हादी के हत्यारे भारत भागे? बांग्लादेश सरकार के विरोधाभासी बयानों के मायने

सूत्रों का दावा है कि यूनुस प्रशासन के कुछ वरिष्ठ अधिकारी और जमात मिलकर 1971 के मुक्ति संग्राम की विरासत और प्रतीकों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन इनका असल मकसद इससे भी ज्यादा खतरनाक है.

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  • यूनुस प्रशासन के कुछ वरिष्ठ अधिकारी और जमात मिलकर कथित तौर पर 1971 की विरासत को निशाना बना रहे हैं
  • सूत्रों के मुताबिक, ये चाहते हैं कि बांग्लादेश को कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा वाले देश में बदल दिया जाए
  • भारत विरोधी रुख के बावजूद यूनुस सरकार अब अपने ही पाले हुए कट्टरपंथी समूहों के निशाने पर आ गई है
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14 दिसंबर: बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया और दावा किया कि इस्लामिक मंच के छात्र नेता उस्मान हादी के हत्यारे संभवतः भारत भाग गए हैं. भारत ने उसी वक्त इस निराधार दावे का कड़ा विरोध किया और कहा कि ऐसी कोई संभावना नहीं है कि ऐसे व्यक्ति भात में वैध या अवैध तरीके से घुस जाएं 

22 दिसंबरः बांग्लादेश पुलिस और गृह मामलों के सलाहकार ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उनके पास हादी के हत्यारों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उन्हें नहीं लगता कि वे भारत भागे हैं.

दोनों तारीख में यह विरोधाभास बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार के भारत विरोधी रूख की पोल खोलने के लिए काफी है. सूत्रों का दावा है कि यूनुस प्रशासन के कुछ वरिष्ठ अधिकारी और जमात-ए-इस्लामी मिलकर 1971 के मुक्ति संग्राम की विरासत और प्रतीकों को निशाना बना रहे हैं. इनका मकसद भारत और बांग्लादेश के बीच खाई को बढ़ाना है. लेकिन इनका असल मकसद इससे भी ज्यादा खतरनाक लगता है. 

कट्टरपंथियों का खतरनाक प्लान

सूत्रों के मुताबिक, ये चाहते हैं कि बांग्लादेश की सेक्युलर नींव को खत्म कर उसे एक कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा वाले 'स्वतंत्र' देश में बदल दिया जाए. इस नैरेटिव को बढ़ावा देने के लिए कुछ छात्र नेताओं को हाई लेवल की सिक्योरिटी भी प्रदान की गई है ताकि वो भारत से खतरे का झूठा डर फैलाकर अपने मंसूबे पूरे कर सकें. नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) जैसे दल भी इस मामले में जमात के सुर में सुर मिला रहे हैं.

आंतरिक कलह और दबाव

भारत विरोधी रुख के बावजूद यूनुस सरकार अब अपने ही पाले हुए कट्टरपंथी समूहों के निशाने पर है. हादी मामले में भारत का कोई कनेक्शन न होने की सरकार की क्लीन चिट पर इंकलाब मंच बौखला गया है और उसने हादी के हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई न होने का बहाना बनकर यूनुस सरकार पर दवाब बनाना शुरू कर दिया है. सूत्रों का मानना है कि कट्टरपंथियों का यह समूह यूनुस प्रशासन के इस्तीफे की भी मांग कर सकता है. 

सुरक्षा व्यवस्था में दोहरा मापदंड

हाल ही में चटगांव में भारत के उप उच्चायोग पर हुए हमले के दौरान बांग्लादेशी पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध रही. भीड़ ने वहां करीब 15 मिनट तक पथराव किया, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही. इसके उलट, नई दिल्ली में बांग्लादेशी उच्चायोग के बाहर हो रहे प्रदर्शनों को पुलिस ने पूरी तरह नियंत्रित रखा और उच्चायोग की सुरक्षा सुनिश्चित की. 

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