बिलावल भुट्टो के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) में गठबंधन सरकार में शामिल होने और विपक्ष में बैठने के मुद्दे पर अलग-अलग राय है. पाकिस्तान में हाल में संपन्न संसदीय चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी पीपीपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति (सीईसी) ने चुनाव के बाद के परिदृश्य और गठबंधन के प्रस्तावों पर विचार-विमर्श करने के लिए इस्लामाबाद में बैठक की. इस बैठक में तय किया गया इमरान खान की पीटीआई समर्थित निर्दलीयों सहित सभी राजनीतिक दलों से, सत्ता साझा करने के संभावित समझौते के लिए संपर्क किया जाएगा.
सोमवार रात सीईसी की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीनेटर शेरी रहमान ने कहा, 'पीपीपी सभी (राजनीतिक) पार्टियों से संपर्क करेगी और एक समिति का गठन किया जाएगा.' समिति का गठन मंगलवार को किया जाएगा, वहीं सीईसी की बैठक दोपहर तीन बजे दोबारा शुरू होगी. पार्टी के एक बेहद विश्वसनीय सूत्र ने कहा कि सोमवार को हुई पार्टी की केंद्रीय कार्यकारी समिति की बैठक का मुख्य कारण यही था.
वे इस बात पर अंतिम निर्णय पर पहुंचने में विफल रहे कि पीपीपी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के साथ गठबंधन सरकार बनाए या पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के टिकट पर निर्वाचित निर्दलीय विधायकों के साथ विपक्ष में बैठे. सूत्र ने कहा, 'पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) आसिफ जरदारी पर सत्ता-साझाकरण पर सहमत होने के लिए दबाव डाल रही है, जहां प्रधानमंत्री पद साझा करने पर भी चर्चा हुई है.'
उनके अनुसार, यह बातचीत चल रही है कि आधे कार्यकाल तक शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने रहें और फिर शेष कार्यकाल में बिलावल भुट्टो यह जिम्मेदारी संभालें. सूत्र ने पुष्टि की कि विदेश मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब के मुख्यमंत्री जैसे प्रमुख पदों के लिए किन लोगों को नामित किया जाएगा, इस पर अभी भी मतभेद है.