अब अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह पर लगाया बैन, क्‍या भारत पर भी होगा असर, जानिए 

भारत ने वर्ष 2003 में ही इस बंदरगाह के विकास का प्रस्ताव रखा था ताकि भारतीय माल के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच का एक प्रवेश द्वार मुहैया कराया जा सके.

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  • अमेरिकी प्रशासन ने सितंबर से चाबहार बंदरगाह संचालकों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है.
  • चाबहार बंदरगाह भारत और ईरान के बीच व्यापार और संपर्क बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक परियोजना है.
  • अमेरिकी विदेश विभाग ने 2018 में जारी प्रतिबंध छूट को रद्द कर 29 सितंबर से नए प्रतिबंध लागू करने का ऐलान किया.
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नई दिल्‍ली:

ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि ईरान के बंदरगाह चाबहार का संचालन करने वाले लोगों पर इस महीने के अंत से प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे. इस फैसले का भारत पर भी असर पड़ेगा जो इस रणनीतिक बंदरगाह पर एक टर्मिनल को विकसित कर रहा है. चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. भारत और ईरान इसे व्यापार एवं संपर्क बढ़ाने के लिए विकसित कर रहे हैं. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख उप प्रवक्ता थॉमस पिगॉट ने सप्ताह की शुरुआत में जारी एक बयान में कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट देने वाले 2018 के आदेश को रद्द किया जा रहा है. 

29 सितंबर से लागू प्रतिबंध 

विदेश विभाग ने कहा कि यह कदम ईरानी शासन को अलग-थलग करने के लिए अधिकतम दबाव डालने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति के अनुरूप है. पिगॉट ने बताया, 'अमेरिकी विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान पुनर्निर्माण मदद एवं आर्थिक विकास के लिए ईरान स्वतंत्रता एवं परमाणु प्रसार-रोधी अधिनियम (आईएफसीए) के तहत 2018 में जारी प्रतिबंध छूट को रद्द कर दिया है.  यह आदेश 29 सितंबर, 2025 से प्रभावी हो जाएगा.' 

प्रतिबंधो के बाद क्‍या 

पिगॉट के अनुसार प्रतिबंध के प्रभावी हो जाने के बाद चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले या संबंधित गतिविधियों में शामिल लोग प्रतिबंधों के दायरे में आ सकते हैं. अमेरिकी प्रशासन के इस निर्णय से भारत भी प्रभावित होगा क्योंकि वह ओमान की खाड़ी में स्थित चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल के विकास से जुड़ा हुआ है. भारत ने 13 मई, 2024 को इस बंदरगाह के संचालन के लिए 10 साल के कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर साइन किए थे. भारत को इससे मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

क्‍या होगा भारत पर प्रभाव 

भारत ने वर्ष 2003 में ही इस बंदरगाह के विकास का प्रस्ताव रखा था ताकि भारतीय माल के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच का एक प्रवेश द्वार मुहैया कराया जा सके. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) नामक एक सड़क और रेल परियोजना बनाई जानी है. करीब 7,200 किलोमीटर लंबी यह परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए प्रस्तावित है. हालांकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण चाबहार बंदरगाह के विकास की रफ्तार काफी धीमी रही. 

अब तक हुआ क्‍या-क्‍या सप्‍लाई 

अमेरिका ने 2018 में चाबहार बंदरगाह परियोजना को प्रतिबंधों से छूट दी थी. उस समय कहा गया था कि अफगानिस्तान को गैर-प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति और पेट्रोलियम उत्पादों के आयात के लिए यह छूट जरूरी है. हालांकि अब अमेरिकी प्रशासन की नई नीति के तहत यह छूट समाप्त हो जाएगी. भारत ने 2023 में चाबहार बंदरगाह का उपयोग अफगानिस्तान को 20,000 टन गेहूं की सहायता भेजने के लिए किया था. इसके पहले 2021 में इसके जरिये ईरान को पर्यावरण के अनुकूल कीटनाशकों की आपूर्ति भी की गई थी. 
 

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