अमेरिका ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव पर अपने वीटो (निषेधाधिकार) का इस्तेमाल किया, जिसमें इजराइल-हमास संघर्ष के बीच गाजा में फलस्तीनियों को मानवीय मदद पहुंचाने का आग्रह किया गया था. पंद्रह-सदस्यीय सुरक्षा परिषद के 12 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में, जबकि अमेरिका ने विरोध में मतदान किया, जबकि दो सदस्य रूस और ब्रिटेन अनुपस्थित रहे. अमेरिका के वीटो के चलते सुरक्षा परिषद संबंधित प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर पाई.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने मतदान के बाद कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन पश्चिम एशिया पहुंचकर राजनयिक वार्ता कर रहे हैं “और हमें उस कूटनीति की आवश्यकता है.” उन्होंने प्रस्ताव में इजराइल के आत्मरक्षा के अधिकार के बारे में कुछ नहीं कहे जाने पर भी आपत्ति जताई. ब्राजील द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर वीटो के इस्तेमाल से पहले परिषद के सदस्यों ने इसमें दो संशोधन करने के रूस के अनुरोध को खारिज कर दिया. रूस चाहता था कि प्रस्ताव में मानवीय संघर्ष विराम की अपील और गाजा में नागरिकों और अस्पतालों व स्कूलों पर अंधाधुंध हमलों की निंदा की जाए.
सुरक्षा परिषद में किसी प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए उसके पक्ष में कम से कम नौ वोट पड़ने चाहिए. साथ ही यह भी जरूरी है कि पांच स्थायी सदस्यों में से कोई प्रस्ताव को वीटो न करे. सात अक्टूबर को गाजा की सीमा से सटे दक्षिणी इजराइल के क्षेत्रों में हमास के अभूतपूर्व हमले के बाद से 1,400 से अधिक इजराइली मारे गए हैं, जिनमें से ज्यादातर नागरिक हैं. इसके अलावा लगभग 200 लोगों को गाजा में बंदी बना लिया गया है. गाजा पर इजराइल के जवाबी हमलों में कम से कम 2,778 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1,200 से अधिक लोगों के मलबे में दबने की आशंका है.