पाकिस्तानी सेना का आतिफ असलम वाला राष्ट्रवादी गीत इतना ट्रोल क्यों हो रहा है?

आतिफ असलम की जादुई आवाज का नशा पाकिस्तान और भारत में लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. मगर पाकिस्तान सेना के लिए गाना गाने की वजह से आतिफ अपने ही मुल्क में लोगों के निशाने पर आ गए. सोशल मीडिया पर आतिफ को जमकर ट्रोल किया जा रहा है.

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इस्लामाबाद:

मशहूर पाकिस्तानी सिंगर आतिफ असलम जब कोई गाना गाते हैं तो हर किसी पर उनकी मदहोश करने वाली आवाज का जादू चढ़ जाता है. मगर इन दिनों आतिफ असलम अपने ही मुल्क में एक गाना गाकर खूब ट्रोल हो रहे हैं, सोशल मीडिया पर आतिफ असलम की जमकर फजीहत हो रही है. हुआ ये कि पाकिस्तान आर्मी मीडिया विंग ने 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस से पहले एक नया देशभक्ति सॉन्ग रिलीज किया, जो कि आतिफ असलम ने गाया है. इस गाने के बोल है 'मेरे महबूब पाकिस्तान, मेरी जान पाकिस्तान'. इस गाने की शुरुआत मोहम्मद अली जिन्ना की स्पीच के साथ होती है. आतिफ असलम का ये सॉन्ग जैसे ही यूट्यूब पर रिलीज किया गया, वैसे ही सोशल मीडिया पर लोग इस गाने को जमकर ट्रोल किया जाने लगा.

आतिफ के गाने को 70 फीसदी लोगों ने किया नापसंद

आलम ये है कि यूट्यूब पर इस गाने को नापंसद करने वालों की संख्या 70 फीसदी के पार पहुंच चुकी है. जब लोगों ने सोशल मीडिया पर सॉन्ग की आलोचना करते हुए इसके ज्यादा डिस्लाइक वाले स्क्रीनशॉट को शेयर किया गया तो इसके डिस्लाइक देखने वाले ऑप्शन को बंद कर दिया गया. हालांकि जब तक इस सॉन्ग के डिस्लाइक वाले ऑप्शन की संख्या देखने वाले ऑप्शन को बंद किया गया तब तक लोग सोशल मीडिया पर इसके डिस्लाइक का स्क्रीनशॉट शेयर कर चुके थे. लोगों ने सोशल मीडिया पर जो स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं, उसमें 116431 व्यूज दिखाई दे रहे हैं, जिसमें से 4460 लोगों ने इस गाने को लाइक किया है. वहीं गाने को नापसंद करने वालों की संख्या पंसद करने वालों से ज्यादा है. शेयर किए गए स्क्रीनशॉट में 11033 डिस्लाइक दिख रहे हैं. इस लिहाज से देखे तो जिन्होंने इस गाने को देखा, उनमें से तकरीबन 70 फीसदी लोगों ने इस नापसंद किया है.

सोशल मीडिया पर सॉन्ग को ट्रोल कर क्या कह रहे लोग

सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा इस गाने पर जमकर फूट रहा है. साइना आफ नाम की यूजर ने अपने एक्स पर लिखा कि चुनावों में धांधली करने, लोगों का नरसंहार करने और आधी आबादी को आग में झोंकने के बाद, सेना ने ये बताने के आतिफ असलम को काम पर रखा है कि सब ठीक है. वहीं सना बाबर ने लिखा कि जब आतिफ असलम ISPR के लिए गाते हैं, तो 18 हजार लोग इसे नापसंद करते हैं जबकि केवल 5.4 हजार लोग इसे पसंद करते हैं. यह सिर्फ़ एक गाने की बात नहीं है - यह जागरूकता को दर्शाता है. संख्याएं शब्दों से ज़्यादा ज़ोर से बोलती हैं.

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बताया जा रहा है कि आतिफ असलम ने मेरे महबूब पाकिस्तान, मेरी जान पाकिस्तान" एकता और देशभक्ति को बढ़ावा देने के लिए  गाया था, जिसके बोल इमरान रजा ने लिखे थे और मैसेज था "एक दिल, एक जान, एक पाकिस्तान". आईएसपीआर ने इसे राष्ट्रीय संकल्प का प्रतीक बताया, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह कई लोगों को खोखला लगा.

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पाक में रहना है तो ISPR को ना नहीं कह सकते

बॉर्डरलेस वर्ल्ड नाम के यूजर ने सोशल मीडिया पर आतिफ और उनके गाए गाने को ट्रोल होते लिखा कि लोगों को असल में यह समझना चाहिए कि अगर आप पाकिस्तान में शांति से रहना चाहते हैं तो आप ISPR को किसी हाल में ना नहीं कह सकते. दूसरी बात यह है कि इस गाने का सेना से कोई लेना-देना नहीं है. इस गाने के बोल पूरी तरह से पाकिस्तान के लिए हैं गाने का आनंद लें.

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कुछ लोगों ने अटकलें लगाईं कि आतिफ को यह गाना गाने के लिए मजबूर किया गया. एक पोस्ट में लिखा था, "आईएसपीआर के मूर्खों ने आतिफ के करियर को बर्बाद कर दिया… उन्हें यह फर्जी बकवास गाने के लिए मजबूर किया गया." हालांकि इसके कोई सबूत नहीं हैं, इस तरह की बातों ने सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग को बढ़ावा दिया.

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एक अन्यू यूजर ने लिखा कि करदाताओं के पैसे को ISPR द्वारा रावलपिंडी कैंट से आतिफ असलम की खूबसूरत आवाज़ में महंगे गाने बनाने के लिए खर्च करना और क्वेटा में निहत्थे महरंग बलूच और उनके समर्थकों के खिलाफ़ आतंक फैलाना, जहां पुलिस ने पहले प्रदर्शनकारियों को मार डाला और फिर शवों को छीन लिया! मैं समझता हूं कि ISPR की टीमें मेरी टिप्पणियों के लिए मुझसे नफ़रत कर सकती हैं, लेकिन मैं पाकिस्तानी लोगों, राज्य और पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के सर्वोत्तम हित में यह विश्लेषण पेश करता हूं. 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस पर यही संदेश होना चाहिए, विविधता में एकता! लाखों डॉलर बर्बाद करने के बजाय ऐसे गानों पर जिन्हें अब कोई सुनता ही नहीं! गानों को भावनात्मक जुड़ाव की ज़रूरत होती है.

क्यों हो रही गाने की इतनी ट्रोलिंग

जैसे ही आतिफ का ये गाना आया, वैसे ही इस गाने को ट्रोल किया जाने लगा. खासकर PTI समर्थकों ने ISPR और आतिफ दोनों को जमकर सुनाया. गाने के आते ही आतिफ की आईएसपीआर के साथ नजदीकियों का हवाला दिया जाने लगा. एक बड़े कलाकार के तौर पर आतिफ की तगड़ी फैन फॉलोइंग है. आईएसपीआर के साथ उनका जुड़ाव, चाहे जानबूझकर हो या नहीं, ऐसे संवेदनशील समय में सेना का समर्थन माना गया, जब पाकिस्तान अस्थिरता को दौर से गुजर रहा है. इसलिए इस सॉन्ग के लिए उन्हें जमकर सुनाया जा रहा है. इस गाने ने पाकिस्तान में आतिफ की इमेज को भी नुकसान पहुंचाया है.  आतिफ का ये गाना ऐसे समय में आया जब पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता है, खासकर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) समर्थकों के बीच, जो सेना के खिलाफ मुखर हैं. 
 

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