इजरायल क्या है दुश्मनों को पता चल गया होगा... ट्रंप संग बैठे नेतन्याहू की संसद से ललकार

नेतन्याहू के शब्दों में हमने इस युद्ध के लिए भारी कीमत चुकाई है, लेकिन दुश्मनों का पता चल गया होगा कि हम कितने शक्तिशाली और इरादों के पक्के हैं.

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  • इजरायली संसद में नेतन्याहू ने हमास से बंधकों की रिहाई के बाद पहला भाषण दिया और युद्ध की गंभीरता बताई
  • नेतन्याहू ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को खत्म करने और हूती लीडरशिप को नष्ट करने की बात कही
  • उन्होंने युद्ध में जान गंवाने वाले दो हजार सैनिकों को श्रद्धांजलि दी और परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की
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नई दिल्‍ली:

इजरायली संसद में यह जीत के जश्न जैसा था. इसमें शरीक होने डोनाल्‍ड ट्रंप तेल अवीव पहुंचे थे. हमास के कब्जे से 20 बंधकों की रिहाई के बाद इजरायली संसद में पहले नेतन्याहू का भाषण हुआ. नेतन्याहू के शब्दों में ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम का नामोनिशान मिटाने देने का जिक्र था. हूती लीडरशिप को नेस्तनाबूद कर देने की हुंकार थी.  साथ ही इस युद्ध में जान गंवाने वाले अपने दो हजार सैनिकों को सलामी थी. इसके साथ ही इजरायल पर नजर उठाने वालों के लिए चेतावनी थी. 

नेतन्याहू के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इजरायली संसद में अपना भाषण दिया. उन्होंने पीएम नेतन्याहू की जमकर तारीफ की. ट्रंप जब भाषण दे रहे थे तो उसी दौरान इजरायली संसद में एक सदस्य जोर जोर से मेज थपथपाकर कुछ बोलने लगे. इससे थोड़ा हंगामे की स्थिति सी बन गई. तुरंत मार्शलों ने उसे घेरे में लिया और संसद से बाहर निकाल दिया. इस दौरान ट्रंप का भाषण रुका रहा.

जीत की भारी कीमत 

नेतन्याहू के शब्दों में , 'हमने इस युद्ध के लिए भारी कीमत चुकाई है, लेकिन दुश्मनों का पता चल गया होगा कि हम कितने शक्तिशाली और इरादों के पक्के हैं. उन्हें समझ आ गया हो कि 7 अक्तूबर को इजरायल पर हमला बहुत बड़ी भूल थी. उन्हें समझ आ गया हो गया कि इजरायल यही खड़ा है और रहेगा.'  नेतन्याहू ने संसद में कहा, 'इस जीत की कीमत बहुत भारी थी. हजारों लोगो ने अपनी जिंदगी गंवा दी. अपने पीछे मां-बाप, पति-पत्नी और बच्चे छोड़ गए. कुछ के परिजन यहां पर हैं. मैं कहूंगा मैं आपके दर्द को समझता हूं. मैं उस पीड़ा को समझता हूं जो ताउम्र आपके साथ रहेगी. इन हीरो के कारण हमारा मु्ल्क रहेगा. इन हीरो के बदौलत हम जीवित रहेंगे. उनकी ही बदौलत शांति कायम है.' 

ट्रंप का शुक्रिया

नेतन्‍याहू ने इस दौरान ट्रंप का शुक्रिया भी अदा किया. उन्‍होंने कहा, 'युद्ध के लम्हों में जब इजरायल के ऊपर भारी दवाब था. एक शख्स जिसका नाम डोनाल्‍ड जे ट्रंप और जो अमेरिका का राष्‍ट्रपति चुना गया. और रातोंरात.. जी हां रातोंरात सबकुछ बदल गया. मैं डॉनल्ड ट्रंप को इजरायल का साथ देने के लिए शुक्रिया अदा करता हूं.' 

विपक्षी नेता ने भी की तारीफ 

वहीं विपक्षी नेता यायर लापिड ने भी खुलकर राष्‍ट्रपति ट्रंप की सराहना की. उन्‍होंने कहा कि अमेरिकी नेता को अगले साल नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाना चाहिए. लापिड ने ट्रंप के साथ कहा, 'जब आप चुने गए थे तो आपने घोषणा की थी कि आप 'शांति के राष्‍ट्रपति' होंगे. आपने अपना वादा निभाया है. यह तथ्य कि आपको नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया गया, समिति की एक बड़ी गलती है - लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं होगा, राष्‍ट्रपति. अगले साल उन्हें आपको यह पुरस्कार देना ही होगा.'  लापिड ने कहा कि ट्रंप ने 'अकल्पनीय' काम किया है, लेकिन अब इजरायल को अगले कदमों की 'जिम्मेदारी' लेने की जरूरत है. 

'हम कहीं नहीं जा रहे' 

लापिड ने आगे कहा कि इजरायल के 'पड़ोसियों को हमारे बारे में एक और बात समझनी चाहिए - हम कहीं नहीं जा रहे हैं. मिडिल ईस्‍ट हमारा घर है हम यहीं रहेंगे.' उन्होंने आगे कहा, 'हम इस्लामी दुनिया के सभी देशों, अपने सभी पड़ोसियों: सऊदी अरब, सीरिया और अन्य देशों से अपील करते हैं: हम यहीं रहेंगे. हम साथ मिलकर महान कार्य कर सकते हैं. आइए, हमसे बात करें.'  उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा कि वह और उनकी टीम, सोमवार को बाद में मिस्र में एक ऐसा क्षेत्रीय गठबंधन बना सकते हैं जो न केवल मिडिल ईस्‍ट बल्कि पूरी दुनिया को बदल देगा. लापिड ने उन लोगों की भी निंदा की जिन्होंने पिछले दो सालों इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन किया और कहा कि उन्हें धोखा दिया गया. 

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