत्र को संबोधित करते हुए, मोदी ने कहा: "20 वीं सदी में निर्मित वैश्विक संस्थानों में मानवता के दो-तिहाई हिस्से को अभी भी उचित प्रतिनिधित्व का अभाव है. आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कई देशों को अभी भी निर्णय लेने की मेज पर जगह नहीं दी गई है. यह सिर्फ प्रतिनिधित्व के बारे में नहीं है, यह विश्वसनीयता और प्रभावशीलता के बारे में भी है. ग्लोबल साउथ के बिना, ये संस्थान सिम कार्ड वाले मोबाइल फोन की तरह हैं जिसमें कोई नेटवर्क नहीं है. वे ठीक से काम करने या 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ हैं.”
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